Deadly Chemistry: काम न आया 'केमिस्ट्री का फंडा', महिला प्रोफेसर ही निकली पति की कातिल, हुई उम्रकैद

नीरज हत्याकांड मामले में पत्नी ममता पाठक को आजीवन कारावास।
कुछ समय पहले सोशल मीडिया पर एक बुजुर्ग केमिस्ट्री प्रोफेसर ममता पाठक का वीडियो वायरल हुआ था। इस वीडियो में वह मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में अपने डॉक्टर पति नीरज पाठक की हत्या के आरोप में अपना पक्ष रखती नजर आईं थी। इस दौरान उन्होंने पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इलेक्ट्रिक और थर्मल मार्क के बारे में जबर्दस्त दलील से जजों को भी हैरान कर दिया था, लेकिन अब हाईकोर्ट ने बुधवार को दिए अपने फैसले में महिला प्रोफेसर ममता पाठक को झटका देते हुए ट्रायल कोर्ट की ओर से दी गई आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है।
जस्टिस देवनारायण मिश्रा और जस्टिस विवेक अग्रवाल की बेंच ने इस मामले में 97 पेज का विस्तृत आदेश दिया। इस आदेश में तीन मुख्य बिंदुओं का उल्लेख करते हुए सजा को बरकरार रखा। बता दें कि 29 अप्रैल को इस मामले में सुनवाई हुई थी। इसके बाद बेंच ने आदेश सुरक्षित रख लिया था।
फेल हुआ केमिस्ट्री का फंडा
हाईकोर्ट की बेंच ने सबूतों और गवाहों के आधार पर जिला न्यायालय के आदेश को उचित करार दिया। बेंच ने प्रोफेसर ममता पाठक की ओर से दी गई साइंटिफिक दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि प्रोफेसर के अपने पति नीरज पाठक से संबंध अच्छे नहीं थे। ममता पाठक ने पहले अपने पति का टॉर्चर किया। फिर एंटीसाइकोटिक ड्रग दी और इसके बाद इलेक्ट्रिक शॉक देकर हत्या कर दी।
बेंच ने फैसले में कहा, 'गवाहों के बयानों को मद्देनजर रखते हुए, इस मामले से जुड़े सभी परिस्थितिजन्य सबूत सही पाए गए हैं (मतलब वह एक ही तरफ इशारा कर रहे हैं)। ममता पाठक का अपराध सभी संदेहों से परे साबित होता है। ऐसे में यह कोर्ट उन्हें तत्काल ट्रायल कोर्ट के सामने सरेंडर करने का हुक्म देती है।'
सबूतों का विश्लेषण करने के बाद, हाईकोर्ट ने कहा कि डेड बॉडी का मुंह बंद होना, रासायनिक परीक्षण न किया जाना, स्किन/टिशू पर मेटल के जमाव का पता लगाने के लिए इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी का अभाव और घर का पूरी तरह से इन्सुलेटेड होना जैसे उनके तर्क गले नहीं उतरते।
कोर्ट को दिया था केमिस्ट्री का यह फंडा
हाईकोर्ट में 29 अप्रैल को मामले की सुनवाई के दौरान एक अप्रत्याशित घटना घटी। दोषी प्रोफेसर ममता पाठक ने अपना पक्ष खुद रखते हुए बेहद शांति और आत्मविश्वास से ऐसे तर्क दिए कि सभी हैरान रह गए। उनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। प्रोफेसर ममता ने तर्क दिया था कि थर्मल बर्न और इलेक्ट्रिक बर्न भ्रामक रूप से एक जैसे लग सकते हैं और केवल एक उचित रासायनिक विश्लेषण ही इनमें अंतर बता सकता है। उनके इस कथन ने अदालत को स्तब्ध कर दिया था। तब न्यायाधीश ने उनसे पूछा, 'क्या आप केमिस्ट्री की प्रोफेसर हैं?', तो उन्होंने उत्तर दिया, 'हां'।
क्या है पूरा मामला
जानकारी के अनुसार, 65 वर्षीय डॉ. नीरज पाठक मध्य प्रदेश के छतरपुर जिला अस्पताल में पदस्थ थे। 29 अप्रैल 2021 में उनकी मौत उनके लोकनाथपुरम कॉलोनी स्थित घर में हुई थी। उनके शरीर में 5 जगहों पर इलेक्ट्रिक बर्न के निशान पाए गए थे। इस घटना के समय उनकी पत्नी ममता पाठक वहीं पर मौजूद थीं, जो लगभग 10 महीने पहले उनके साथ रहने आई थीं। महिला अक्सर पति के किसी और के साथ संबंध को लेकर विवाद करती थी, जिसके कारण रिश्तों में तनाव रहता था। इस मामले में ममता कई बार संबंधित थानों में शिकायत कर चुकी थीं लेकिन उनके आरोप बेबुनियाद पाए गए।
जिस दिन डॉक्टर नीरज पाठक की मौत हुई, उसी दिन उन्होंने दोपहर 12 बजे से पहले अपने एक रिश्तेदार को फोन कॉल किया था। इस दौरान नीरज ने बताया था कि उनकी पत्नी उन्हें प्रताड़ित कर रही है। वो खाना नहीं दे रही है और बाथरूम में बंद कर रखा है। इसके बाद रिश्तेदार ने पुलिस से संपर्क कर डॉक्टर को बाथरूम से बाहर निकाला। इसके बाद रात में उनकी मौत हो गई। ममता पाठक पर आरोप लगा कि उन्होंने ही अपने पति की हत्या की है।
सबूत जो रहे अहम
इस मामले में डॉ. नीरज के ड्राइवर के बयान और डॉ. नीरज की वायरल हुई एक ऑडियो क्लिप ने इस मामले को और भी मजबूत बना दिया। इस ऑडियो क्लिप में नीरज ने अपनी पत्नी द्वारा प्रताड़ित किए जाने की बात कही थी। गवाहों और सबूतों के आधार पर साल 2022 में सेशन कोर्ट ने ममता को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। इसके बाद ममता ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी।
इसके बाद वो अपने बेटे की मानसिक स्थिति के आधार पर जमानत पर रिहा भी हुई। हालांकि 29 अप्रैल को हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई की गई, जिस दौरान उन्होंने केमिस्ट्री के इलेक्ट्रिक और थर्मल मार्क के बारे में दलील दी थी। 29 अप्रैल 2025 को इस मामले में आदेश सुरक्षित रख लिया गया।
