Indore Dussehra 2025: इंदौर में रावण नहीं, सोनम रघुवंशी समेत जलेंगे 11 महिलाओं के पुतले, MLA उषा ठाकुर ने किया समर्थन

सोनम रघुवंशी समेत जलेंगे 11 महिलाओं के पुतले
Indore Dussehra 2025: इस साल इंदौर का दशहरा (Dussehra 2025) कुछ अलग रूप में मनाया जाएगा। महालक्ष्मी नगर स्थित मेला मैदान में इस बार परंपरागत रावण दहन की जगह 11 मुखी शूर्पणखा का पुतला जलाया जाएगा। इस पुतले पर उन महिलाओं की तस्वीरें होंगी जिन्होंने अपने पतियों या मासूम बच्चों की हत्या जैसे जघन्य अपराध किए हैं। यह पहल समाज में बढ़ते महिला अपराधों (Female Crimes) को लेकर एक चेतावनी के तौर पर की जा रही है।
विधायक उषा ठाकुर का समर्थन
इस अनोखी पहल को इंदौर की विधायक उषा ठाकुर ने भी सराहा है। उनका कहना है कि अपराध चाहे पुरुष करें या महिला, समाज के लिए वह घातक है और अस्वीकार्य है। इसलिए ऐसे आयोजन समाज में जागरूकता का संदेश देंगे।

इन महिलाओं के बनेंगे पुतले
इस पुतले में 11 महिलाओं की तस्वीरें शामिल की जाएंगी। यह मॉडर्न कलयुगी शूर्पणखा (Modern Kali Yugi Shurpanakha) के प्रतीक मानी जा रही हैं। इन महिलाओं ने अपने पतियों या मासूम बच्चों की हत्या की। इनके नाम इस प्रकार हैं-
शशि (Shashi) - फिरोजाबाद (Firozabad) की शशि ने अपने प्रेमी योगेन्द्र के साथ मिलकर अपने पति को जहर देकर मार डाला।
रविता (Ravita) - मेरठ (Meerut) की रविता ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने पति को जहरीले सांप से डसवाकर हत्या की।
मुस्कान (Muskan) - मेरठ की मुस्कान ने अपने पति को 35 टुकड़ों में काटकर एक ड्रम में डाल दिया।
हर्षा (Harsha) - राजस्थान की हर्षा ने पति को आत्महत्या के लिए मजबूर किया।
सूचना सेठ (Sushna Seth) - बैंगलोर (Bangalore) की सूचना ने अपने मासूम बेटे की हत्या की।
सोनम रघुवंशी (Sonam Raghuvanshi) - इंदौर की सोनम ने हनीमून के दौरान अपने पति की हत्या की।
निकिता सिंघानिया (Nikita Singhania) - जौनपुर (Jaunpur) की निकिता ने अपने पति को आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया।
हंसा (Hansa) - देवास (Dewas) की हंसा ने एसिड से अपने पति को जलाकर मार डाला।
सुचिता (Suchita) - दिल्ली (Delhi) की सुचिता ने नींद की गोली देकर अपने पति को मार डाला।
चमन उर्फ गुडिया (Chaman aka Gudiya) - मुंबई (Mumbai) की चमन ने अपने पति की हत्या करके उसका शव छिपा दिया।
अपराध किसी भी रूप में अस्वीकार्य
आयोजक संस्था पौरुष का मानना है कि समाज में अक्सर महिला अपराधों को नजरअंदाज कर दिया जाता है, लेकिन ये उतने ही खतरनाक हैं जितने किसी पुरुष द्वारा किए गए। दशहरे का पर्व सिर्फ रावण दहन तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि हर तरह की बुराई और अपराध के खिलाफ चेतावनी का प्रतीक बनना चाहिए।
