MP हाईकोर्ट की कड़ी फटकार: ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी भर्ती में गड़बड़ी पर सरकार पर 10 हजार का जुर्माना

MP High Court
MP News: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी भर्ती परीक्षा 2020 को लेकर दायर याचिका पर सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। जस्टिस विवेक जैन की सिंगल बेंच ने साफ कहा कि सरकार का जवाब गुमराह करने वाला है और जब तक 10,000 रुपये का जुर्माना जमा नहीं होगा, तब तक उसका जवाब स्वीकार नहीं किया जाएगा।
भर्ती का बैकग्राउंड
प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड (PEB) भोपाल ने 10 नवंबर 2020 को 614 पदों के लिए भर्ती विज्ञापन जारी किया था। इनमें
UR (अनारक्षित) : 166 पद
EWS (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) : 61 पद
SC (अनुसूचित जाति) : 98 पद
ST (अनुसूचित जनजाति) : 123 पद
OBC (अन्य पिछड़ा वर्ग) : 166 पद
विवाद कैसे खड़ा हुआ?
लिखित परीक्षा के बाद घोषित कटऑफ सूची में अनारक्षित वर्ग का कटऑफ 137.50 अंक और ओबीसी वर्ग का कटऑफ 140.75 अंक रहा। सामान्य नियमों के अनुसार, जो आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी अनारक्षित कटऑफ से अधिक अंक लाते हैं, उन्हें अनारक्षित वर्ग में शामिल किया जाना चाहिए। लेकिन, सरकार ने OBC के मेरिटोरियस अभ्यर्थियों को उनके ही आरक्षित वर्ग में गिना। इससे OBC का कटऑफ बढ़ गया और UR का कटऑफ अपेक्षाकृत कम हो गया।
याचिका और कोर्ट की नाराज़गी
दमोह जिले के तेंदूखेड़ा के निवासी सुरेंद्र यादव ने इस विसंगति को हाईकोर्ट में चुनौती दी। याचिकाकर्ता के वकीलों ने दलील दी कि यह मध्यप्रदेश आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4(4) का सीधा उल्लंघन है। सरकार की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता के अंक (136.49) अनारक्षित कटऑफ (137.50) से कम हैं, इसलिए याचिका खारिज होनी चाहिए।
लेकिन, कोर्ट ने नाराज़गी जताते हुए पूछा, “जिन ओबीसी अभ्यर्थियों ने अनारक्षित से ज्यादा अंक पाए, उन्हें UR वर्ग में क्यों नहीं गिना गया?” जवाब न मिलने पर हाईकोर्ट ने सरकार पर ₹10,000 का जुर्माना लगाया और कहा कि दो हफ्ते में हलफनामा पेश करें।
अगली सुनवाई
इस मामले की अगली सुनवाई 27 अक्टूबर 2025 को होगी। फिलहाल, हाईकोर्ट का यह रुख भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है और यह मामला राज्यभर में चर्चा का विषय बन गया है।
