सोच और समृद्धि: सियाचिन पर क्यों जरूरी है भारत की मौजूदगी? जनरल हसनैन ने बताई वजह

भोपाल में रविवार को आईपीएस मनीष शंकर शर्मा की स्मृति पर  सोच और समृद्धि व्याख्यान कार्यक्रम आयोजित हुआ
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भोपाल - रविवार को 'सोच और समृद्धि' व्याख्यान कार्यक्रम में बोलते हुए सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन।

लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन ने भोपाल में सियाचिन की रणनीतिक अहमियत बताई। 4 करोड़ रोजाना खर्च, 890 शहीद, LOC, LAC, AGPL का अर्थ और भारत की चुनौतियां। मनीष शंकर शर्मा डे पर आयोजन।

मधुरिमा राजपाल, भोपाल। रिटायर लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन ने रविवार, 20 जुलाई को भोपाल के राज्य संग्रहालय में आयोजित 'सोच और समृद्धि' व्याख्यान में सियाचिन ग्लेशियर की रणनीतिक अहमियत पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारत सियाचिन पर हर दिन लगभग 4 करोड़ रुपए खर्च करता है, लेकिन यह खर्च देश की सुरक्षा के लिए अत्यंत जरूरी है। उन्होंने चेताया कि अगर भारत ने सियाचिन से कब्जा हटाया, तो पाकिस्तान से चीन तक सीधा कॉरिडोर बन जाएगा, जो भारत के लिए दोतरफा खतरा पैदा करेगा।

अब तक सियाचिन में तैनाती के दौरान 890 जवान शहीद

जनरल हसनैन ने कहा कि 1984 में ऑपरेशन मेघदूत के तहत भारत ने पाकिस्तान से पहले कार्रवाई करते हुए सियाचिन ग्लेशियर पर कब्जा किया था, जो अब "एजीपीएल" यानी एक्चुअल ग्राउंड पोजिशन लाइन के नाम से जाना जाता है। पाकिस्तान ने 13 अप्रैल 1984 को कब्जा करने की योजना बनाई थी, लेकिन भारत ने पहले ही कार्रवाई कर दी।

उन्होंने बताया कि अब तक सियाचिन में तैनाती के दौरान 890 जवानों की शहादत हो चुकी है, लेकिन यह बलिदान देश की सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

LOC, LAC और AGPL का क्या मतलब है?

  • LOC (लाइन ऑफ कंट्रोल): भारत-पाकिस्तान के बीच 1972 में बनी सीमा रेखा।
  • LAC (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल): भारत-चीन के बीच एक अनौपचारिक सीमा, जिसे चीन ने आज तक स्पष्ट नहीं किया।
  • AGPL (एक्चुअल ग्राउंड पोजिशन लाइन): वही इलाका जहां भारत ने सियाचिन पर कब्जा कर पाकिस्तान की योजना नाकाम की थी।

भारत को तीन मोर्चों पर लड़ना पड़ रहा है

जनरल अता हसनैन ने कहा, "भारत को पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन और अब बांग्लादेश की ओर से एक नए रणनीतिक मोर्चे पर सतर्क रहना पड़ रहा है। इसलिए तीनों दिशाओं में सुरक्षा एक स्थायी प्राथमिकता है।"

बांग्लादेश को खो दिया, उसे भारत का हिस्सा बनाना चाहिए था

अपने संबोधन के अंतिम हिस्से में उन्होंने 1971 की लड़ाई का जिक्र करते हुए कहा, "हमने लड़ाई जीत ली, लेकिन उस जीत को बनाए नहीं रख पाए। आज बांग्लादेश हमारे साथ नहीं है। 53000 युद्धबंदी बनाए लेकिन 50 साल बाद हमने अपना ही बनाया देश खो दिया।"

मनीष शंकर शर्मा डे की 10वीं वर्षगांठ पर आयोजन

इस व्याख्यान का आयोजन दिवंगत आईपीएस अधिकारी मनीष शंकर शर्मा की स्मृति में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मध्य प्रदेश के डीजीपी कैलाश मकवाना ने की। इस अवसर पर MSS सपोर्ट फाउंडेशन की आरती शर्मा ने बताया कि 20 जुलाई 2015 को अमेरिका के सैन डिएगो शहर में 'मनीष शंकर शर्मा डे' घोषित किया गया था, जिसकी 10वीं वर्षगांठ पर यह आयोजन हुआ।

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