BEML कोच फैक्ट्री: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया भूमिपूजन, 5,000 युवाओं को मिलेगा रोजगार

रायसेन: उमरिया में BEML कोच फैक्ट्री की जानकारी लेते रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ।
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रायसेन: उमरिया में BEML कोच फैक्ट्री की जानकारी लेते रक्षामंत्री राजनाथ सिंह । 
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने मध्यप्रदेश के रायसेन जिले के उमरिया में ग्रीनफील्ड रेल कोच फैक्ट्री का भूमिपूजन किया। इस परियोजना से रेलवे का ईकोसिस्टम और राज्य का औद्योगिक विकास तेज़ होगा।

BEML Rail Coach Factory Raisen: मध्यप्रदेश में रायसेन जिले के उमरिया में आज (रविवार, 10 अगस्त 2025) को ग्रीनफील्ड रेल कोच फैक्ट्री (Rail Coach Factory) की नींव रखी गई। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भूमिपूजन किया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मंच पर मौजूद रहे। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने वर्चुअल संबोधन में कहा, BEML रेलवे का मजबूत पार्टनर बनकर इस परियोजना में अहम भूमिका निभाएगा।

रेलवे और प्रदेश के लिए बड़ा कदम

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, फैक्ट्री के बनने से रेलवे ईकोसिस्टम को मजबूती मिलेगी। मध्यप्रदेश में औद्योगिक विकास और रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे। साथ ही अत्याधुनिक तकनीक से कोच निर्माण में आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा मिलेगा।

शिवराज सिंह चौहान का संबोधन

शिवराज सिंह चौहान ने ऑपरेशन सिंदूर का ज़िक्र कर कहा, पहलगाम में धर्म पूछकर 26 पर्यटकों को मारने वाले आतंकवादियों का सफाया हो गया है। उन्होंने किसानों, मछुआरों और पशुपालकों के हित सुरक्षित रहने का आश्वासन दिया। कहा, स्वदेशी आंदोलन के जरिए भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का संकल्प पूरा करेंगे।

BEML रेल कोच फैक्ट्री की खासियत

  • लोकेशन: ग्राम उमरिया, रायसेन (भोपाल सीमा के पास)
  • क्षेत्रफल: 60 हेक्टेयर
  • लागत: ₹1800 करोड़
  • उत्पादन क्षमता: 125–200 कोच प्रतिवर्ष
  • 5 वर्ष बाद लक्ष्य: 1,100 कोच प्रतिवर्ष
  • उत्पाद: वंदे भारत, अमृत भारत और मेट्रो ट्रेन कोच
  • रोजगार: 5,000 से अधिक युवाओं का मिलेगा रोजगार
  • लाभान्वित जिले: भोपाल, रायसेन, सीहोर, विदिशा, मंडीदीप औद्योगिक क्षेत्र

मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा, यह परियोजना मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत की भावना का सशक्त उदाहरण है। संयंत्र में उपयोग होने वाली ज्यादातर तकनीक और सामग्री भारत में ही निर्मित होगी, जिससे विदेशी निर्भरता कम होगी।

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