भोपाल। आज हम आपको ऐसे मेले के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां मानसिक रोगियों का इलाज बाल खींचकर और झाड़ू मारकर होता है। मेला 400 वर्षों से भी ज्यादा समय से लग रहा है। मेले में प्रेत बाधा से पीड़ित, निसंतान दंपती और सर्पदंश से पीड़ित मरीज आते हैं, गुरु साहब बाबा की समाधि की परिक्रमा लगाने के बाद समाधि के सामने पहुंचते हैं और उनके शरीर में हलचल होने लगती है। मेले में बड़ी संख्या में पहुंचने वाले श्रद्धालु इसे अंधविश्वास नहीं बल्कि आस्था मानते हैं। गुरुवार को मेला शुरू हो चुका है। मंत्री नारायण सिंह पंवार ने मेले का उद्घाटन किया।
एक महीने तक चलेगा मेला
जानकारी के मुताबिक, मध्यप्रदेश के बैतूल के मलाजपुर में गुरु साहब बाबा का मेला 400 वर्षों से लग रहा है। मंत्री नारायण सिंह पंवार ने मेले का उद्घाटन कर दिया है। मेला एक महीने तक चलेगा। इस स्थान पर मेले के समय बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए जाते हैं। प्रेत बाधा से पीड़ित, निसंतान दंपती और सर्पदंश से पीड़ित मरीज मेले में आते हैं। मानसिक बीमार समाधि की परिक्रमा लगाने के बाद समाधि के सामने पहुंचते हैं और उनके शरीर में हलचल होने लगती है।
चरणामृत और भभूती भी दी जाती है
जानकारी के मुताबिक, मेले में बैठे पुजारी महिला मरीजों के बाल खींचकर पूछते हैं कि कौन सी बाधा है। उसके बाद गुरु साहब का जयकारा लगाते हैं। कई मरीजों को तो झाड़ू मारी जाती है। इसके बाद उन्हें चरणामृत और भभूत दी जाती है। मरीजों के परिजनों को लगता है कि उसका मरीज ठीक हो गया है, इसलिए लोगों का यहां विश्वास बढ़ता जा रहा है। लोग इस तरह से हो रहे इलाज को गुरु साहब बाबा की महिमा मानते हैं। जिसे आराम लगता है, उसे पूरा विश्वास हो जाता है। चिकित्सा विज्ञान इसे पूरी तरह से अंधविश्वास मानता है।
मंत्री ने कहा-दवा और दुआ दोनों काम आती है
मध्य प्रदेश शासन के मंत्री नारायण सिंह पंवार गुरुवार को मलाजपुर पहुंचे। मंत्री ने मेले का शुभारंभ किया। सवाल पूछने पर मंत्री ने कहा कि आस्था और अंधविश्वास दोनों है, लेकिन हम अंधविश्वास नहीं कह सकते हैं। आस्था ही कह सकते हैं। आस्था के कारण लोग यहां आते हैं। उदाहरण भी दिया पहले के समय लोग झाड़ फूंक से ठीक हो जाते थे। मंत्री ने फिर आगे कहा कि दवा और दुआ दोनों काम करती है।