मिसाल: MP के मुस्लिम युवक का ऑफर सुन भावुक हुए प्रेमानंद महाराज, फोनकर वृंदावन बुलाया

इटारसी के आरिफ खान ने प्रेमानंद महाराज को ऑफर की किडनी।
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इटारसी के आरिफ खान ने प्रेमानंद महाराज को ऑफर की किडनी। 

मध्य प्रदेश के मुस्लिम युवक आरिफ खान चिश्ती ने संत प्रेमानंद महाराज को अपनी किडनी ऑफर की। आरिफ की उदारता से प्रभावित प्रेमानंद महाराज ने उसे वृंदावन बुलाया। पढ़ें पूरी खबर

Arif Khan to Premanand Maharaj: वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज इन दिनों खूब चर्चा में हैं। खासकर, जगतगुरु रामभद्राचार्य की चुनौती के बाद इटारसी के एक मुस्लिम युवक उन्हें अपनी किडनी ऑफर की है। प्रेमानंद महाराज ने इटारसी निवासी आरिफ खान चिश्ती के इस पहल की तारीफ की है, लेकिन उसकी किडनी ने लेने से इनकार कर दिया। कहा, आरिफ का यह कदम समाज में सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देगा।

इटारसी में न्यास कॉलोनी निवासी आरिफ खान चिश्ती ने प्रेमानंद महाराज के नाम पत्र लिखकर अपनी किडनी ऑफर की की है। 20 अगस्त को यह पत्र उन्होंने नर्मदापुरम कलेक्टर सोनिया मीणा को सौंपा। उन्होंने ई-मेल और व्हाट्सएप से भी अपना मैसेज भेजा है।

हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक

आरिफ ने प्रेमानंद महाराज को हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक बताया है। पत्र में लिखा- वे समाज में प्रेम और शांति का संदेश देते हैं। मीडिया से मुझे पता चला कि महाराज की दोनों किडनियां खराब हैं, इसलिए मैं अपनी एक किडनी उन्हें दान करना चाहता हूं।

प्रेमानंद के सहयोगी प्रतीक ने किया कॉल

आरिफ का पत्र मिलने के बाद प्रेमानंद महाराज के सहयोगी प्रतीक ने उन्हें फोन किया। बताया कि ई-मेल के जरिए आपका पत्र मिला है। आपकी इस सोच और उदारता से महाराज जी काफी प्रभावित हैं। आपकी यह भावना दुनिया के हर व्यक्ति में होनी चाहिए। महाराज आपसे व्यक्तिगत तौर पर मिलना चाहते हैं।

कौन है आरिफ खान चिस्ती

  • आरिफ की मां का निधन हो चुका है। पिता और तीन भाइयों के साथ वह इटारसी की न्यास कॉलोनी में रहते हैं। आरिफ चार भाइयों में सबसे छोटे हैं। एक साल पहले ही उनकी शादी हुई है। किडनी डोनेट करने को लेकर कहा, यह मेरा व्यक्तिगत निर्णय है। पत्नी भी इससे सहमत है।
  • आरिफ ने कहा, प्रेमानंद महाराज पूरे देश में हिंदू मुस्लिम एकता के प्रतीक हैं। नफरत के महौल में भी वह सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा दे रहे हैं। उनके विचारों से प्रभावित होकर मैंने यह निवेदन किया है। मैं उनके काम आ पाया तो खुद को गौरवशाली मानूंगा।

रामभद्राचार्य ने दी थी चुनौती

चित्रकूट स्थित तुलसी पीठ के पीठाधीश जगतगुरु रामभद्राचार्य ने दो दिन पहले प्रेमानंद महाराज को खुला चैलेंज किया है। कहा, प्रेमानंद मेरे बालक समान हैं। अगर वे सच में चमत्कारी हैं तो मेरे सामने आकर संस्कृत में शास्त्रार्ध करके बताएं। मेरे कहे संस्कृत श्लोकों का अर्थ बताएं। वह डायलिसिस के ऊपर जी रहे हैं, मैं उन्हें न विद्वान मनता और न चमत्कारी।

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