मध्यप्रदेश में हर जिले में बनेगी ‘सीन ऑफ क्राइम यूनिट’, अब क्राइम सीन पर मीडिया की एंट्री बैन

भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार ने अपराधों की वैज्ञानिक और सटीक जांच के लिए बड़ा फैसला लिया है। अब राज्य के हर जिले में ‘सीन ऑफ क्राइम यूनिट’ (Scene of Crime Unit – SOCU) गठित की जाएगी। इसके साथ ही गंभीर अपराधों के घटनास्थल पर मीडिया की एंट्री पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगी। जरूरत पड़ने पर पुलिस मीडिया को दूर रखने के लिए बल प्रयोग भी कर सकेगी।
यह निर्णय भारतीय न्याय संहिता के अंतर्गत लागू किए जा रहे नए आपराधिक कानूनों के तहत त्वरित और वैज्ञानिक जांच सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है। इसके लिए सभी जिलों को निर्देश एसएफएल (फॉरेंसिक साइंस लैब) के निदेशक शशिकांत शुक्ला ने जारी किए हैं।
हर जिले में बनेगी हाई-टेक SOCU टीम
नई यूनिट में शामिल होंगे—
फोटो यूनिट
फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट
डॉग स्क्वॉड
सीनियर वैज्ञानिक अधिकारी
यह टीम गंभीर अपराधों की घटनास्थल पर रीक्रिएशन, साक्ष्य एकत्रीकरण और विस्तृत फोरेंसिक जांच करेगी। सात साल या उससे अधिक सजा वाले अपराधों में यह जांच अनिवार्य होगी।
क्राइम सीन पर मीडिया की एंट्री बैन
निर्देशों में साफ कहा गया है कि-“घटनास्थल की गोपनीयता और साक्ष्यों की सुरक्षा के लिए मीडिया और प्रेस कर्मियों को क्राइम सीन से दूर रखना आवश्यक है। अनधिकृत प्रवेश रोकने के लिए पुलिस बल की मदद ली जा सकती है।”
SOCU टीम को स्थल पर पहुंचते ही यह सुनिश्चित करना होगा कि- पुलिस स्टाफ के लिए कोई खतरा न हो, स्थल को सुरक्षित कर तुरंत घेराबंदी की जाए, कोई भी व्यक्ति साक्ष्यों से छेड़छाड़ न कर सके।
सीन ऑफ क्राइम यूनिट क्या करती है? – इसके मुख्य काम
सीन ऑफ क्राइम यूनिट अपराध स्थल से फोरेंसिक साक्ष्य खोजने, सुरक्षित रखने और जांच एजेंसियों तक पहुंचाने का अत्यंत महत्वपूर्ण काम करती है। इसके प्रमुख कार्य—
1. साक्ष्य की पहचान
डीएनए, खून के धब्बे, बाल, फिंगरप्रिंट, फुटप्रिंट जैसी फोरेंसिक सामग्री का पता लगाना।
2. साक्ष्य का संग्रह
कानूनी प्रक्रिया के अनुसार साक्ष्य पैक करना, स्वैब लेना, जैविक सामग्री को संरक्षित करना।
3. दस्तावेजीकरण
अपराध स्थल की हाई रिज़ॉल्यूशन तस्वीरें, वीडियो और विस्तृत रिपोर्ट तैयार करना, जिससे अदालत में प्रमाण प्रस्तुत किए जा सकें।
4. स्थल की सुरक्षा
घटनास्थल को सील करना और अनधिकृत व्यक्तियों को प्रवेश से रोकना ताकि साक्ष्य नष्ट न हों।
5. जांच में सहयोग
एकत्र साक्ष्यों को पुलिस और जांच एजेंसियों को सौंपकर आरोपी की पहचान और गिरफ्तारी में मदद करना।
