Jabalpur School Action : जांच के दायरे में जबलपुर के 276 स्कूल, कलेक्टर बोले- डायरेक्टर गलतियां सुधारें तो प्रशासन सहयोग करेगा  

Jabalpur School Action
X
स्कलों प्रबंधकों पर बोले जबलुपर कलेक्टर
Jabalpur School Action : जबलपुर की 1037 में से 276 स्कूल जांच के दायरे में हैं। कलेक्टर दीपक सक्सेना ने हरिभूमि के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी को बताया कि जहां सर्वाधिक ज्यादा बच्चे हैं, सबसे पहले वहां जांच करेंगे। डायरेक्टर गलतियां सुधार लें तो प्रशासन सहयोग करेगा।  

Jabalpur School Action : हम एक ऐसे शख्स से संवाद करने जा रहे हैं जो वरिष्ठ आईएएस हैं, जिनकी स्कूल प्रबंधकों पर की गई कार्रवाई से जबलपुर जिले में 11 स्कूल संचालकों के ऊपर एफआईआर दर्ज हो गई। 20 से अधिक स्कूलों के संचालक गिरफ्तार हो गए। फीस के तकरीबन 81 करोड़ अभिभावकों को लौटाने के निर्देश जारी हो गए। यह कार्रवाई जारी है। ये हैं दीपक कुमार सक्सेना।

जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना का कहना है कि शासन के सख्ती के निर्देश हैं तो सख्त कार्रवाई हो रही है। प्रायः सभी स्कूल प्रबंधकों ने कहीं न कहीं, किसी न किसी स्तर पर गड़बड़ियां की हैं। बताया कि प्रभावशाली लॉबी के प्रति कार्रवाई करने का हौसला शिक्षा विभाग के अफसरों के पास नहीं था। उन्हें शक्ति की आवश्यकता है। जैसे ही जिला प्रशासन और राज्य शासन के माध्यम से शक्ति मिली, उन्होंने बहुत अच्छी कार्रवाई की।

एक दिन में 350 से अधिक शिकायतें
जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने हरिभूमि और आईएनएच' न्यूज चैनल के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी से 'खास मुलाकात' कार्यक्रम में बताया कि स्कूल वालों का इतना दबाव है कि कोई शिकायत नहीं करता। वॉट्सएप नंबर जारी किया तो एक दिन में 350 से अधिक शिकायतें मिल गईं। अब जिस स्कूल में सबसे ज्यादा बच्चे हैं, हम सबसे पहले वहां पर जांच करेंगे।

जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना से बातचीत के प्रमुख अंश

सवाल : किससे नाराज होकर अपने यह कदम उठाया कि पूरे देश में आपकी चर्चा हो रही है?
जवाब : न मेरी किसी से नराजगी है, न ही द्वेष राज्य शासन के निर्देश में, सीएम के निर्देश थे। उन्हें निजी स्कूलों से फीस, यूनिफॉर्म और किताबों की गड़बड़ियों को लेकर लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि जांच की जाए। अप्रैल में सीएम ने ट्वीट किया और जबलपुर की दृष्टि से 19 अप्रैल को चुनाव के प्रथम चरण से थे। इस कारण हम अन्य जिलों की तुलना में जल्दी जांच करने में समर्थ हो सके। हालांकि, देवास और कटनी में जबलपुर से पहले कार्रवाई हुई है। जबलपुर में बड़े पैमाने पर कार्रवाई हुई, इसलिए इसकी चर्चा ज्यादा है।

सवाल : अड़‌चनें पहले भी थीं, लेकिन सीएम ऐसे मिले जो इन गड़बड़ियों पर अंकुश लगाना चाहते थे, क्या इसलिए कार्रवाई की गई?
जवाब : मैंने 5 जनवरी को ज्वाइनिंग की। शासन और सीएम के निर्देश आने से पहले मेरे पास किसी स्कूल के संबंध में शिकायत नहीं थी। जैसे ही निर्देश आए तो हमने पूछा शिकायतें हम तक क्यों नहीं आतीं। तब पता चला कि स्कूल वालों का बहुत दबाव है। कोई शिकायत नहीं करता। हमने कलेक्टर का व्हाट्सएप नंबर जारी किया। जिसमें पहले दिन ही 350 से अधिक शिकायतें मिल गईं। तब समझ में आया कि शिकायतों को विशेष प्रयोजन से दबाया गया है।

देखें पूरा साक्षात्कार..



सवाल : 350 शिकायतों में से 11 स्कूलों पर कार्रवाई की गई आगे और कितने स्कूल रडार पर हैं।
जवाब : 1037 स्कूलों में से 75 स्कूलों की शिकायतें मिली हैं। 35 में प्राथमिक जांच हो चुकी है। जांच में पता चला है कि बड़े पैमाने पर नियमों का उल्लंघन हुआ है। प्रायः सभी ने कहीं न कहीं, किसी न किसी स्तर पर गड़बड़ी की है। जांच के दायरे में 276 स्कूल हैं, जहां पर 500 से अधिक विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। इन स्कूलों को जांच के दायरे में लिया है। हमने निर्णय लिया है कि जिस स्कूल में सबसे ज्यादा बच्चे हैं, हम सबसे पहले वहां जांच करेंगे। चुनाव की प्रक्रिया समाप्त होने के बाद हम इस कार्रवाई को आगे बढ़ाएंगे।

सवाल : 11 एफआईआर में 51 लोगों को आरोपी बनाया गया, 21 को गिरफ्तार कर लिया। यह कार्रवाई तो स्कूल शिक्षा विभाग को करनी थी। जिन्होंने यह गड़बड़ियां होने दी। उन पर आपका कहर कब टूटेगा?
जवाब : 25 जनवरी 2018 से यह एक्ट लागू हुआ था। इस एक्ट के नियम 2020 में बनकर तैयार हुए थे। इसके बाद कोविड महामारी के चलते दो साल तक स्कूल बंद रहे। इसलिए जिस तरीके से एक्ट को लागू होना था, वह लागू नहीं हो पाया। एक वर्ष विधानसभा चुनाव में चला गया। इस लिहाज से विभिन्न परिस्थितियों के चलते एक्ट लागू होने का सही समय अभी आया है। उस नजरिए से इसे देखा जाना चाहिए।

सवाल : क्या आप मानते हैं कि स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों के प्रश्रय से यह गड़‌बड़ियां चलती आ रही थीं?
जवाब : निजी स्कूलों के रेगुलेशन के बारे में जो नियम जारी हुए हैं, वह 2018 के बाद जारी हुए। उसके पहले रेग्युलेशन्स नहीं थे। निजी स्कूलों की लॉबी बहुत प्रभावशाली है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों के पास कितना काम, ज्ञान और प्रशिक्षण है, यह सभी जानते हैं। मेरे पास जो शिक्षा विभाग के अधिकारी हैं, उनके पास 1200 से अधिक सरकारी स्कूलों और 1000 निजी स्कूलों का दायित्व है। मैं समझता हूं कि एक प्रभावशाली लॉबी के प्रति कार्रवाई करने का इतना हौसला नीचे स्तर के शिक्षा विभाग के अधिकारियों के पास नहीं था। उनको शक्ति की आवश्यकता थी जांच करने के लिए। जैसे ही उन्हें जिला प्रशासन और राज्य शासन के माध्यम से जांच करने की शक्ति मिली, उन्होंने बहुत अच्छी जांच और कार्रवाई की।

सवाल : प्रभावशाली स्कूल संचालकों के नेताओं से संपर्क होंगे ही, कई नेताओं के फोन आ रहे होंगे, इन नेताओं से कैसे निपट रहे हैं?
जवाब : नेताओं के बारे में इस तरह की राय अलत होती है। जबलपुर के 90 प्रतिशत लोग कार्रवाई से खुश हैं और समर्थन कर रहे हैं। सरकार से जुड़े जनप्रतिनिधि भी इनमें शामिल हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश पर ही सारी कार्रवाई हो रही हैं। कार्रवाई रोकने व उसमें अवरोध पैदा करने जैसा कोई दबाव नहीं है। किसी जनप्रतिनिधि का इसके लिए फोन नहीं आया। सभी जनप्रतिनिधियों ने इस कार्रवाई को सराहा है।

सवाल : जनप्रतिनिधियों का फोन न आने का कारण सीएम के निर्देश पर हो रही कार्रवाई है तो उसमें अडंगा कौन डाले?
जवाब : मुझे लगता है कि जनता की भावना है कि शिकायतों पर कार्रवाई होनी चाहिए। जनप्रतिनिधि हमेशा बहुसंख्यक जनता के साथ रहना पसंद करते हैं।

सवाल : आंकड़ों के अनुसार इन स्कूलों को। 130 दिन में 81 करोड़ 130 लाख रुपए लौटाने हैं। इस दिशा में कितनी प्रगति हुई है?
जवाब : अभी जो मुसीबत उन पर आई है, वह उससे निपटने की तैयारी कर रहे हैं। 30 दिन का समय है तो कहीं से ऐसी शुरुआत नहीं हुई है। मेरे पास आए एक व्यक्ति ने बताया है कि उनके पास स्कूल का एसएमएस आया है कि 30 हजार रुपए फीस ली है और कलेक्टर के आदेश के बाद 19000 रुपए फीस बनती है, शेष फीस हम वापस कर रहे हैं। 30 दिन का समय है। स्कूल संचालक खुद से रुपए वापस करते हैं तो बहुत अच्छी बात है। यदि अपील करते हैं तो अपील के बाद जो युक्तिसंगत कार्रवाई होगी की जाएगी।

सवाल : इस तरह के निर्णयों पर लोग स्टे लेने के लिए कोर्ट का रुख करते हैं, क्या आपने कैविएट लगाई है ताकि कोर्ट आपका पक्ष जान सके?
जवाब : याचिकाएं हाईकोर्ट में लग चुकी हैं। जिला न्यायालय में तो प्रकरण चल ही रहा है। प्रकरण में सुनवाई जारी है। महाधिवक्ता कार्यालय ने पूरी जानकारी हमसे ली है। वह संजीदगी के साथ इन प्रकरणों को लड़ रहे हैं।

सवाल : क्या आपको लगता है कि इस संबंध में स्कूल संचालकों को कोई राहत मिलेगी?
जवाब : हमने जनहित में न्यायसंगत, विधि संगत फैसला लिया है। इसे व्यापक स्तर पर समर्थन मिल रहा है। हमने विधिसंगत कार्रवाई की है। घर-घर में इसके सबूत हैं। हर स्कूल के बच्चों और अभिभावकों को पता है कि स्कूल में किस तरह से फीस वसूली जा रही है। किताब कापी कैसे ली जा रही है। यूनिफॉर्म में कितनी कमीशनबाजी है। यह सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं है। हर घर की कहानी है। इसलिए मुझे लगता है बहुत पुख्ता कार्रवाई है। स्कूल प्रबंधन ने नियमों का काफी उल्लंघन किया है। उन्हें अपनी कार्यपद्धति में सुधार लाना पड़ेगा।

सवाल : अन्य जिलों के कलेक्टरों की इस संबंध में क्या प्रतिक्रिया रही?
जवाब : कई कलेक्टर जानना चाह रहे हैं कि किस लाइन पर जबलपुर जिले ने कार्रवाई की है। प्रमुख सचिव ने भी जो लाइन ऑफ एक्शन जबलपुर जिले को दिए हैं, उस संबंध में चर्चा की है। एक जगह कोई काम होता है तो सब लोग उससे सीखते हैं। हम सब टीमवर्क के रूप में काम करते हैं। भविष्य में अन्य जिले जो अच्छी कार्रवाई करते है या करेंगे जबलपुर जिला अनुसरण करेगा।

सवाल : सीएम के निर्देश पर कार्रवाई की है, क्या उनका इस संबंध में आपके पास कोई फोन आया?
जवाब : बहुत सारी बातें में सामान्य तौर पर नहीं कह सकता, लेकिन सीएम ने ट्वीट में यह बात कही है कि निजी स्कूल प्रबंधक यदि गड़बड़ी कर रहे हैं तो सरकार उन्हें बख्शेगी नहीं। मुझे लगता है कि जबलपुर की कार्रवाई का अनुसरण अन्य जिलों में भी किया जाएगा। मुख्यमंत्री का संदेश बहुत स्पष्ट है, राज्य शासन के निर्देश बहुत स्पष्ट हैं। फीस और किताबों के बारे में मनमानी पर रोक लगनी चाहिए।

सवाल : आपकी कार्रवाई के बाद लोग विदेश न भाग जाएं, क्या इस संबंध में निगाह रख रहे है?
जवाब : स्कूल का इतना बड़ा काम है कि लोग इसे छोड़कर नहीं जाएंगे। जिन लोगों को हमने आरोपी बनाया हैं, उसमें से कुछ लोग छुट्टियों के चलते विदेश में ही हैं। उनके मैसेज आए हैं कि हमे तो पता ही नहीं था क्या हो गया। हमारी जमानत हो पाएगी या नहीं? गिरफ्तारी की क्या स्थिति रहेगी? तो हम आ जाएं। प्रशासन सुधरने का पूरा मौका दे रहा है। हम कहते हैं कि आप अपनी गलती सुधार लें तो प्रशासन सहयोग करेगा। 11 के बाद हम 12वीं एफआईआर दर्ज करने की जल्दी में बिलकुल नहीं हैं। हम चाहते हैं कि लोग इस बात को गंभीरता से लें और गलतियों को सुधारे, स्कूल की छवि सुधारें और विद्यार्थियों को राहत दें।

WhatsApp Button व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp Logo
Next Story