जल संचय अभियान: खंडवा ने रचा इतिहास, देश में मिला पहला स्थान, CM मोहन यादव ने दी बधाई; राज्यों की सूची में MP चौथे स्थान पर

Jal Sanchay Abhiyan Khandwa : जल संरक्षण के क्षेत्र में मध्यप्रदेश के खंडवा जिले ने नया कीर्तिमान स्थापित किया है। केंद्र सरकार के जल शक्ति मंत्रालय द्वारा संचालित जल संचय, जनभागीदारी अभियान के तहत खंडवा को देश के जिलों में पहला स्थान प्राप्त हुआ है। वहीं, राज्यों की श्रेणी में मध्यप्रदेश को देशभर में चौथा स्थान मिला है।
इस उपलब्धि पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने खंडवा के नागरिकों, जनप्रतिनिधियों और शासकीय अमले को बधाई देते हुए कहा कि जल संरक्षण सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है और खंडवा ने इस दिशा में उल्लेखनीय कार्य कर पूरे प्रदेश का मान बढ़ाया है।
मुख्यमंत्री ने कहा, "यह सफलता जनसहयोग और प्रशासनिक प्रतिबद्धता का परिणाम है। हमें विश्वास है कि आने वाले समय में प्रदेश के अन्य जिले भी जल संरक्षण में इसी तरह के उत्कृष्ट कार्य करेंगे।"
खंडवा में बने 1.29 लाख से अधिक जल संरचनाएं
जल गंगा संवर्धन अभियान के राज्य स्तरीय नोडल अधिकारी एवं मनरेगा आयुक्त अविप्रसाद ने जानकारी दी कि खंडवा जिले में विभिन्न योजनाओं जैसे मनरेगा, 15वां और 5वां वित्त आयोग, सीएसआर और जनसहयोग से 1 लाख 29 हजार 46 से अधिक जल संरचनाएं निर्मित की गईं हैं। इनमें प्रमुख रूप से 12,750 कूप रिचार्ज पिट, 23,570 डगवेल, 5,780 बोल्डर चेक डैम, 39,000 रूफवॉटर हार्वेस्टिंग यूनिट, 6,528 हैंडपंप रिचार्ज सिस्टम और 1500 खेत तालाब शामिल हैं।
भौतिक सत्यापन के बाद घोषित होगा पुरस्कार
जल शक्ति मंत्रालय द्वारा जारी रैंकिंग के बाद भारत सरकार द्वारा जिले में हुए कार्यों का भौतिक सत्यापन किया जाएगा। इसके बाद ही पुरस्कार की घोषणा की जाएगी।
क्या है 'जल संचय, जनभागीदारी' अभियान?
जल संचय, जनभागीदारी" अभियान की शुरुआत 6 सितंबर 2024 को "कैच द रेन" पहल के अंतर्गत की गई थी। इसका उद्देश्य वर्षा जल को उसी स्थान पर संचित करना, भूजल पुनर्भरण को बढ़ावा देना और समाज को जल संरक्षण में भागीदार बनाना है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में यह अभियान सामुदायिक भागीदारी और कम लागत वाली वैज्ञानिक तकनीकों को अपनाकर जल संकट से निपटने की दिशा में एक सार्थक प्रयास है।
खंडवा की सफलता बनी अन्य जिलों के लिए प्रेरणा
खंडवा जिले की यह उपलब्धि न केवल प्रदेश बल्कि पूरे देश के लिए एक उदाहरण बनी है कि कैसे जनसहभागिता, प्रशासनिक इच्छाशक्ति और योजनाबद्ध प्रयासों से जल संरक्षण जैसे गंभीर विषय में भी असाधारण सफलता प्राप्त की जा सकती है।