बड़ा खुलासा: 1884 में अंग्रेजों ने छीना भारत का ‘समय’? आरोह ने बनाई वैदिक पद्धति से अनोखी घड़ी

GMT अंग्रेजों की चाल? भोपाल के आरोह की सूर्य आधारित विक्रमादित्य वैदिक घड़ी
आरोह श्रीवास्तव से हरिभूमि की खास बातचीत: मर्चेंट नेवी छोड़ बनाई विक्रमादित्य वैदिक घड़ी
(मधुरिमा राजपाल ) भोपाल। मर्चेंट नेवी जैसी हाई-प्रोफाइल नौकरी छोड़कर अगर कोई युवा प्राचीन भारतीय ज्ञान को आधुनिक तकनीक से जोड़ने का सपना देखे, तो यह सुनने में फिल्मी लग सकता है। लेकिन भोपाल के आरोह श्रीवास्तव ने इसे हकीकत बना दिया। साल 2017 में उन्होंने तय किया कि अब वह पश्चिमी पद्धति पर चल रहे समय निर्धारण को चुनौती देंगे और भारत की वैदिक परंपरा पर आधारित घड़ी बनाएंगे।
हरिभूमि से खास बातचीत में आरोह ने बताया कि कैसे उनकी बनाई विक्रमादित्य वैदिक घड़ी सूर्य की दशा के अनुसार काल गणना करती है और भारतीय समय पद्धति की खोई हुई गरिमा को फिर से जीवित करने की कोशिश करती है।
मर्चेंट नेवी से वैदिक घड़ी तक की जर्नी?
आरोह कहते हैं, "मर्चेंट नेवी में काम करते हुए मेरे मन में सवाल उठा कि बिना GPS के प्राचीन नाविक समय और दिशा का निर्धारण कैसे करते होंगे। तभी मैंने सोचा कि भारत की वैदिक पद्धति पर आधारित घड़ी बनाई जाए। इसी सोच के चलते मैंने नौकरी छोड़ दी और शोध शुरू किया।"
टेक्नोलॉजी से जुड़ी टीम?
आरोह ने बताया कि इस घड़ी के पीछे एक पूरी रिसर्च टीम काम कर रही थी। इनमें विशाल सिंह (IIT दिल्ली) ने AI और Big Data पर काम किया। अरुण श्रीवास्तव (छोटे भाई) ने Robotics Engineering पर रिसर्च की। इसके अलावा अन्य इंजीनियर साथ जुड़े, जिन्होंने आधुनिक तकनीक से इस प्रोजेक्ट को मजबूती देने में अहम भूमिका निभाई।
आरोह का कहना है कि AM (Anti Meridiem) और PM (Post Meridiem) की अवधारणा वास्तव में भारत की काल गणना प्रणाली से ही निकली है, जबकि दुनिया इसे पश्चिम से जुड़ा मानती है।
“GMT अंग्रेजों की साजिश”- आरोह
हरिभूमि से बातचीत में आरोह ने कहा, "1884 में 19 देशों की मीटिंग में GMT (Greenwich Mean Time) को आधार मान लिया गया। यह अंग्रेजों की सोची-समझी रणनीति थी, ताकि पूरे विश्व पर उनका वर्चस्व बना रहे। लेकिन असल समय की गणना भारत से ही शुरू हुई थी। विक्रमादित्य वैदिक घड़ी उसी वैदिक परंपरा को आधुनिक रूप देने का प्रयास है।"
मुख्यमंत्री मोहन यादव करेंगे विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का अनावरण एवं ऐप का लोकार्पण
विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का अनावरण एवं ऐप का लोकार्पण मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 1 सिंतबर को मुख्यमंत्री निवास पर करेंगे। यह बात मुख्यमंत्री के संस्कृति सलाहकार श्रीराम तिवारी ने प्रेस को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने बताया कि सुबह 9 बजे शौर्य स्मारक से बाइक रैली आरंभ होगी जो रवींद्र भवन तक जायेगी। रवींद्र भवन से बाइक रैली पैदल मार्च में बदलकर मुख्यमंत्री निवास के द्वार तक पहुंचेगी। इस अवसर पर ‘विक्रमादित्य वैदिक घड़ी: भारत के समय की पुनर्स्थापना की पहल’ विषय युवा संवाद कार्यक्रम भी होगा। जिसमें मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव युवाओं से संवाद करेंगे।
तिवारी ने बताया कि विक्रमादित्य वैदिक घड़ी भारतीय काल गणना पर आधारित विश्व की पहली घड़ी है। जिसका अन्वेषण आरोह श्रीवास्तव ने किया। इस घड़ी का पुनरस्थापन विक्रमादित्य वैदिक घड़ी के रूप में उज्जैन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 29 फरवरी 2024 को किया गया था।

मुख्यमंत्री के संस्कृति सलाहकार श्रीराम तिवारी ने शनिवार को मीडिया को संबोधित किया।
क्या है विक्रमादित्य वैदिक घड़ी?
विक्रमादित्य वैदिक घड़ी ऐप में 3179 विक्रम पूर्व (श्रीकृष्ण के जन्म), महाभारतकाल से लेकर 7000 से अधिक वर्षों के पंचांग, तिथि, नक्षत्र, योग, करण, वार, मास, व्रत एवं त्यौहार आदि की दुर्लभ जानकारियों को समाहित किया गया है।
धार्मिक कार्यों, व्रत और साधना के लिए 30 अलग-अलग शुभाशुभ मुहूर्त की जानकारी एवं अलार्म की सुविधा भी है। प्रचलित समय में वैदिक समय (30 घंटे), वर्तमान मुहूत स्थान, एएम और पीएम समय, तापमान, हवा की गति, आर्द्रता आदि मौसम संबंधी सूचनाएं भी लोगों को उपलब्ध कराई जा रही हैं।
यह ऐप 189 से अधिक वैश्विक भाषाओं में उपलब्ध है। जिसमें दैनिक सूर्योदय और सूर्यास्त की गणना तथा उसी आधार पर हर दिन के 30 मुहूर्तों का सटीक विवरण सम्मिलित है।
