यात्रीगण ध्यान दें: रानी कमलापति स्टेशन की शान बढ़ाएगा 1991 का नैरो गेज इंजन, 30 साल बाद हुआ रिटायर

Narrow Gauge Engine Rani Kamlapati
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रानी कमलापति स्टेशन पर 15 अगस्त से दिखेगा 1991 का ऐतिहासिक नैरो गेज इंजन

भोपाल के रानी कमलापति रेलवे स्टेशन पर 15 अगस्त से 1991 में बना नैरो गेज इंजन लोगों को लुभाएगा। रेलवे ने इसे धरोहर का दर्जा देकर आम जनता के लिए प्रदर्शित करने की तैयारी कर ली है।

कपिल देव श्रीवास्तव, भोपाल

मध्य रेलवे ने अपनी ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने की दिशा में एक और सराहनीय पहल की है। अब राजधानी भोपाल के रानी कमलापति रेलवे स्टेशन पर 15 अगस्त 2025 से एक ऐतिहासिक नैरो गेज इंजन को सार्वजनिक प्रदर्शनी के रूप में रखा जाएगा। इस इंजन को वर्ष 1991 में बनाया गया था और लगभग तीन दशकों तक रेलवे सेवा में रहने के बाद अब इसे रिटायर किया गया।

22 टन वजनी इंजन को मिला धरोहर का दर्जा

यह इंजन ZDM5 श्रेणी का है और इसका लोको नंबर 514 है। इस इंजन को रेलवे ने 3 नवंबर 2023 को आधिकारिक रूप से धरोहर घोषित किया। 3 जून 1991 को इसने अपनी पहली यात्रा की थी और लंबे समय तक धौलपुर रूट पर नैरो गेज ट्रेनों का संचालन किया। एक अप्रैल 2019 को इसे सेवानिवृत्त कर दिया गया और आखिरी बार इसे 30 मार्च 2023 को चलाया गया।

धौलपुर से भोपाल तक की ऐतिहासिक यात्रा

धौलपुर से लाए गए इस इंजन को NCR लोको शेड में संरक्षित रखा गया था। इसके बाद 23 जुलाई 2025 को इसे रानी कमलापति स्टेशन लाया गया और मुख्य प्रवेश द्वार पर प्रदर्शनी हेतु स्थापित किया गया है। अब यह इंजन आम जनता के लिए एक आकर्षण का केंद्र बनेगा, जो रेलवे इतिहास से जुड़ी भावनाओं को ताजा करेगा।

नैरो गेज इंजन की क्या है खासियत?

नैरो गेज इंजन की पटरी की चौड़ाई महज 762 मिमी होती है, जो सामान्य ब्रॉड गेज की तुलना में काफी कम है। ऐसे इंजन खास तौर पर पहाड़ी और ग्रामीण क्षेत्रों में उपयोग में लाए जाते थे। इस विरासत को संरक्षित कर रेलवे ने नई पीढ़ी को भारतीय रेलवे की तकनीकी यात्रा से जोड़ने का एक शानदार उदाहरण प्रस्तुत किया है।

अगर आप रानी कमलापति स्टेशन से गुजरें, तो इस ऐतिहासिक इंजन के सामने एक फोटो लेना न भूलें – यह भारतीय रेलवे के सुनहरे अतीत की एक अनमोल झलक है।

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