MP News: दिवाली पर काल बनी कार्बाइड गन, 200 से ज्यादा लोगों की छीन ली रोशनी

MP News : मध्य प्रदेश में दिवाली की खुशियां कई परिवारों के लिए दर्दनाक बन गईं। देसी पटाखा गन यानी कार्बाइड गन (Carbide Gun) के चलते 200 से ज्यादा लोगों की आंखें झुलस गईं। भोपाल में सबसे ज्यादा 150 से अधिक मामले सामने आए हैं, जबकि ग्वालियर में एक ही दिन में 19 केस दर्ज किए गए। ये घटनाएं 19 से 22 अक्टूबर के बीच की हैं।
भोपाल में 150 से ज्यादा लोगों की आंखें झुलसीं
गांधी मेडिकल कॉलेज (GMC), भोपाल में अब तक आंखों की जलन और गंभीर चोट के 36 मरीज भर्ती हैं। इनमें से 15 की सर्जरी हो चुकी है और 2 बच्चों की आंखों में एमनियोटिक मेम्ब्रेन (Amniotic Membrane) लगाया गया है। डॉक्टरों ने बताया कि यह झिल्ली (जो डिलीवरी के वक्त निकलती है) जीवित पट्टी (Living Bandage) की तरह काम करती है और आंखों की पारदर्शिता बनाए रखने में मदद करती है। इसे विशेष रूप से इंदौर से मंगवाया गया था।
ग्वालियर में हालात और चिंताजनक
ग्वालियर में भी स्थिति गंभीर है। बुधवार शाम गोहद के दो युवक सतेन्द्र और सूरज कार्बाइड गन चलाते समय गंभीर रूप से घायल हुए। दोनों की आंखों का कॉर्निया (Cornea) जल गया। सतेन्द्र की हालत नाज़ुक होने पर उसे भोपाल एम्स रेफर किया गया। पिछले तीन दिनों में 19 केस दर्ज हुए हैं, जिनमें से 8 का ऑपरेशन किया गया है। डॉक्टरों का कहना है कि फिलहाल यह कहना मुश्किल है कि मरीजों की रोशनी वापस आ पाएगी या नहीं।
अधिकतर पीड़ित बच्चे, उम्र 7 से 14 साल
ग्वालियर और भोपाल के अलावा विदिशा में 12, इंदौर में 3, और सागर में 3 मामले सामने आए हैं। बाकी केस छोटे शहरों और क्लीनिकों से रिपोर्ट हुए हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, ज्यादातर पीड़ित बच्चे हैं जिनकी उम्र 7 से 14 साल के बीच है।
क्या है ‘कार्बाइड गन’?
महज 100 से 200 रुपए में मिलने वाली यह देसी गन असल में पटाखा नहीं बल्कि केमिकल डिवाइस (Chemical Weapon) है। डॉ. एसएस कुबरे के अनुसार, इसमें कैल्शियम कार्बाइड (Calcium Carbide) डाला जाता है, जो पानी के संपर्क में आते ही एसिटिलीन गैस (Acetylene Gas) बनाता है। यह गैस कुछ ही सेकंड में विस्फोट करती है और त्वचा, आंख और चेहरे को झुलसा देती है।
विशेषज्ञों ने दी चेतावनी
बीएमएचआरसी भोपाल की डॉ. हेमलता यादव ने बताया कि बच्चे अक्सर तब घायल होते हैं जब गन नहीं चलती और वे उसमें झांकने लगते हैं। ठीक उसी समय अंदर गैस जमा होकर विस्फोट कर जाती है। डॉक्टरों ने इसे बेहद खतरनाक और प्रतिबंधित उपकरण बताया है।
