78वां तबलीगी इज्तिमा सम्पन्न: दुआ-ए-खास में शामिल हुए 10-12 लाख श्रद्धालु , भोपाल में कड़े सुरक्षा इंतजाम

78वें तबलीगी इज्तिमा का समापन: आखिरी दिन 10-12 लाख श्रद्धालुओं ने लिया दुआ-ए-खास में हिस्सा.
(एपी सिंह): भोपाल में आयोजित 78वें तबलीगी इज्तिमा का सोमवार को दुआ-ए-खास के साथ शांतिपूर्ण समापन हुआ, जिसमें देश-विदेश से आए करीब 10 से 12 लाख श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। चार दिनों तक चले इस भव्य इस्लामी आयोजन को लेकर शहर में सुरक्षा और व्यवस्थाओं के खास इंतजाम किए गए थे। प्रशासन ने भीड़ प्रबंधन के लिए व्यापक ट्रैफिक प्लान लागू किया और पुलिस, होमगार्ड व अन्य सुरक्षा बलों को हर संवेदनशील स्थल पर तैनात किया।
राजधानी भोपाल में 78वें तबलीगी इज्तिमा के समापन का दिन बेहद खास रहा। सोमवार, 17 नवंबर को दुआ-ए-खास के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा और अनुमानित 10 से 12 लाख लोगों ने एक साथ दुआ में शामिल होकर अद्भुत दृश्य बना दिया।
इस विशाल धार्मिक आयोजन को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर कोई कसर नहीं छोड़ी। शहर के विभिन्न हिस्सों में पुलिस, होमगार्ड और ट्रैफिक कर्मियों की तैनाती बढ़ा दी गई थी, ताकि बड़ी संख्या में पहुंच रहे लोगों के बीच किसी तरह की अव्यवस्था न हो। ट्रैफिक को सुचारू रखने के लिए विशेष मार्ग तय किए गए थे।
#WATCH | Bhopal, Madhya Pradesh | Security tightened ahead of Special Dua-e-Khas at the 78th Tablighi Ijtema (16.11) pic.twitter.com/lb6cPiOgik
— ANI (@ANI) November 17, 2025
चार दिन तक चलने वाले इज्तिमा में इस बार करीब 15 लाख श्रद्धालु शामिल हुए, जिनमें इंडोनेशिया, मलेशिया, केन्या और सऊदी अरब जैसे देशों से आए विदेशी जत्थे भी शामिल थे। आयोजन शुरू होने से एक दिन पहले से ही अलग-अलग देशों और राज्यों से आने वाले समूहों का पहुंचना जारी था।
विदेशी श्रद्धालुओं को भाषा संबंधी कठिनाई न हो, इसके लिए द्विभाषियों की विशेष टीम तैनात की गई, जबकि बोलने और सुनने में अक्षम लोगों के लिए अलग सहायता केंद्र बनाए गए, जहां उन्हें हर संभव मार्गदर्शन दिया गया।
अंतिम दिन दुआ-ए-खास को लेकर प्रशासन और आयोजकों ने सुरक्षा को और कड़ा कर लिया था, क्योंकि इसी क्षण इज्तिमा में सबसे ज्यादा भीड़ एकत्र होती है। तबलीगी इज्तिमा दुनिया के सबसे बड़े वार्षिक इस्लामी आयोजनों में से एक है और हर साल लाखों लोग इसमें शामिल होते हैं।
ऐतिहासिक रूप से यह आयोजन काफी छोटे स्तर पर शुरू हुआ था। 1947 में शाकूर खान मस्जिद से केवल 13 लोगों के साथ शुरुआत हुई थी। भीड़ बढ़ने के बाद 1971 में इसे ताज-उल-मसाजिद परिसर में शिफ्ट किया गया और फिर 2003 में इसे ईंटखेड़ी ले जाया गया, जहां अब यह विशाल स्वरूप में होता है।
भोपाल का इज्तिमा आज दुनिया की तीन सबसे बड़ी इज्तिमाओं में एक माना जाता है और हर वर्ष इसकी लोकप्रियता और व्यापकता लगातार बढ़ती जा रही है।
