सोफिया-मंत्री शाह मामला: सुप्रीम कोर्ट ने HC में सुनवाई पर लगाई रोक; SIT को जांच के लिए जुलाई तक दिया समय

Minister Shah's comment on Colonel Sofia case in Supreme Court
MP News : मध्यप्रदेश के वन मंत्री विजय शाह द्वारा कर्नल सोफिया कुरैशी पर की गई कथित टिप्पणी को लेकर चल रहे विवाद की सुनवाई बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई। इस गंभीर मामले की सुनवाई जस्टिस जेजे सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने की।
सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, कि 21 मई को SIT (विशेष जांच टीम) ने मौके पर जाकर जांच की और बयान देने वाली जगह का निरीक्षण किया। इस दौरान मोबाइल समेत कई अहम सबूत जुटाए गए और गवाहों के बयान भी दर्ज किए गए। कोर्ट ने कहा कि फिलहाल जांच शुरुआती चरण में है। सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट से भी आग्रह किया कि जब तक यह मामला शीर्ष अदालत में लंबित है, वह समानांतर सुनवाई न करे।
SIT को जांच के लिए जुलाई तक दिया समय
SIT ने तय तारीख को जांच रिपोर्ट जमा कर दी है, लेकिन टीम ने कुछ और समय मांगा है। कोर्ट ने इसकी मंजूरी देते हुए कहा कि अब इस केस की अगली सुनवाई जुलाई के पहले हफ्ते में की जाएगी।
वीडियो और सोशल मीडिया रिपोटर्स की स्टडी की
एसआईटी ने अदालत को अवगत कराया कि विवादित बयान का वीडियो भोपाल स्थित फॉरेंसिक साइंस लैब (एफएसएल) को भेजा गया था, लेकिन संसाधनों की कमी के चलते उसे वापस भेज दिया गया। साथ ही, एक पत्रकार का मोबाइल भी एफएसएल को भेजा गया है, जिसकी जांच अभी चल रही है। अब तक सात गवाहों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं और घटना से संबंधित वीडियो और मीडिया रिपोर्ट का विश्लेषण किया गया है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपनी रजिस्ट्री को निर्देश दिया था कि एसआईटी की स्टेटस रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लिया जाए। यह निर्देश न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने मंगलवार को जारी किया था।
बता दें, कि विजय शाह ने एक सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के संदर्भ में कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया था, जिसके बाद देशभर में विरोध और नाराजगी का माहौल बन गया था।
पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने राज्य पुलिस प्रमुख को निर्देश दिया था कि एक महिला आईपीएस अधिकारी सहित मध्य प्रदेश कैडर के तीन वरिष्ठ अधिकारियों की एक एसआईटी का गठन किया जाए, जो भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 152, 196(1)(बी) और 197 के तहत दर्ज एफआईआर की जांच करेगी।
अदालत ने 19 मई को आदेश दिया था कि एसआईटी का नेतृत्व पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) स्तर के अधिकारी करेंगे, जबकि शेष दो सदस्य पुलिस अधीक्षक या उससे उच्च पद पर होंगे। कोर्ट ने कहा था कि एफआईआर की जांच तत्काल प्रभाव से एसआईटी को सौंपी जाए।
अब एसआईटी की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दर्ज हो चुकी है और जांच पूरी करने के लिए समय दिए जाने की याचिका पर शीर्ष अदालत की अगली सुनवाई का इंतजार किया जा रहा है।