जीएसटी फर्जीवाड़ा: आपके नाम भी तो नहीं चल रही फर्जी कंपनी? EOW के हाथ लगे गिरोह ने किया ₹34 करोड़ का स्कैम; सरगना गिरफ्तार

मध्यप्रदेश में ₹34 करोड़ का जीएसटी फर्जीवाड़ा, झारखंड से सरगना गिरफ्तार।
MP GST ITC Scam : मध्यप्रदेश की आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) पुलिस ने बड़े GST इनपुट टैक्स क्रेडिट फर्जीवाड़े का खुलासा किया है। इस घोटाले में करीब ₹34 करोड़ के फर्जी लेन-देन सामने आया है। ईओडब्ल्यू ने गिरोह के मास्टरमाइंड विनोद कुमार सहाय को झारखंड की राजधानी रांची से गिरफ्तार किया है।
EOW के मुताबिक, विनोद सहाय ने भोपाल, इंदौर और जबलपुर के कई लोगों को लोन के बहाने दस्तावेज लेकर उनके नाम से फर्जी कंपनियां बनाईं। फिर इन कंपनियों के जरिए फर्जी कारोबार दिखाकर करोड़ों का जीएसटी इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) प्राप्त कर लिया।
ऐसे सामने आया फर्जीवाड़ा
फर्जीवाड़े का खुलासा जबलपुर निवासी प्रताप सिंह लोधी की शिकायत से हुई है। प्रताप ने आरोप लगाया कि उनके नाम पर बिना जानकारी के फर्म पंजीकृत कर टैक्स फ्रॉड किया गया है। वाणिज्य कर विभाग की सहायक आयुक्त वैष्णवी पटेल और ज्योत्सना ठाकुर ने जांच शुरू की तो गंभीर अनियमितताएं सामने आईं। इसके बाद मामला EOW को सौंपा गया।
जांच में सामने आया पूरा जाल
ईओडब्ल्यू की जांच में पता चला कि आरोपी विनोद सहाय 2019-2020 के दौरान जबलपुर, भोपाल और इंदौर के लोगों से संपर्क करता था। खुद को एनके खरे बताकर उसने लोन दिलाने के नाम पर लोगों के जीएसटी पंजीयन कराए और फिर उनके आधार, पैन, बैंक स्टेटमेंट, बिजली बिल और जमीन के कागजात हासिल किए।
विनोद सहाय ने इनके नाम पर बनाई फर्जी कंपनियां
ईओडब्ल्यू के मुताबिक, आरोपी ने जबलपुर निवासी प्रताप सिंह लोधी के नाम पर मेसर्स मां नर्मदा ट्रेडर्स (7 फरवरी 2020) कंपनी बनाई थी। इसी तरह दीनदयाल लोधी के नाम पर मेसर्स नमामि ट्रेडर्स (13 अगस्त 2019), रविकांत सिंह के नाम पर मेसर्स मां रेवा ट्रेडर्स (19 फरवरी 2020) और नीलेश पटेल के नाम पर मेसर्स अभिजीत ट्रेडर्स (26 फरवरी 2020) नाम से कंपनी रजिस्टर्ड कराई है।
फर्जी कंपनियों से करोड़ों का फर्जी ITC
जांच में सामने आया कि इन फर्मों के पते पर कोई वास्तविक व्यापार नहीं हो रहा था। सभी कंपनियां सिर्फ कागजों पर मौजूद हैं। विनोद सहाय ने इन कंपनियों के जरिए फर्जी बिल बनाकर ₹33.80 करोड़ का बोगस इनपुट टैक्स क्रेडिट ले लिया। उसे अन्य व्यापारियों को पास ऑन किया।
जांच में यह बिंदु भी आए सामने
- आरोपी ने सभी फर्मों के आईडी, पासवर्ड, मोबाइल नंबर, ईमेल खुद के नियंत्रण में रखे
- बैंक खातों का उपयोग भी अकेले करता रहा
- वास्तविक वस्तु या सेवा की कोई आपूर्ति नहीं की गई
कोर्ट ने 2 जुलाई तक रिमांड पर भेजा
EOW ने शुक्रवार को आरोपी को जबलपुर जिला न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे 2 जुलाई 2025 तक पुलिस रिमांड में भेज दिया गया है। अब उससे पूरे नेटवर्क और इस फर्जीवाड़े में शामिल अन्य लोगों के बारे में पूछताछ की जा रही है।
ईओडब्ल्यू का बयान
ईओडब्ल्यू ने इसे संगठित वित्तीय अपराध बताया है। कहा, इस मामले में निर्दोष लोगों की पहचान का दुरुपयोग कर शासन को करोड़ों का चूना लगाया गया। फिलहाल, मामले की जांच की ज रही है।
डिजिटल डॉक्यूमेंट्स का हो सकता है गलत इस्तेमाल
यह फर्जीवाड़ा आम लोगों की चिंता बढ़ाने वाला है। लोगों को समझने की जरूरत है कि आपके डिजिटल डॉक्यूमेंट्स और सरकारी योजनाओं का किस तरीके से गलत इस्तेमाल हो सकता है। EOW की सख्त कार्रवाई ने न केवल एक बड़े फर्जीवाड़े को रोका है, बल्कि नागरिकों को भी जागरूक किया है कि अपने दस्तावेजों को किसी के साथ भी बिना सत्यापन के साझा न करें।