AIIMS Bhopal: एम्स भोपाल में दुर्लभ और जटिल जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित बच्चों का सफल इलाज, तीन बच्चों को मिला नया जीवन

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AIIMS Bhopal: एम्स भोपाल में पहली बार दुर्लभ और जटिल जन्मजात हृदय की बीमारी से ग्रस्त 3 बच्चों का जीवन बिना ऑपरेशन किये उनको सुरक्षित बचाया गया।

AIIMS Bhopal: एम्स भोपाल में पहली बार दुर्लभ और जटिल जन्मजात हृदय की बीमारी से ग्रस्त 3 बच्चों का जीवन बिना ऑपरेशन किये उनको सुरक्षित बचाया गया। यह इलाज एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रोफेसर (डॉ ) अजय सिंह के मार्गदर्शन में किया गया। इसमें अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर भूषण शाह और उनकी टीम की भूमिका रही।

एम्स के डॉक्टरों की टीम ने दो बच्चों जिसकी उम्र 1 साल से भी कम थी और तीनों ही ह्रदय की गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। पहले मामले में 2 महीने की बच्ची जिसका वजन 2kg था। उसके ह्रदय की दोनो धमनियां जुड़ी हुई थी। डॉक्टरों ने बताया कि पेटेंट डक्टस आर्टेरियोसस (पी डी ए) हृदय की जन्मजात खराबी है, जो कि तब होती है जब जन्म के समय भ्रूण की पल्मोनरी धमनी और एओर्टा के बीच का सामान्य चैनल बंद नहीं होता।

ऑपरेशन करना नामुमकिन
इस बीमारी के कारण बच्चों का हार्ट फेल होने की स्थिति में था। ऐसे में ऑपरेशन करना लगभग नामुमकिन था क्योंकि बच्ची की जान भी जा सकती थी। कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर भूषण शाह ने इकोकार्डिओग्राफी की मदद से कमर की एक नस के माध्यम से नीतिनोल डिवाइस के द्वारा बिना सर्जरी के इस चैनल को बंद किया। इस प्रक्रिया के बाद बच्ची मां का दूध भी पीने लगी और हर्ट फेलियर के लक्षण भी कम होने लगे। केवल तीन दिनों के बाद ही उसे अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई।

11 महीने की बच्ची को मिला जीवनदान
इसी प्रकार एक और प्रक्रिया 11 महीने के बच्चे में भी की गई। एम्स भोपाल आने से पहले उसे देश के कई बड़े अस्पतालों में भी दिखाया गया था। लेकिन बच्चे की कम उम्र को देखते हुए डॉक्टरों ने उसके इलाज से मना कर दिया। इस दौरान एम्स भोपाल के डॉक्टरों ने बिना ऑपरेशन किये नीतिनोल डिवाइस के माध्यम से बच्चे को जीवन दान दिया है ।

तीसरे मामले में 3 वर्षीय बच्चे में दोनों हर्ट चेंबर के बीच एक छेद होने के कारण हृदय से ऑक्सीजन युक्त रक्त पूरे शरीर में नहीं पहुंच पा रहा था। इसे वीएसडी या वेंट्रिकुलर सेप्टल दोष कहते हैं। यह एक ऐसी स्थिति है जब दिल के दो निचले कक्षों के बीच की दीवार में एक छेद हो जाता है। नीतिनोल डिवाइस से इस छेद को बंद करने में ह्रदय की गति धीमी होने की सम्भावना बनी रहती है।

बिना सर्जरी के किया इलाज
कार्डियोलॉजिस्ट डॉ भूषण शाह ने उपयुक्त आकार के नीतिनोल डिवाइस को बिना सर्जरी के धमनी के माध्यम से कुशलता पूर्वक हर्ट चेंबर तक पहुंचाकर उस छेद को सफलतापूर्वक बंद कर बच्चे को एक नया जीवन प्रदान किया। एम्स भोपाल में पहली बार ह्रदय रोग से ग्रस्त इतने कम वजन के बच्चों का नीतिनोल डिवाइस के माध्यम से इलाज किया गया है। इन मामलों में कार्डियक एनेस्थीसिया टीम ने डाक्टर पूजा सिंह के नेतृत्व में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

एम्स ने निदेशक ने डॉक्टरों की टीम को दी बधाई
सभी तीनों बच्चों का इलाज आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत पूर्णतया निशुल्क किया गया और अब यह सभी बच्चे स्वस्थ हैं। एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) अजय सिंह ने नई चुनौतियों का सामना करने और सर्वोत्तम रोगी देखभाल के लिए पूरी टीम को बधाई दी है।

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