बागेश्वर बाबा की पदयात्रा: धीरेन्द्र शास्त्री ने रामराजा सरकार के किए दर्शन; मंदिर में फहराई धर्म ध्वजा

Bageshwar Baba Padyatra
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बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की पदयात्रा का शुक्रवार (29 नवंबर) को आखिरी दिन ओरछा पहुंची। यहां राजाराम मंदिर में दर्शन के बाद बाबा बागेश्वर ने धर्म ध्वजा के साथ ही तिरंगा भी फहराया।

Bageshwar Baba Padyatra: बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की पदयात्रा का शुक्रवार (29 नवंबर) को नौवां दिन है। आखिरी दिन 'सनातन हिंदू एकता' यात्रा तिगैला से शुरू हुई। 8 किमी का सफर तय कर यात्रा ओरछा के रामराजा सरकार के दरबार पहुंची। पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने ओरछा के राम मंदिर में दर्शन किए। मंदिर से निकल कर धर्म ध्वजा और तिरंगा फहराया। हनुमान चालीसा के साथ यात्रा का समापन होगा। 21 नवंबर से शुरू हुई धीरेन्द्र की ने 152 किमी सफर तय की। शुक्रवार यानी अंतिम दिन यात्रा ने 8 किमी की दूरी तय की।

झांझ-मंजीरे की धुन पर लग रहे जय श्रीराम के नारे
धीरेंद्र शास्त्री ने शुक्रवार को शहीद स्मारक पहुंचकर चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। यात्रा में एक हजार से ज्यादा लोग चल रहे हैं। यात्रा रामराजा मंदिर की ओर पहुंची। झांकियों के साथ महिलाएं और पुरुष डीजे पर नाचते-गाते नजर आए। झांझ-मंजीरे की धुन पर जय श्रीराम के नारे लगाते हुए साथ चल रहे थे। यात्रा राजाराम दरबार पहुंची तो लोगों ने श्रद्धा के साथ जयकारे लगाए। समापन कार्यक्रम में करीब दो लाख लोग शामिल हुए।

अलवर से पैदल आया भक्त
धीरेंद्र शास्त्री का एक भक्त राजस्थान के अलवर से 11 दिन पैदल चलकर बागेश्वर धाम पहुंचा। फिर बागेश्वर धाम से ओरछा तक की 9 दिन की यात्रा की है। अलवर से लाई गई ध्वजा रामराजा दरबार में चढ़ाएंगे। पदयात्रा रामराजा मंदिर पहुंच तो भक्त श्रद्धा से भरकर जय श्री राम के नारे लगाने लगे। इसके बाद पं. धीरेंद्र शास्त्री समेत कुछ लोग अंदर गए और भगवान राम की पूजा की।

इस्कॉन एक सनातन संगठन
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण और चिंताजनक है। भारत सरकार को इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाना चाहिए। बांग्लादेश में हिंदुओं को सड़कों पर आना चाहिए और वहां की सरकार को जिम्मेदार ठहराना चाहिए। इस्कॉन एक सनातन संगठन है।

भीड़ और परेशानियों को देखते हुए जोखिम न उठाएं
पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने यात्रा के आखिरी दिन भक्तों को पदयात्रा में नहीं आने की अपील की। पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री न कहा कि पदयात्रा केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि समाज को जागरूक करने और हिंदू संस्कृति के प्रचार का प्रयास है। रामराजा सरकार की कृपा से यात्रा सफल हो रही है। बागेश्वर बाबा ने कहा कि जो भी लोग निजी वाहन, बस और ट्रेन से आ रहे हैं, वो वहीं रुक जाएं और यात्रा का लाइव देख लें। भीड़ और परेशानियों को देखते हुए जोखिम न उठाएं।

धीरेंद्र शास्त्री किस दिन कितना चले

  1. पं. धीरेंद्र शास्त्री ने 'सनातन हिंदू एकता' की शुरुआत 21 नवंबर से की थी। 21 को यात्रा बागेश्वर धाम से खजुराहो के लिए रवाना हुई। पहले दिन 15 किमी का सफर तय किया। कदारी के फार्मेसी कॉलेज में यात्रा रुकी।
  2. 22 नवंबर को कदारी से 17 किमी का सफर कर पेप्टेक टाउन पहुंची और यहीं रात्रि विश्राम हुआ।
  3. 23 नवंबर को पेप्टेक टाउन से 21 किलोमीटर का सफर तय कर यात्रा नौगांव के शांति कॉलेज पहुंची।
  4. 24 नवंबर को यात्रा नौगांव से देवरी बंधा से 22 किमी चलकर देवरी गेस्ट हाउस में रुकी।
  5. 25 नवंबर को पदयात्रा देवरी गेस्ट हाउस से 22 किमी चलकर ग्रामोदय मऊरानीपुर पहुंची।
  6. 26 नवंबर को मऊरानीपुर से 17 किमी का सफर तय कर यात्रा शारदा महाविद्यालय घुघसी में रुकी।
  7. 27 नवंबर को घुघसी से 17 किमी का सफर तय कर निवाड़ी के रेस्ट हाउस एरिया पहुंची।
  8. 28 नवंबर को निवाड़ी से 15.5 किमी सफर तय कर ओरछा के तिगैला पहुंची।
  9. 29 को सनातन एकता पदयात्रा तिगैला से 8 किमी चलकर रामराजा मंदिर पहुंची।
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