MP में फिर बरसेगा पानी: अगले 3 दिन बारिश, जानिए कब कहाँ होगा असर

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भोपाल और ग्वालियर सहित 30 जिलों में “बहुत ज्यादा बारिश” दर्ज की गई। इससे भू-जल स्तर बढ़ा है और सिंचाई व पेयजल की स्थिति बेहतर रहेगी।

मध्यप्रदेश में नवंबर की शुरुआत बारिश और ठंड के साथ होने जा रही है। मौसम विभाग के अनुसार, अगले तीन दिन तक इंदौर, भोपाल, उज्जैन, जबलपुर और नर्मदापुरम संभाग में हल्की बारिश का दौर जारी रहेगा। रविवार को इंदौर, नर्मदापुरम और जबलपुर संभाग के 10 जिलों में बारिश का अलर्ट जारी किया गया है, जबकि भोपाल, ग्वालियर और उज्जैन में घने बादल और हल्की गरज-चमक की संभावना है।

अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से सिस्टम एक्टिव

मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक अरब सागर और बंगाल की खाड़ी दोनों तरफ से लो प्रेशर एरिया (निम्न दबाव क्षेत्र) बने हुए हैं, लेकिन इनका असर मध्यप्रदेश पर सीमित रहेगा। वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक डॉ. दिव्या ई. सुरेंद्रन ने बताया कि फिलहाल भारी बारिश का कोई खतरा नहीं है, सिर्फ हल्की बूंदाबांदी देखने को मिलेगी।

किन जिलों में होगी बारिश

मौसम विभाग ने अगले 24 घंटे में झाबुआ, अलीराजपुर, धार, बड़वानी, खरगोन, खंडवा, बुरहानपुर, बैतूल, छिंदवाड़ा और पांढुर्णा में बारिश की संभावना जताई है। भोपाल में भी शाम या रात के समय फुहारें पड़ सकती हैं।

3 नवंबर से ठंड बढ़ने की तैयारी

3 नवंबर की रात से पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में वेस्टर्न डिस्टर्बेंस एक्टिव होगा, जिसका असर मध्यप्रदेश में 48 घंटे बाद दिखेगा। इसके चलते उत्तरी हवाएं चलेंगी और दिन में भी तापमान गिर सकता है। यानी, ठंड अब दस्तक देने वाली है।

अक्टूबर में रिकॉर्ड बारिश, नवंबर में ठंड का ट्रेंड

इस बार अक्टूबर में राज्य में औसत से 121% ज्यादा बारिश हुई। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में अब तक अच्छी बारिश दर्ज की गई। इंदौर में तो 10 साल में दूसरी बार अक्टूबर में इतनी अधिक बारिश रिकॉर्ड हुई है। श्योपुर इस बार सबसे ज्यादा बारिश वाला जिला रहा, जहां 6.52 इंच पानी गिरा। वहीं, सिर्फ खंडवा में सामान्य से कम बारिश दर्ज हुई।

मानसून की हैप्पी एंडिंग

इस बार मानसून ने भी प्रदेश को निराश नहीं किया। भोपाल और ग्वालियर सहित 30 जिलों में “बहुत ज्यादा बारिश” दर्ज की गई। इससे भू-जल स्तर बढ़ा है और सिंचाई व पेयजल की स्थिति बेहतर रहेगी।

अब नवंबर में ठंड धीरे-धीरे दस्तक देगी। ग्वालियर-चंबल संभाग में पारा सबसे पहले लुढ़क सकता है। इतिहास देखें तो उज्जैन में 52 साल पहले न्यूनतम तापमान 2.3 डिग्री तक गिर चुका है। इस बार भी नवंबर के दूसरे सप्ताह से ठंड का असर तेज़ रहेगा।

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