उज्जैन महर्षि सांदीपनि आश्रम: आज भी जीवंत हैं कृष्ण-सुदामा की मित्रता की यादें, जानें अनोखी कहानियां

Shri Krishna Sudama Temple
Ujjain News : भगवद महापुराण के अनुसार, लगभग 5500 साल पहले द्वापर युग में जब भगवान श्रीकृष्ण मात्र 11 वर्ष के थे, तब उन्होंने उज्जैन के महर्षि सांदीपनि आश्रम में शिक्षा ग्रहण की थी। यहीं पर उन्होंने वेद, पुराण और 64 कलाओं का ज्ञान प्राप्त किया। आश्रम में आज भी वह कक्ष मौजूद है, जहां गुरु-शिष्य परंपरा को दर्शाती प्रतिमाएं स्थापित हैं। इसमें गुरु सांदीपनि की प्रतिमा, उनकी चरण पादुकाएं और बलराम, कृष्ण एवं सुदामा की पढ़ाई करते हुए मूर्तियां विशेष आकर्षण हैं।
मित्रता का प्रतीक है नारायणा धाम
उज्जैन से करीब 40 किलोमीटर दूर नारायणा धाम में स्थित श्रीकृष्ण-सुदामा मंदिर उनकी अटूट मित्रता का प्रतीक है। कथा के अनुसार, गुरु माता के आदेश पर लकड़ियां लाने निकले कृष्ण और सुदामा तेज बारिश से बचने के लिए यहां रुके थे। मंदिर परिसर में आज भी वे हरे-भरे पेड़ मौजूद हैं, जिन्हें वही लकड़ियां माना जाता है।
बड़ा गोपाल मंदिर आकर्षण का केन्द्र
200 साल पुराना द्वारकाधीश बड़ा गोपाल मंदिर भी उज्जैन का एक प्रमुख आकर्षण है। इसे 1844 में बायजा बाई सिंधिया ने बनवाया था। गर्भगृह का रत्न जड़ित द्वार गजनी से लाया गया था, जो कभी सोमनाथ मंदिर की लूट का हिस्सा था। मंदिर का शिखर सफेद संगमरमर और मुख्य भाग काले पत्थरों से निर्मित है। जन्माष्टमी और हरिहर पर्व के समय यहां विशेष आयोजन होता है, जिसमें भगवान महाकाल की सवारी और भगवान विष्णु का मिलन होता है।
मीरा माधव मंदिर
उज्जैन के मीरा माधव मंदिर की विशेषता यह है कि यहां भगवान कृष्ण अपनी भक्त मीरा के साथ विराजमान हैं। 1971 में निर्मित यह मंदिर मध्य प्रदेश का एकमात्र स्थान है जहां मीरा की पूजा भी की जाती है। जन्माष्टमी के दिन यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है, जो भगवान और भक्त के अनोखे रिश्ते का अद्भुत उदाहरण है।
उज्जैन के ये पौराणिक और ऐतिहासिक मंदिर न केवल धार्मिक आस्था के केंद्र हैं, बल्कि यह भगवान श्रीकृष्ण के जीवन, उनकी शिक्षा, मित्रता और भक्ति के अनगिनत रंग भी दिखाते हैं।
