राष्ट्रीय वन शहीद दिवस: 20 साल में 56 वन कर्मी हुए शहीद, फिर भी नहीं मिला पुलिस के समान अधिकार

mp forest employees rights demand
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20 साल में 56 वन कर्मियों की शहादत के बाद भी नहीं मिले पुलिस जैसे अधिकार। वन कर्मचारी मंच ने मुख्यमंत्री से समान वेतन और अधिकार की मांग की।

भोपाल: मध्य प्रदेश में वनों और वन्य प्राणियों की रक्षा करते हुए पिछले 20 वर्ष में 56 वन कर्मचारी शहीद हो चुके हैं लेकिन सरकार ने अभी भी वन कर्मचारियों को पुलिस के समान अधिकार देना तो दूर उनको वेतन भक्तों का लाभ तक नहीं दिया है। मध्यप्रदेश वन कर्मचारी मंच ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर प्रदेश के वन कर्मचारियों को पुलिस के समान अधिकार एवं वेतन भक्तों का लाभ देने के आदेश जारी करने की मांग की है।

मंच के प्रदेशाध्यक्ष अशोक पांडे ने बताया कि प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 11 सितंबर 2023 को नवीन वन भवन में शहीद स्तंभ का लोकार्पण करते हुए घोषणा की थी कि प्रदेश के वन कर्मचारियों को शहीद होने पर एक करोड़ रुपए अनुकंपा अनुदान एवं पांच हजार रुपए पोस्टिक आहार भक्ता दिया जाएगा।

वन कर्मचारी आक्रोशित

उन्होंने वन कर्मचारियों की समस्याओं के निराकरण के लिए समस्या निवारण शिविर शासन स्तर पर आयोजित करने की घोषणा भी की थी। लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी किसी भी घोषणा का लाभ प्रदेश के वन कर्मचारियों को नहीं मिला है। जिस कारण प्रदेश के वन कर्मचारी में आक्रोशित है।

वन शहीदों की याद में किया पौधरोपण

गुरुवार को राष्ट्रीय वन शहीद दिवस के अवसर पर वनों की रक्षा करते हुए शहीद हुए वन शहीदों की याद में मप्र वन कर्मचारी मंच ने कन्हा कुंज पार्क कोलार में पौधरोपण करके श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर रेंजर सुभाष शर्मा, अशोक पांडे, हरि सिंह गुर्जर, अंतर सिंह, नरेश कुमार, श्याम बरेले सहित बड़ी संख्या वन कर्मचारी शामिल थे।

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वन विहार भोपाल: बड़े तालाब की टूटी जालियों से सुरक्षा पर संकट

भोपाल के वन विहार राष्ट्रीय उद्यान से सटे बड़े तालाब की सुरक्षा व्यवस्था सवालों के घेरे में है। तालाब और उद्यान को जोड़ने वाली सुरक्षा जालियां पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। इन जालियों का उद्देश्य असामाजिक तत्वों को वन विहार में प्रवेश से रोकना और वन्य जीवों को तालाब पार कर बाहर निकलने से बचाना था। लंबे समय से मरम्मत न होने के कारण जालियां बेकार हो गई हैं, जिससे सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है।

क्षतिग्रस्त जालियों के पास लोग नाव से मछली का शिकार करते देखे गए हैं, जो सुरक्षा में सेंधमारी के साथ-साथ वन्य जीव संरक्षण के लिए चुनौती बन रहा है। वन विहार प्रबंधन के अनुसार, ये जालियां 2010 में लगाई गई थीं। टूटी जालियों से असामाजिक तत्वों के प्रवेश और वन्य जीवों के बाहर निकलने का खतरा बढ़ गया है। प्रबंधन से मरम्मत की मांग की जा रही है।

(भोपाल से सचिन सिंह बैस की रिपोर्ट)

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