सबसे बड़ा सवाल: मोहन सरकार बढ़ाएगी वृद्ध और विधवा पेंशन राशि? जानें वर्तमान स्थिति और अन्य राज्यों से तुलना

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने विधानसभा में अपनी बात रखी।
भोपाल में चल रही विधानसभा की कार्यवाही के दौरान यह सवाल केंद्र में रहा कि क्या मध्य प्रदेश की मोहन सरकार वृद्ध और विधवा पेंशन राशि में बढ़ोतरी करेगी? विपक्ष के साथ-साथ खुद बीजेपी विधायक प्रदीप लारिया ने भी इस मुद्दे पर ध्यान आकर्षण प्रस्ताव रखा।
इस प्रस्ताव पर सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण मंत्री नारायण सिंह कुशवाह ने जवाब दिया कि सरकार समय-समय पर पेंशन राशि में वृद्धि करती रही है, और केंद्र सरकार का भी इसमें योगदान रहता है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार पेंशन राशि बढ़ाने पर विचार कर रही है, और मुख्यमंत्री जल्द ही इस पर अंतिम फैसला लेंगे।
विपक्ष की मांग
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने मई 2025 में पत्र लिखकर वृद्ध और विधवा पेंशन को ₹1500 करने की मांग की है। सिंघार ने मांग की कि लाडली बहना योजना की तर्ज पर वृद्ध और विधवा पेंशन की राशि को बढ़ाया जाना चाहिए, क्योंकि मानवता के नाते यह जरूरी है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि अन्य राज्यों में मध्य प्रदेश की तुलना में कई गुना अधिक पेंशन राशि दी जा रही है।
मध्य प्रदेश में वृद्ध और विधवा पेंशन की वर्तमान स्थिति
वृद्धावस्था पेंशन:
- 60–79 वर्ष: ₹600 (केंद्र ₹200 + राज्य ₹400)
- 80+ वर्ष: ₹1500 (केंद्र ₹500 + राज्य ₹1000)
विधवा पेंशन:
- ₹600 प्रतिमाह (इंदिरा गांधी योजना + मुख्यमंत्री कल्याणी योजना)
- यह राशि 2025 में भी यथावत है, जबकि महंगाई लगातार बढ़ रही है।
अन्य राज्यों के साथ तुलनात्मक विश्लेषण
मध्य प्रदेश में वृद्ध और विधवा पेंशन की राशि को अन्य राज्यों के साथ तुलना करने पर यह स्पष्ट होता है कि कई राज्य अधिक उदार पेंशन योजनाएं लागू कर रहे हैं। नीचे कुछ प्रमुख राज्यों की पेंशन योजनाओं का तुलनात्मक विवरण दिया गया है:
हरियाणा:
वृद्धावस्था पेंशन: हरियाणा में वृद्धावस्था सम्मान भत्ता योजना के तहत 60 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों को ₹2500 प्रति माह पेंशन दी जाती है (अप्रैल 2021 से लागू)।
विधवा पेंशन: हरियाणा विधवाओं और निराश्रित महिला पेंशन योजना के तहत 18 वर्ष से अधिक आयु की विधवाओं को ₹2500 प्रति माह पेंशन प्रदान की जाती है।
तुलना: मध्य प्रदेश की ₹600 की तुलना में हरियाणा की पेंशन राशि लगभग 4 गुना अधिक है।
दिल्ली:
वृद्धावस्था पेंशन: दिल्ली सरकार 60 से 69 वर्ष के लाभार्थियों को ₹2000 प्रति माह और 70 वर्ष से अधिक आयु वालों को ₹2500 प्रति माह पेंशन देती है।
विधवा पेंशन: दिल्ली में विधवा पेंशन की राशि भी ₹2000 से ₹2500 तक है।
तुलना: दिल्ली में पेंशन राशि मध्य प्रदेश से 3 से 4 गुना अधिक है।
उत्तराखंड:
वृद्धावस्था पेंशन: उत्तराखंड में 60 से 79 वर्ष के बीपीएल लाभार्थियों को ₹1500 प्रति माह (केंद्र: ₹200, राज्य: ₹1300) और 80 वर्ष से अधिक आयु वालों को ₹1500 (केंद्र: ₹500, राज्य: ₹1000) दी जाती है।
तुलना: उत्तराखंड में वृद्धावस्था पेंशन मध्य प्रदेश की तुलना में ढाई गुना अधिक है।
छत्तीसगढ़:
वृद्धावस्था पेंशन: छत्तीसगढ़ में 60 से 79 वर्ष के लाभार्थियों को ₹350 से ₹650 प्रति माह और 80 वर्ष से अधिक वालों को ₹1000 तक पेंशन दी जाती है।
विधवा पेंशन: छत्तीसगढ़ में विधवा पेंशन की राशि ₹350 से ₹1000 तक है, जो योजना और पात्रता पर निर्भर करती है।
तुलना: छत्तीसगढ़ में पेंशन राशि मध्य प्रदेश से थोड़ी अधिक है, खासकर वृद्धावस्था पेंशन के लिए।
राजस्थान:
वृद्धावस्था पेंशन: राजस्थान में सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के तहत 60 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों को ₹1000 से ₹1500 प्रति माह पेंशन दी जाती है।
विधवा पेंशन: विधवाओं को ₹1500 तक पेंशन प्रदान की जाती है।
तुलना: राजस्थान में पेंशन राशि मध्य प्रदेश से दोगुनी से ढाई गुना अधिक है।
उत्तर प्रदेश:
वृद्धावस्था पेंशन: उत्तर प्रदेश में 60 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों को ₹1000 प्रति माह पेंशन दी जाती है।
विधवा पेंशन: विधवाओं को ₹1000 से ₹2000 तक पेंशन मिलती है।
तुलना: उत्तर प्रदेश में पेंशन राशि मध्य प्रदेश से लगभग दोगुनी है।
आखिर क्यों उठ रही है पेंशन राशि बढ़ाने की मांग?
- महंगाई के इस दौर में ₹600 में जीवनयापन असंभव।
- लाडली बहना योजना की तरह महिला-सशक्तिकरण की जरूरत।
- सामाजिक सुरक्षा और मानवता का सवाल।
- अन्य राज्यों से तुलनात्मक दबाव।
- विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों की पहल।
क्या आर्थिक रूप से संभव है पेंशन वृद्धि?
- पिछली बार पेंशन दोगुनी करने पर ₹450 करोड़ अतिरिक्त बोझ पड़ा।
- ₹1500 तक बढ़ाने पर यह खर्च कई गुना बढ़ेगा।
- केंद्र सरकार से अधिक योगदान और बजट पुनर्विन्यास से समाधान संभव।
पेंशन वितरण में पारदर्शिता और तकनीकी सुधार ज़रूरी
- डिजिटल पोर्टल और लोक सेवा गारंटी प्रणाली को और सशक्त करने की आवश्यकता।
- ग्रामीण क्षेत्रों में योजना की जानकारी बढ़ाने हेतु विशेष अभियान चलाया जाए।
