सीएम के निर्देश पर कार्रवाई: किसान की कॉलर पकड़ने वाले तहसीलदार बीके पटेल सस्पेंड

किसान की कॉलर पकड़ने वाले तहसीलदार बीके पटेल सस्पेंड
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मऊगंज तहसीलदार बीके पटेल को किसान की कॉलर पकड़ने के मामले में सस्पेंड कर दिया गया है। मामला गनिगमा गांव का है, जिसका वीडियो वायरल होने के बाद सीएम मोहन यादव के निर्देश पर कार्रवाई हुई। पूरी जानकारी यहां पढ़ें।

MP News: मऊगंज तहसीलदार बीके पटेल को निलंबित कर दिया गया है। 25 सितंबर को देवतालाब उप तहसील के गनिगमा गांव में किसान की कॉलर पकड़ने का वीडियो वायरल होने के बाद यह कार्रवाई हुई। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मामले का संज्ञान लेकर कड़े निर्देश दिए थे, जिसके बाद रीवा कमिश्नर बीएस जामोद ने तत्काल प्रभाव से पटेल को सस्पेंड कर दिया।

वीडियो वायरल और विवाद

यह मामला दो प्रजापति परिवारों के बीच जमीन विवाद से जुड़ा था। कोर्ट के आदेश पर कब्जा दिलाने प्रशासनिक टीम गांव पहुंची थी। इसी दौरान तहसीलदार बीके पटेल का आपा खो गया और उन्होंने किसान सुषमेश पांडे की कॉलर पकड़कर झूमाझटकी की। आरोप है कि पटेल ने गाली-गलौज भी की। वहीं, एक और किसान कौशलेश प्रजापति ने भी तहसीलदार पर दुर्व्यवहार का आरोप लगाया।

तहसीलदार की सफाई

तहसीलदार बीके पटेल का कहना है कि सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो एडिट किया गया है और भ्रामक तरीके से पेश किया गया है। उन्होंने बताया कि मौके पर विपक्षी पक्ष ने लोहे की सब्बल से धमकाया और शासकीय कार्य में बाधा डाली। ऐसे में स्थिति संभालने के लिए उन्होंने कड़ी कार्रवाई की।

प्रशासनिक जांच

मऊगंज कलेक्टर संजय कुमार ने कहा कि इस मामले की जांच एडीएम को सौंपी गई है और उन्हें रविवार तक रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए गए हैं। नायब तहसीलदार उमाकांत मिश्रा ने भी माना कि मौके पर विपक्षी पक्ष ने गाली-गलौज की और बाधा डाली, जिसके चलते यह स्थिति बनी।

गृह जिले में पदस्थापना पर सवाल

पीड़ित परिवार ने आरोप लगाया कि तहसीलदार बीके पटेल मऊगंज जिले के ही निवासी हैं और उनका परिवार नई गढ़ी के वार्ड क्रमांक 6 में रहता है। नियमों के अनुसार, अधिकारियों को उनके गृह जिले में पदस्थ नहीं किया जाता है ताकि निष्पक्षता बनी रहे।

पहले भी विवादों में रहे पटेल

यह पहली बार नहीं है जब तहसीलदार पटेल विवादों में आए हों। इससे पहले भी उन पर अधिवक्ताओं से अभद्रता और आरटीआई में गलत जानकारी देने के आरोप लगे थे। यहां तक कि उन्होंने एक बार यह लिख दिया था कि "वकील भारत के नागरिक नहीं हैं," जिसके बाद वकीलों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा था।

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