कलेही मंदिर: पवई में मां कालरात्रि का प्राचीन सिद्ध स्थल, नवरात्रि पर जानें पौराणिक महत्व

kalehi Mandir Pawai
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पवई का कलेही मंदिर: नवरात्रि में लगता है 15 दिवसीय मेला।   

पवई के कलेही मंदिर में नवरात्र पर लगता है विशाल मेला। जानिए मंदिर की पौराणिक कथा, महाआरती, पहुंचने का मार्ग और श्रद्धालुओं की आस्था।

Kalehi Mndir Pawai: पन्ना जिले के पवई में पतने नदी के किनारे स्थित कलेही माता का प्राचीन और सिद्ध स्थल क्षेत्रवासियों की धार्मिक आस्था का केंद्र है। नवरात्रि के विशेष मौके पर यहां हजारों श्रद्धालु देवी दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए दूर-दूर से पहुंचते हैं।

मान्यता है कि कलेही माता कालरात्रि का रूप हैं। सदियों पहले नगायच परिवार की वृद्धा महिला पहाड़ी स्थित माता के स्थान पर रोज पूजा करने जाती थीं। ज्यादा उम्र हो जाने के कारण जब वह पहाड़ चढ़ने में असमर्थ हो गईं, तो देवी से घर चलने का आग्रह किया।

देवी ने उसकी आस्था से प्रसन्न होकर साथ चलने का वादा किया, लेकिन एक शर्त रखी। कहा-पीछे मुड़कर मत देखना। महिला नदी पार करते समय जैसे ही पीछे मुड़कर देखा तो देवी उसी स्थान पर रुक गईं। वहीं उसी स्थान पर कलेही माता का मंदिर है। नवरात्र में भक्तजन यहां विशेष दर्शन के लिए आते हैं।

चैत्र नवरात्र में 15 दिवसीय भव्य मेला

राजा शाही काल से चली आ रही परंपरा के अनुसार, चैत्र नवरात्र में यहां 15 दिवसीय विशाल मेला आयोजित होता है। यह मेला नगर परिषद की देखरेख में संपन्न होता है।


नवमी और दशमी को दर्जनों गांवों से जवारे लेकर श्रद्धालु पहुंचते हैं। पूरे मेले में भक्तिभाव, सांस्कृतिक आयोजन और धार्मिक परंपराओं का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।

पंचमी-अष्टमी को 51 ज्योतियों से महाआरती

नवरात्र की पंचमी और अष्टमी तिथि को माता का विशेष श्रृंगार किया जाता है। साथ ही 51 ज्योति से महाआरती की जाती है। इस आयोजन में शामिल होने हजारों श्रद्धालु उमड़ते हैं और माता रानी के दरबार में दिव्यता की अनुभूति करते हैं।

मंदिर की देखरेख शासन के अधीन

कलेही माता मंदिर शासन के अधीन है। यहां की सुरक्षा और पूजा व्यवस्था भी स्थानीय प्रशासन के द्वारा सुनिश्चित की जाती है। कलेही माता को नगायच परिवार की कुल देवी माना जाता है। हालांकि, बृजभूषण बढ़ोलिया और उनके पुत्र हरिकेष बढ़ोलिया कई पीढ़ियों से मंदिर में पुजारी की भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं।


कैसे पहुंचें माता कलेही मंदिर?

पवई से करीब 70 किमी दूर कटनी और सतना रेलवे स्टेशन है। यहां से पवई मंदिर तक नियमित बस सेवा उपलब्ध है। दमोह स्टेशन से भी वाया रोड हटा रैपुरा और मोहंदरा होते हुए पहुंच सकते हैं।

पवई में ठहरने की व्यवस्था

मंदिर परिसर में धर्मशाला और नगर में लॉज सुविधा उपलब्ध है। मंदिर के 50 किमी की रेंज में सिल्वर फाल, चौमुखनाथ महादेव मंदिर, पन्ना टाइगर रिजर्व सहित अन्य ऐतिहासिक स्थल हैं। जिनका लुत्फ उठा सकते हैं।

रिपोर्ट: रविशंकर सोनी, पवई

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