Damoh Fake Doctor: 7 मरीजों की जान लेने वाले नरेंद्र यादव का होगा पॉलीग्राफ टेस्ट, फर्जी डिग्री बनाने की मिली लैब  

Damoh fake doctor Narendra Yadav
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Damoh Fake Doctor: 7 मरीजों की जान लेने वाले नरेंद्र यादव का होगा पॉलीग्राफ टेस्ट, घर में मिली फर्जी डिग्री बनाने की लैब।
Damoh Fake Doctor Case: मध्य प्रदेश के दमोह में 7 मरीजों की जान लेने वाले फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट नरेंद्र जॉन केम को प्रयागराज स्थित जिस घर से गिरफ्तार किया गया है, वहां से फर्जी डिग्री बनाने वाली लैब मिली है।

Damoh Fake Doctor Case: मध्य प्रदेश के दमोह में 7 मरीजों की जान लेने वाले फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट नरेंद्र जॉन केम से जुड़े चौकाने वाले खुलासे हुए हैं। प्रयागराज स्थित जिस घर से उसे गिरफ्तार किया गया है, वहां से फर्जी डिग्री बनाने वाली लैब मिली है। इसके अलावा 12 आधार-पैन कार्ड, मोनोग्राम, वॉटरमार्क प्रिंटर और हाई-क्वालिटी पेपर जब्त किए गए हैं। ऐसे सवाल उठता है कि नरेंद्र यादव क्या फर्जी डिग्रियां भी बनाता था।

MBBS की पढ़ाई, बन गया कॉर्डियोलॉजिस्ट
फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट नरेंद्र जॉन केम दमोह के मिशन अस्पताल में प्रेक्टिस करता था। वह उत्तर प्रदेश के कानपुर का मूल निवासी है। पूछताछ में उसने अपना नाम नरेंद्र यादव बताया है। उसने सिर्फ एमबीबीएस तक की पढ़ाई की है। लेकन फर्जी डिग्रियां और अनुभव प्रमाण-पत्र बनाकर खुद को कॉर्डियोलॉजिस्ट बताने लगा।

कानपुर में भी हुई तलाशी
एफआईआर दर्ज होने के बाद नरेंद्र यादव प्रयागराज स्थित किराए के मकान में छिप गया था। पुलिस को वहां जांच पड़ताल में फर्जी डिग्री बनाने की मशीन मिली है। शुक्रवार को पुलिस उसे लेकर कानपुर गई थी। जहां तलाशी में 12 आधार-पैन कार्ड, मोनोग्राम, वॉटरमार्क प्रिंटर और हाई-क्वालिटी पेपर मिले।

नोएडा और तेलंगाना में भी FIR
डॉ नरेंद्र यादव के खिलाफ नोएडा और तेलंगाना में भी केस दर्ज किए गए हैं। दमोह पुलिस ने एफआईआर में बीएनएस की 6 धाराएं जोड़ी हैं। इनमें 10 साल तक की सजा का प्रावधान है। आज, रविवार को उसकी रिमांड पूरी होने पर कोर्ट में पेश किया जाएगा। जांच के लिए 5 सदस्यीय एसआईटी गठित की गई है। पुलिस ने पॉलीग्राफ के लिए हेडक्वार्टर पत्र भेजा है।

फरवरी में शिकायत, अप्रैल में FIR
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने बताया कि डॉ नरेंद्र यादव के खिलाफ फरवरी में शिकायत हुई, लेकिन एफआईआर अप्रैल में दर्ज की गई। इसमें मिशन अस्पताल का नाम भी नहीं है, जबकि मृतकों का उपचार इसी अस्पताल में हुआ है। ऐसे में अस्पताल प्रबंधन को राहत न्यायसंगत नहीं है।

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