मेडिकल कॉलेज के 11 प्रोफेसरों के तबादले: मेडिकल कॉलेज के 11 प्रोफेसरों के तबादले: जूनियर डॉक्टर बोले- 'अधर में हमारा भविष्य'; देखें किसे कहां भेजा?

Transfer: मध्य प्रदेश में श्योपुर और सिंगरौली में शुरू होने जा रहे दो नए सरकारी मेडिकल कॉलेजों के लिए सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। इन कॉलेजों को एमबीबीएस कोर्स के लिए नेशनल मेडिकल काउंसिल (NMC) से मान्यता दिलवाने के उद्देश्य से राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों से 11 अनुभवी मेडिकल प्रोफेसरों का तबादला कर दिया गया है।
प्रोफेसर गए, PG स्टूडेंट्स परेशान
इन प्रोफेसरों के जाने से पुराने कॉलेजों में पढ़ाई कर रहे पीजी (MD/MS) स्टूडेंट्स संकट में पड़ गए हैं। क्योंकि NMC के नियमों के अनुसार, एक प्रोफेसर की मौजूदगी से 4 पीजी सीटें मान्यता प्राप्त करती हैं। अगर प्रोफेसर नहीं होंगे तो उन सीटों की मान्यता खतरे में पड़ सकती है। इससे न केवल छात्रों की पढ़ाई रुकेगी, बल्कि उनकी थीसिस, ट्रेनिंग और परीक्षा भी प्रभावित होगी।
जानिए किन प्रोफेसरों का हुआ तबादला
श्योपुर और सिंगरौली मेडिकल कॉलेजों के लिए जिन सीनियर फैकल्टी का ट्रांसफर हुआ है, उनमें शामिल हैं:
- डॉ. डीके शाक्य (नेत्र रोग), ग्वालियर
- डॉ. एना एलेक्स जॉन (डर्मेटोलॉजी), भोपाल
- डॉ. ओपी जाटव (जनरल मेडिसिन), ग्वालियर
- डॉ. वृंदा जोशी (स्त्री रोग), ग्वालियर
- डॉ. पंकज लखटकिया (ऑर्थोपेडिक्स), रीवा
- डॉ. कविता कुमार (नेत्र रोग), भोपाल
और अन्य अनुभवी प्राध्यापक जिनकी सेवाएं अब नए कॉलेजों में ली जाएंगी।
रिटायरमेंट के नजदीक प्रोफेसर, नियुक्ति की चुनौती
इनमें से कई सीनियर फैकल्टी ऐसे हैं जिनकी सेवा मात्र 1 से 3 साल ही बची है। ऐसे में नए कॉलेजों में स्थायी व्यवस्था करना एक चुनौती होगा। यदि जल्द नए प्रोफेसर की नियुक्ति नहीं हुई, तो NMC मान्यता ही खतरे में पड़ सकती है।
जूनियर डॉक्टर बोले- “हमारा भविष्य अधर में”
जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. कुलदीप गुप्ता ने कहा कि पीजी की पढ़ाई एक सतत प्रक्रिया होती है जिसमें प्रोफेसर का मार्गदर्शन जरूरी होता है। उनका ट्रांसफर हो जाना सीधे छात्रों के करियर को प्रभावित करेगा। परीक्षा, ट्रेनिंग, रिसर्च सभी कुछ अधर में लटक सकता है।