Space Policy: डेडिकेटेड स्पेस-टेक पॉलिसी से MP में बढ़ेंगे रोजगार, रोडमैप तैयार; इंदौर में एक्सपर्ट ने दिए सुझाव

MP Space Policy 2025
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मध्य प्रदेश में डेडिकेटेड स्पेस-टेक पॉलिसी से बढ़ेंगे रोजगार, प्रतिभाओं को मिलेगा मंच

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 'एमपी टेक ग्रोथ कॉन्क्लेव' में स्पेस-टेक नीति की घोषणा की। IIT इंदौर में नीति निर्माण पर विशेषज्ञों संग विचार-विमर्श हुआ।

MP Space Policy 2025 : मध्यप्रदेश में तकनीकी नवाचारों को नया आयाम देने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की गई है। सीएम डॉ. मोहन यादव द्वारा ‘एमपी टेक ग्रोथ कॉन्क्लेव 2025’ में घोषित डेडिकेटेड स्पेस-टेक नीति के तहत राज्य अब खुद को भविष्य की स्पेस टेक्नोलॉजी और नवाचार का हब बनाने की दिशा में अग्रसर है। शनिवार को इसके लिए IIT इंदौर में एक्सपर्ट की वर्कशॉप हुई।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अपर मुख्य सचिव (ACS) संजय दुबे ने बताया कि स्पेस-टेक पॉलिसी अगस्त 2025 तक जारी की जाएगी। रोडमैप तैयार कर लिया गया है। IIT इंदौर में एमपी स्पेस-टेक नीति परामर्श: संभावनाएं और चुनौतियों पर हुई वर्कशॉप में 30 से अधिक विशेषज्ञों, शोध संस्थानों, स्टार्ट-अप्स और रक्षा अधिकारियों ने भाग लिया।

नीति बहुआयामी और नवाचार-केन्द्रित
ACS संजय दुबे ने बताया कि यह नीति केवल आधारभूत संरचना या प्रोत्साहन योजनाओं तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि यह राज्य की प्रतिभाओं को यहीं बनाए रखने और नवाचारों को प्रोत्साहित करने का कार्य करेगी। सरकार का ये कदम राज्य को स्पेस टेक्नोलॉजी, नवाचार और आत्मनिर्भरता के राष्ट्रीय मानचित्र पर प्रमुख स्थान दिलाएगा। इससे नवाचार, रोजगार और तकनीकी पारिस्थितिकी को मजबूती मिलेगी।

IIT इंदौर के विशेषज्ञों की राय

  1. IIT इंदौर के निदेशक प्रो. सुहास जोशी और R&D डीन प्रो. अभिरूप दत्ता ने बताया कि स्पेस-टेक केवल उपग्रह नहीं, बल्कि यह इंजीनियरिंग, डाटा मैनेजमेंट, मटेरियल साइंस और राष्ट्रीय क्षमताओं का एकीकृत रूप है। इससे क्रांतिकारी बदलाव संभव हैं।
  2. निदेशक प्रो. सुहास जोशी ने सुझाव दिया कि उज्जैन में ऑप्टिक्स व ऑप्टिकल कम्युनिकेशन क्लस्टर, क्षेत्रीय डाटा सेंटर, सैटेलाइट ग्राउंड स्टेशन और पेलोड निर्माण को प्रोत्साहन देना चाहिए।

साइबर सुरक्षा और स्किलिंग को प्राथमिकता
परामर्श में स्पेस सिस्टम में साइबर सुरक्षा, डोमेन स्पेसिफिक स्किलिंग और मेक इन इंडिया आधारित पेलोड निर्माण पर विशेष जोर दिया गया। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि रिमोट सेंसिंग और कोर स्पेस टेक्नोलॉजी के लिए अलग-अलग रणनीति अपनाई जाए।

प्रतिनिधियों की भागीदारी
विचार-विमर्श में इसरो-इन-स्पेस एमसीएफ भोपाल, DRDO-CAIR, NRSC, C-DOT, राजा रमन्ना उन्नत प्रौद्योगिकी केंद्र, IIT इंदौर, MCTE, SIA-India, Geo-Spatial Trade Promotion Council के विशेषज्ञों के अलावा स्टार्टअप्स स्पेक्ट्रागेज़, सोअरिंग एयरोटेक, ओमएग्री, अभ्युदय, अफर्मिटी कॉर्प के प्रतिभागी शामिल हुए।

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