मेलियोइडोसिस: टीबी जैसे लक्षण, बार-बार बुखार; जानें क्या है यह नई बीमारी; MP में बढ़ रहा प्रकोप

टीबी जैसे लक्षण, बार-बार बुखार; जानें क्या है यह नई बीमारी; MP में बढ़ रहा प्रकोप
AIIMS Research: मध्यप्रदेश में एक नई बीमारी तेजी से फैल रही है। टीबी जैसे लक्षणों वाली घातक बैक्टीरियल बीमारी 'मेलियोइडोसिस' अब राजधानी भोपाल समेत कई जिलों में फैल चुकी है। एम्स के डॉक्टरों ने बताया कि समय पर जांच और इलाज न होने पर मरीजों की मौत भी हो सकती है।
क्या है मेलियोइडोसिस?
मेलियोइडोसिस एक बैक्टीरिया जनित बीमारी है, जो Burkholderia pseudomallei नामक जीवाणु से होती है। यह बैक्टीरिया संक्रमित मिट्टी और पानी में पाया जाता है और त्वचा के घाव, सांस के जरिए, या पीने के पानी से शरीर में प्रवेश करता है।
किन लोगों को है ज्यादा खतरा?
एम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मेलियोइडोसिस के शिकार ऐसे लोग, जो 70% डायबिटिक हैं, उन्हें ज्यादा अलर्ट रहने की जरूरत है। इसके अलावा पानी भरे धान के खेतों में काम करने वाले किसान, मजदूर, अत्यधिक शराब पीने वाले लोग और कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीजों पर इसका खतरा ज्यादा है।
मेलियोइडोसिस की कैसे करें पहचान?
लंबे समय तक बुखार, खांसी, और वजन घटने पर टीबी का शक होता है, लेकिन जब टीबी की दवाएं असर न करें तो मेलियोइडोसिस की जांच जरूरी है। भोपाल के एक किसान का मामला सामने आया है जिसे 6 महीने तक टीबी का इलाज दिया गया, लेकिन बाद में एम्स में मेलियोइडोसिस की पुष्टि हुई।
MP में तेजी से बढ़ रहे मामले
मेलियोइडोसिस के मध्य प्रदेश में 2022 तक सिर्फ 50 केस थे, लेकिन अब इनकी संख्या 130 पार कर गई है। 20 जिलों के मरीज तो एम्स में ही इलाज करा चुके हैं। अब यह बीमारी स्थानीय स्तर पर फैल रही है।
मेलियोइडोसिस के मुख्य लक्षण
- त्वचा संक्रमण: घाव या अल्सर
- फेफड़े का संक्रमण: खांसी, सीने में दर्द, बुखार
- सेप्सिस (पूरे शरीर में संक्रमण): सांस लेने में दिक्कत, मांसपेशियों व जोड़ों में दर्द
मेलियोइडोसिस: सावधानी और बचाव
- दूषित पानी और मिट्टी से सीधा संपर्क न करें।
- खेत में काम करते समय दस्ताने और जूते पहनें।
- घाव होने पर खेत या कीचड़ में काम न करें।
- हमेशा साफ और उबला हुआ पानी पिएं।
- बार-बार फोड़े, बुखार और कमजोरी हो तो मेलियोइडोसिस की जांच कराएं।
विशेषज्ञों की क्या है राय?
एम्स भोपाल के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. आयुष गुप्ता ने मेलियोइडोसिस से अलर्ट करते हुए कहा कि किसी व्यक्ति को यदि लंबे समय से बुखार है और एंटी-टीबी दवाओं से राहत नहीं मिल रही है तो मेलियोइडोसिस हो सकता है। तुरंत इसकी जांच कराई जानी चाहिए। सतर्कता ही जीवन बचा सकती है।
इलाज की दिशा में सार्थक पहल
एम्स ने 25 संस्थानों के 50 से अधिक डॉक्टरों और माइक्रोबायोलॉजिस्ट को विशेष ट्रेनिंग दी है। जिसके बाद भोपाल, इंदौर और सागर सहित 6 जिलों में नए केस सामने आए हैं। उपचार के बाद उन्हें राहत भी मिल गई।
