प्रोजेक्ट चीता को झटका: कूनो नेशनल पार्क में मादा चीता शावक की मौत

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प्रोजेक्ट चीता को झटका: कूनो नेशनल पार्क में मादा चीता शावक की मौत

कूनो नेशनल पार्क में 20 महीने की मादा चीता शावक मृत मिली। तेंदुए से संघर्ष आशंका, प्रोजेक्ट चीता की चुनौतियां और अब तक का पूरा सफर जानें।

भारत का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट चीता एक बार फिर मुश्किलों में घिर गया है। मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क (केएनपी) से बुरी खबर आई है, जहां 20 महीने की एक मादा चीता शावक जंगल में मृत मिली। पार्क अधिकारियों ने सोमवार रात करीब 9 बजे एक प्रेस नोट जारी कर इसकी आधिकारिक पुष्टि की। यह घटना सोमवार को हुई, जब पार्क स्टाफ ने जंगल में चीते का शव देखा।

यह मादा चीता शावक 21 फरवरी 2025 को अपनी मां ज्वाला और तीन भाई-बहनों के साथ जंगल में रिलीज किया गया था। वह एक महीने से ज्यादा समय पहले अपनी मां से अलग हो चुकी थी और कुछ दिनों पहले ही अपने भाई-बहनों को भी छोड़ चुकी थी। जंगल में अकेली घूम रही यह शावक युवा होने के कारण ज्यादा जोखिम में थी।

मौत का संभावित कारण: प्रारंभिक जांच में लगता है कि मौत तेंदुए से झड़प के कारण हुई। शव पर चोट के निशान मिले हैं। हालांकि, सटीक वजह पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने पर ही स्पष्ट होगी।

वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, जंगल में तेंदुए और चीतों के बीच क्षेत्रीय विवाद आम है, खासकर जब चीते युवा और अकेले होते हैं। चीते तेज दौड़ने वाले होते हैं, लेकिन तेंदुए ज्यादा मजबूत और छिपकर हमला करने वाले होते हैं।

कूनो नेशनल पार्क में चीतों की स्थिति

  • कूनो नेशनल पार्क के डीएफओ आर. थिरुकुराल के मुताबिक, पार्क में अभी कुल 25 चीते हैं।
  • इनमें 9 वयस्क अफ्रीकी चीते 6 मादा और 3 नर (ये नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए हैं)।
  • 16 भारतीय मूल के चीते: ये सभी पूरी तरह स्वस्थ हैं और कुछ ने यहां जन्म लिया है।

यह आंकड़ा प्रोजेक्ट चीता की कुछ प्रगति दिखाता है, लेकिन लगातार हो रही मौतें चिंता बढ़ा रही हैं।

प्रोजेक्ट चीता का सफर

शुरुआत: प्रोजेक्ट चीता 2022 में शुरू हुआ था। 17 सितंबर 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नामीबिया से 8 चीतों को कूनो में रिलीज किया। यह भारत में चीतों की 70 साल बाद वापसी का प्रतीक था (चीते 1952 में भारत में विलुप्त हो गए थे)।

विस्तार: 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते लाए गए। कुल 20 चीते अफ्रीका से ट्रांसलोकेट किए गए। अब प्रोजेक्ट को मध्य प्रदेश के गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य और राजस्थान के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व तक फैलाने की योजना है।

क्षेत्र: कूनो नेशनल पार्क 748 वर्ग किलोमीटर में फैला है, जो श्योपुर जिले में चंबल नदी के किनारे स्थित है। यहां बाघ, तेंदुआ और अन्य वन्यजीव भी हैं। पार्क में घास के मैदान और शिकार की उपलब्धता चीतों के लिए उपयुक्त है, लेकिन तेंदुओं की मौजूदगी चुनौती बनी हुई है।

चुनौतियां और मौतों का आंकड़ा

पिछले दो सालों में कम से कम 10 चीतों की मौत हो चुकी है।

प्रमुख कारण: शिकार के दौरान चोट: चीते शिकार करते समय घायल हो जाते हैं।

बीमारी: परजीवी संक्रमण, किडनी फेलियर या हृदय संबंधी समस्याएं।

प्रजाति-अंतर्गत झगड़े: चीतों के बीच लड़ाई।

अन्य: तेंदुए से संघर्ष, डूबना या मैगॉट संक्रमण।

विशेषज्ञों का कहना है कि अफ्रीकी चीते भारतीय जंगल के मौसम (खासकर मानसून) और शिकारियों से तालमेल बिठाने में मुश्किल महसूस कर रहे हैं। प्रोजेक्ट ने शुरुआत में ही 50% मौतों की उम्मीद की थी, लेकिन ये घटनाएं प्रोजेक्ट की सफलता पर सवाल उठा रही हैं।

फिर भी, भारतीय जन्मे चीते स्वस्थ हैं और प्रजनन दर अच्छी है (कुछ मामलों में विश्व रिकॉर्ड स्तर की)।आगे की राहसरकार ने चीतों को रेडियो कॉलर से ट्रैक करने, बाड़ लगाने और नए क्षेत्रों में रिलीज करने जैसे कदम उठाए हैं।

विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि तेंदुओं को नियंत्रित करने और चीतों को धीरे-धीरे रिलीज करने से सफलता मिल सकती है। प्रोजेक्ट चीता न सिर्फ चीतों को बचाने का प्रयास है, बल्कि भारत की जैव विविधता को मजबूत करने का भी।

उम्मीद है कि आने वाले समय में ये मौतें कम होंगी और चीते भारत के जंगलों में फलते-फूलते नजर आएंगे।

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