सामुदायिक मंगल भवन घोटाले में बड़ी कार्रवाई: CEO, सरपंच, सचिव सहित 6 अधिकारियों के खिलाफ नोटिस जारी, जानें पूरा मामला

junnardev mangal bhawan construction scam
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junnardev mangal bhawan construction scam

छिंदवाड़ा के जुन्नारदेव विशाला ग्राम पंचायत में सामुदायिक मंगल भवन घोटाले का भंडाफोड़, जिला प्रशासन ने CEO, सरपंच और सचिव सहित 6 अधिकारियों-कर्मचारियों को लगभग 16 लाख रुपये की रिकवरी व अनुशासनात्मक कार्रवाई का नोटिस जारी किया। ग्रामीणों ने कार्रवाई को खानापूर्ति बताया।

छिंदवाड़ा/जुन्नारदेव। सामुदायिक मंगल भवन निर्माण मामले में हुए बड़े घोटाले पर जिला प्रशासन ने निर्णायक कदम उठाते हुए जनपद पंचायत जुन्नारदेव विशाला के CEO, सरपंच, सचिव सहित छह अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। सभी को लगभग 16 लाख रुपये की रिकवरी और अनुशासनात्मक कार्रवाई से जुड़े नोटिस जारी किए गए हैं।

सूत्रों के अनुसार, तीन अलग-अलग जांच रिपोर्ट आने के बाद इस कार्रवाई को अंतिम रूप दिया गया। जांच में यह सामने आया कि ग्राम पंचायत व जनपद पंचायत के अधिकारियों ने स्वयंसेवी धार्मिक संस्था द्वारा किए जा रहे मंदिर निर्माण को सामुदायिक मंगल भवन का निर्माण बताकर सरकारी राशि का आहरण किया।

शिकायत के बाद खुला फर्जीवाड़ा

वर्ष 2022–23 में विधायक निधि से 25 लाख रुपये की लागत वाले मंगल भवन निर्माण की स्वीकृति मिली थी, जिसमें जनपद पंचायत को 17 लाख रुपये का आवंटन हुआ था। आरोप है कि बिना एमबी और प्रगति रिपोर्ट देखे तीन किस्तों में राशि ग्राम पंचायत को जारी कर दी गई, जिसके बाद करीब 15.80 लाख रुपये का फर्जी भुगतान हुआ।

स्थानीय पत्रकारों और समाजसेवियों की शिकायत पर मामला कलेक्टर व कमिश्नर तक पहुंचा। मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में शिकायत दबाने के आरोप भी लगे। इसके बाद जिला प्रशासन द्वारा कराई गई तीन जांचों में विरोधाभास सामने आया और घोटाला प्रमाणित हुआ।

ड्राइंग–डिजाइन और रिपोर्ट में भी फर्जीवाड़ा

आरोपों के मीडिया में प्रकाशन के बाद जनपद पंचायत ने कथित रूप से मंगल भवन के नक्शे, लेआउट और डिज़ाइन में भी गड़बड़ी कर रिकॉर्ड बदलने का प्रयास किया।

जिला प्रशासन ने निर्माणाधीन संरचना को मंगल भवन के लिए अनुपयुक्त मानते हुए इसे अन्य धार्मिक प्रकल्प बताया।

गौरतलब है कि जांच के दौरान एक रिपोर्ट में फर्जीवाड़े को छिपाने की कोशिश भी सामने आई, लेकिन एसडीएम व कलेक्टर की रिपोर्ट में सच्चाई उजागर हो गई।

ग्रामीणों में आक्रोश

ग्रामवासियों का कहना है कि 16 लाख की रिकवरी और अनुशासनात्मक नोटिस पर्याप्त नहीं, और इस मामले में आरोपियों पर "अमानत में खयानत" के तहत IPC/भारतीय न्याय संहिता की धारा 420 (धारा 318) में FIR होनी चाहिए ताकि संगठित भ्रष्टाचार पर रोक लगे।

प्रशासन का बयान

कलेक्टर हरेंद्र नारायण ने कहा कि जांच जारी है, रिकवरी के लिए सरपंच, सचिव, इंजीनियर सहित 5 लोगों को नोटिस जारी किया गया है।

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