उज्जैन में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का शुभारंभ: CM मोहन यादव बोले- “हर स्कूल के बस्ते में गीता अवश्य होनी चाहिए।”

Geeta Jayanti MP News: उज्जैन में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव: CM मोहन यादव का संदेश- “हर स्कूल के बस्ते में गीता हो”
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उज्जैन में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव: CM मोहन यादव का संदेश- “हर स्कूल के बस्ते में गीता हो”

गीता जयंती पर उज्जैन में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का शुभारंभ करते हुए CM मोहन यादव ने कहा कि हर स्कूल बैग में गीता हो और जीवन में कर्म-योग का संतुलन जरूरी है।

उज्जैन। गीता जयंती के पावन अवसर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उज्जैन के दशहरा मैदान में आयोजित “अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव” का शुभारंभ किया। हजारों की संख्या में मौजूद श्रद्धालुओं, संत-महात्माओं और जनप्रतिनिधियों ने इस गरिमामय आयोजन में भाग लिया।

मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में गीता को जीवन का सबसे व्यावहारिक और संतुलित मार्गदर्शक बताते हुए कहा कि “हर स्कूल के बस्ते में गीता अवश्य होनी चाहिए।” उन्होंने नई शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान-परंपरा को दिए गए सम्मान और मध्यप्रदेश सरकार द्वारा गीता को पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने को गर्व का विषय बताया। समारोह में सामूहिक गीता पाठ हुआ और CM ने उज्जैन में गीता भवन बनाने की घोषणा भी की।

डॉ. यादव ने प्रसन्नता जताई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2020 में आई नई शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान-परंपरा को प्रमुख स्थान दिया गया है। मध्य प्रदेश सरकार ने भी गीता को पाठ्यक्रम में उचित महत्व दिया है और भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं को सम्मानजनक स्थान प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि हमें अपने धर्म और संस्कृति के आदर्शों से सीखने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए। इससे किसी की निंदा नहीं होती, बल्कि सत्य की खोज मजबूत होती है।

यहां देखिए वीडियो


मुख्यमंत्री ने उज्जैन के प्राचीन सांदीपनि आश्रम का स्मरण कराया, जहां पांच हजार वर्ष पूर्व भगवान श्रीकृष्ण ने सुदामा के साथ एक ही गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण की थी। अमीर-गरीब का भेदभाव रहित उस आश्रम ने एकता और प्रेम का संदेश दिया। कंस वध के बाद सत्ता की कुर्सी के बजाय शिक्षा को प्राथमिकता देना श्रीकृष्ण का अनुपम उदाहरण है। कष्टों में भी मुस्कुराना, कालिया मर्दन जैसे कार्य करना और अंत में अपने पुत्र या शिष्य को गद्दी न सौंपकर जनतंत्र की स्थापना करना- ये सभी प्रसंग बताते हैं कि श्रीकृष्ण कर्मयोग के सर्वोच्च नायक हैं।

उन्होंने आगे कहा कि जब-जब धर्म पर संकट आया, तब-तब परमात्मा ने अवतार लेकर धर्म, सत्कर्म और मानवता की रक्षा की। “वसुधैव कुटुंबकम” के हमारे आदि वेद-वाक्य को श्रीकृष्ण ने अपने जीवन से साकार किया। यही संदेश आज भी विश्व को भारत की ओर आकर्षित करता है।

कार्यक्रम में सभी ने सामूहिक गीता पाठ किया और मुख्यमंत्री ने उज्जैन को गीता भवन की सौगात देने की घोषणा भी की। इस आयोजन ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया कि गीता केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला और संतुलित समाज की नींव है।

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