मौसम: एमपी में कमजोर पड़ा मानसून सिस्टम, 15 सितंबर के बाद फिर एक्टिव होने के आसार

MP Monsoon 2025: मध्यप्रदेश में फिलहाल मानसून की रफ्तार थम गई है। प्रदेश के ऊपर बना लो प्रेशर एरिया और मानसून ट्रफ अब कमजोर पड़ गया है, जिससे ज़्यादातर जिलों में बारिश कम हो गई है और धूप निकल रही है। मौसम विभाग के अनुसार यह स्थिति 15 सितंबर तक बनी रह सकती है। इसके बाद एक नया मजबूत सिस्टम सक्रिय होने की संभावना है, जिससे फिर से भारी बारिश का दौर शुरू हो सकता है।
इन जिलों में भारी बारिश का अलर्ट
हालांकि पूरे प्रदेश में बारिश की गतिविधि कमजोर है, लेकिन मंडला, डिंडौरी, अनूपपुर और बालाघाट जिलों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है। मौसम विभाग ने इन इलाकों में अगले 24 घंटों में 2.5 से 4.5 इंच तक वर्षा की संभावना जताई है।
डैमों के गेट खोले गए
लगातार हो रही बारिश के कारण कई प्रमुख बांधों के जलस्तर में वृद्धि हुई है। तवा डैम का जलस्तर बढ़कर 1165.80 फीट पहुंच गया है, जिससे बुधवार सुबह से तीन गेट खोलकर 26,034 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। भोपाल के भदभदा डैम, कलियासोत डैम और उमरिया के जोहिला डैम के गेट भी खोले गए हैं।
भोपाल में तेज बारिश के बाद जलभराव
भोपाल में मंगलवार को ढाई घंटे में 1.5 इंच बारिश दर्ज की गई। तेज बारिश के चलते बाणगंगा चौराहे समेत कई इलाकों में जलभराव की स्थिति बन गई। वहीं सागर, छिंदवाड़ा, मलाजखंड समेत 11 जिलों में हल्की से मध्यम बारिश दर्ज की गई।
अब तक सामान्य से 4.4 इंच ज्यादा बारिश
मध्यप्रदेश में अब तक 41.4 इंच बारिश हो चुकी है, जबकि इस अवधि तक औसतन 33.7 इंच बारिश होने की संभावना थी। यानी 7.7 इंच अतिरिक्त बारिश हो चुकी है। प्रदेश की सामान्य औसत बारिश 37 इंच मानी जाती है, जो पहले ही पार हो चुकी है।
बारिश का कोटा पूरा करने वाले 30 जिले
इन जिलों ने मानसून सीजन का कोटा पहले ही पूरा कर लिया है, जिनमें भोपाल, राजगढ़, रायसेन, ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, श्योपुर, दतिया, टीकमगढ़, निवाड़ी, सतना, सीधी, सिंगरौली, मंडला, सिवनी, बालाघाट, कटनी, पन्ना, विदिशा, अलीराजपुर, बड़वानी, रतलाम, मंदसौर, नीमच, भिंड, मुरैना, छतरपुर, उमरिया और आगर-मालवा जिले शामिल हैं।
सितंबर के मौसम का रुझान
- भोपाल: पिछले 4 वर्षों से औसत से अधिक बारिश हो रही है। इस बार भी बारिश ने कोटा पार कर लिया है।
- इंदौर: 1954 में सितंबर में 30 इंच का रिकॉर्ड। इस साल भी बारिश औसत से ज्यादा होने के आसार हैं।
- ग्वालियर: 1990 में 25 इंच बारिश का रिकॉर्ड; इस बार कोटा पहले ही अगस्त में पूरा हो गया है।
- जबलपुर: 1926 में एक दिन में 8.5 इंच बारिश का रिकॉर्ड। इस बार भी बारिश संतोषजनक रही है।
- उज्जैन: 1961 में सितंबर में ही पूरे मानसून का कोटा पूरा हो गया था। इस बार भी सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की जा रही है।
