MP OBC Reservation: सुप्रीम कोर्ट में 22 सितंबर से सुनवाई, 27% आरक्षण का रास्ता साफ

MP में ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण दिलाने की राह आसान.
मध्यप्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को 27% आरक्षण देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट 22 सितंबर से सुनवाई शुरू करेगा। यह फैसला ओबीसी वर्ग के लिए बड़ी राहत हो सकता है। अगर यह लागू होता है, तो सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में प्रवेश में ओबीसी को इसका लाभ मिलेगा।
मध्यप्रदेश सरकार और याचिकाकर्ताओं की सहमति
मध्यप्रदेश सरकार 27% ओबीसी आरक्षण लागू करने के लिए तेजी से काम कर रही है। सरकार ने सभी पक्षों के साथ मिलकर सुप्रीम कोर्ट में मजबूती से ओबीसी वर्ग का पक्ष रखने का वादा किया है। 2018 में तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने ओबीसी आरक्षण को 14% से बढ़ाकर 27% करने का फैसला किया था, लेकिन कानूनी अड़चनों के कारण हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी।
वकीलों और याचिकाकर्ताओं की तैयारी
सुनवाई से पहले शनिवार को एडवोकेट जनरल प्रशांत सिंह ने याचिकाकर्ताओं और वकीलों के साथ बैठक की। इस दौरान आरक्षण से जुड़ी कानूनी बाधाओं को दूर करने की रणनीति बनाई गई।
सर्वदलीय सहमति
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने हाल ही में सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसमें सभी राजनीतिक दलों, जिसमें कांग्रेस के जीतू पटवारी और उमंग सिंघार शामिल थे, ने 27% ओबीसी आरक्षण के समर्थन में सहमति जताई। यह सहमति आरक्षण लागू करने की दिशा में बड़ा कदम है।
एडवोकेट जनरल का बयान
प्रशांत सिंह ने मुख्यमंत्री और अन्य पक्षों की बात रखते हुए कहा कि सभी चाहते हैं कि ओबीसी को 27% आरक्षण मिले। ओबीसी महासभा ने मांग की है कि 2019 से अब तक रुके हुए 13% पद ओबीसी वर्ग से भरे जाएं, और इस पर सभी सहमत हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि 22 सितंबर से शुरू होने वाली सुनवाई में सरकार और सभी पक्ष मिलकर मजबूती से पक्ष रखेंगे, और फैसला ओबीसी के हक में आएगा।
वकीलों की नियुक्ति
सरकार और ओबीसी महासभा ने सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के लिए वकीलों की नियुक्ति कर ली है। इससे सरकार को अपना पक्ष मजबूती से रखने में मदद मिलेगी।
मुख्यमंत्री का बयान
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा, "हमारी सरकार सभी पक्षों से बातचीत कर सुप्रीम कोर्ट में मजबूती से पक्ष रखेगी। हम जल्द से जल्द ओबीसी वर्ग को इसका लाभ देना चाहते हैं।" उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि तत्कालीन सरकार ने बिना कानूनी अड़चनों को दूर किए जल्दबाजी में यह फैसला लिया, जिसके कारण हाई कोर्ट ने रोक लगाई।
नई संभावनाएं
सभी पक्षों की एकजुटता और सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। यह फैसला मध्यप्रदेश के लाखों ओबीसी नागरिकों के लिए नौकरी और शिक्षा के क्षेत्र में नई संभावनाएं खोल सकता है।
