MP में ठंड का कहर: 10 साल का रिकॉर्ड टूटा, इंदौर पचमढ़ी से भी ज्यादा ठंडा

MP Weather
मध्यप्रदेश में इस वक्त ठंड अपने चरम पर है। पिछले तीन दिनों से लगातार रात का पारा 5 डिग्री से नीचे बना हुआ है, जिससे प्रदेशभर में कड़ाके की ठंड की स्थिति है। इस बार सबसे ज्यादा ठंड इंदौर में दर्ज की गई, जहां रात का न्यूनतम तापमान 4.5 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया। खास बात यह है कि इंदौर, प्रदेश के इकलौते हिल स्टेशन पचमढ़ी (4.8 डिग्री) से भी ज्यादा ठंडा रहा। मौसम विभाग के मुताबिक यह इंदौर का पिछले 10 साल का सबसे कम तापमान है।
भोपाल, इंदौर, सीहोर, शाजापुर और राजगढ़ जिलों में आज भी शीतलहर का असर देखने को मिलेगा। राजधानी भोपाल में पिछले छह दिनों से लगातार कोल्ड वेव चल रही है। गुरुवार को भी भोपाल, इंदौर, रायसेन, सीहोर और राजगढ़ में शीतलहर रही, जबकि शहडोल में शीतल दिन रिकॉर्ड किया गया।
प्रदेश के कई शहरों में बीती रात तापमान 10 डिग्री से नीचे रहा। शहडोल के कल्याणपुर में सबसे कम 3.8 डिग्री तापमान दर्ज हुआ। रायसेन में 5 डिग्री, रीवा 5.9 डिग्री, शिवपुरी 6 डिग्री, उमरिया 6.1 डिग्री और मलाजखंड 6.8 डिग्री पर रहा।
इसके अलावा नौगांव, मंडला, खजुराहो, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, सतना, दमोह, रतलाम, श्योपुर और गुना में भी तापमान 7 से 9.4 डिग्री के बीच रहा। बड़े शहरों की बात करें तो भोपाल में 6.6 डिग्री, ग्वालियर 9.2 डिग्री, उज्जैन 8.2 डिग्री और जबलपुर 8.5 डिग्री रहा।
जेट स्ट्रीम और उत्तरी हवाओं ने बढ़ाई सर्दी
मौसम विभाग के अनुसार, उत्तर भारत में चल रही तेज रफ्तार जेट स्ट्रीम भी ठंड बढ़ाने की बड़ी वजह है। यह हवा जमीन से करीब 12 किमी ऊपर 204–222 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से बह रही है। यह ठंडी हवा मध्यप्रदेश तक पहुंचने पर तापमान को और नीचे धकेल रही है।
हिमाचल, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में हालिया बर्फबारी का असर भी एमपी के मौसम पर साफ दिख रहा है। उत्तरी दिशा से लगातार बर्फीली हवाएं आने के कारण प्रदेश में कड़ाके की ठंड और शीतलहर बनी हुई है।
दिसंबर में भी रिकॉर्ड टूटने का सिलसिला जारी
भोपाल में नवंबर की सर्दी का 84 साल पुराना रिकॉर्ड टूट चुका है, वहीं इंदौर में 25 साल की सबसे ज्यादा ठंड पड़ चुकी है। अब दिसंबर में भी तापमान रिकॉर्ड तोड़ रहा है। इंदौर की दिसंबर वाली सर्दी ने भी पिछले 10 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है।
प्रदेशभर में बढ़ती ठंड ने जनजीवन को प्रभावित कर दिया है। लोगों ने सुबह-शाम हीटर्स और अलाव का सहारा लेना शुरू कर दिया है, जबकि स्कूलों में समय में बदलाव की उम्मीद भी बढ़ गई है।
