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कांग्रेस ने MP की 29 में से 10 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। 8 नए चेहरों को मौका दिया है। कांग्रेस ने इन 10 नेताओं को क्यों टिकट दिया? जमीनी स्तर पर इन प्रत्याशियों की कितनी पकड़ है? हरिभूमि की एनालिसिस रिपोर्ट में जानें सबकुछ।

भोपाल। मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए 29 में से 10 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। 8 नए चेहरों को चुनावी रण में उतारा है। 3 विधायकों को भी मौका दिया है। भिंड, देवास और टीकमगढ़ अनुसूचित जाति (SC) जबकि मंडला, खरगोन, धार और बैतूल अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित हैं। छिंदवाड़ा, सीधी और सतना सीट अनारक्षित है। कांग्रेस ने 10 सीटों पर इन नेताओं को क्यों मौका दिया? राजनीति के मैदान में ये प्रत्याशी कितने और कब से सक्रिय हैं? हरिभूमि की एनालिसिस रिपोर्ट में जानें सबकुछ।

  1. छिंदवाड़ा: नकुलनाथ 
    पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के पुत्र हैं। अपने पिता की परंपरागत लोकसभा सीट छिंदवाड़ा से वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ा और जीते। छिंदवाड़ा कमलनाथ का गढ़ है। पैनल में नकुलनाथ का ही सिंगल नाम था।
  2. भिण्ड: फूल सिंह बरैया  
    2019 में कांग्रेस का दामन थामने वाले बरैया क्षेत्र के कद्दावर नेता हैं। कांग्रेस ने बरैया को राज्यसभा उम्मीदवार बनाया था। वर्तमान में ये भिण्ड विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं।
  3. टीकमगढ़: पंकज अहिरवार 
    पंकज युवा कांग्रेस से जुड़े रहे हैं। जतारा विधानसभा सीट से टिकट मांग रहे थे, लेकिन सफलता नहीं मिली। वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस अनूसचित जाति के उपाध्यक्ष हैं। नए चेहरा और युवा हैं। आंबेडकर मिशन परिषद के साथ अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों की मदद करते हैं।
  4. सतना: सिद्धार्थ कुशवाहा 
    कांग्रेस विधायक होने के साथ क्षेत्र के कद्दावर नेता हैं। ओबीसी वर्ग का चेहरा भी हैं। कांग्रेस ने सिद्धार्थ को वर्ष 2022 में महापौर का चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतारा। इस चुनाव में सिद्धार्थ को हार का सामना करना पड़ा था। 2023 में कांग्रेस ने कुशवाहा को सतना विधानसभा सीट से मैदान में उतारा। सिद्धार्थ ने गणेश सिंह को हराकर चुनाव जीता। गणेश भाजपा से 2024 में लोकसभा के उम्मीदवार हैं।
  5. सीधी: कमलेश्वर पटेल 
    कमलनाथ सरकार में कमलेश्वर मंत्री रहे हैं। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भी मैदान में थे, लेकिन चुनाव हार गए थे। अब कांग्रेस ने कमलेश्वर पर फिर से भरोसा जताते हुए लोकसभा के रण में उतारा है। पार्टी को उम्मीद है कि इस बार कमलेश्वर कुछ उलटफेर कर सकते हैं।
  6. मंडला: ओंकार मरकाम 
    ओंकार वर्तमान में कांग्रेस विधायक हैं। कमलनाथ सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। कांग्रेस की केन्द्रीय चुनाव समिति (सीईसी) के सदस्य भी हैं। आदिवासी नेता होने के साथ ही संगठन में सक्रियता बनी रहती है। क्षेत्र के कद्दावर नेता हैं। जमीनी स्तर पर ओंकार की पकड़ अच्छी है। 
  7. देवास: राजेन्द्र मालवीय 
    राजेन्द्र कांग्रेस के कद्दावर नेता और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे स्व. राधा किशन मालवीय के पुत्र हैं। राजेन्द्र दो बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। इस बार राजेन्द्र को लोकसभा सीट से टिकट मिला है। इस सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा का नाम भी चर्चा में रहा है।
  8. धार: राधेश्याम मुवेल 
    विधानसभा चुनाव में भी सक्रिय रहे हैं। मुवेल ने मनावर विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल किया था, बाद में मुवेल ने अपना नाम वापस ले लिया था। कांग्रेस ने राधेश्याम मुवेल को लोकसभा के रण में उतारा है। पार्टी को उम्मीद है कि राधेश्याम मुवेल इस चुनाव में बड़ा उलटफेर कर सकते है।  
  9. खरगौन: पोरलाल खरते
    पोरलाल स्टेट सेल्स टैक्स अधिकारी रहे हैं। वीआरए लेकर पोरलाल खरते ने राजनीतिक पारी की शुरुआत की। कांग्रेस ने पोरलाल को महामंत्री बनाया। विधानसभा चुनाव में पोरलाल खरगोन-बड़वानी लोकसभा क्षेत्र की सभी सीटों के लिए प्रचार-प्रसार समन्वयक रहे हैं। पोरलाल जमीनी स्तर पर काफी सक्रिय रहते हैं।  
  10. बैतूल: रामू टेकाम 
    टेकाम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के आदिवासी विभाग के अध्यक्ष हैं। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने टेकाम को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन टेकाम को हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस ने इस बार फिर से टेकाम पर भरोसा जताया है।
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