जबलपुर हाईकोर्ट: अवैध संबंधों के झूठे आरोप लगाना मानसिक क्रूरता, पति के पक्ष में सुनाया फैसला; दी तलाक की मंजूरी

जबलपुर हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि पति के चरित्र पर बिना सबूत गंभीर आरोप लगाना मानसिक क्रूरता (Mental Cruelty) के दायरे में आता है। अदालत ने इस आधार पर एक पति को तलाक की मंजूरी देते हुए विवाह को शून्य घोषित कर दिया है।
पत्नी ने लगाए थे झूठे अवैध संबंधों के आरोप
मामला चेन्नई निवासी तुषार से जुड़ा है, जो एक इंटरनेशनल कंपनी में कार्यरत हैं और काम के सिलसिले में अक्सर विदेश यात्राएं करते हैं। 2002 में उनका विवाह भोपाल निवासी अश्विनी से हुआ था। तुषार ने अपनी याचिका में बताया कि उनकी पत्नी लगातार उन पर अवैध संबंधों के झूठे आरोप लगाती रही, जिससे उनका निजी और पेशेवर जीवन दोनों प्रभावित हुए। तुषार ने कहा कि पत्नी उनके क्रेडिट कार्ड से खर्च करती थी, लेकिन घर और बच्चे की जिम्मेदारी नहीं निभाती थी। जब वे खर्चों पर बात करते, तो वह भड़क जाती और उन पर चरित्रहीनता के आरोप लगाने लगती थी।
फैमिली कोर्ट ने पहले याचिका खारिज की थी
इससे पहले तुषार ने तलाक के लिए मामला भोपाल फैमिली कोर्ट में दायर किया था। हालांकि अप्रैल 2024 में अदालत ने याचिका खारिज कर दी। इसके बाद तुषार ने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की।
झूठे आरोप मानसिक प्रताड़ना है
जस्टिस विशाल धगट और जस्टिस अनुराधा शुक्ला की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि –“वैवाहिक जीवन में किसी भी पक्ष द्वारा चरित्र पर झूठे आरोप लगाना मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आता है।” अदालत ने यह भी पाया कि पत्नी ने पति के खिलाफ मद्रास पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन काउंसलिंग के लिए कभी पेश नहीं हुई।
कोर्ट ने विवाह को शून्य घोषित किया
हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी के आरोप असत्य और निराधार थे, जिससे पति को मानसिक रूप से गहरी पीड़ा पहुंची। इस आधार पर अदालत ने विवाह को शून्य घोषित करते हुए तलाक की मंजूरी दे दी।
अदालत ने स्पष्ट किया कि-“जब विवाह में भरोसा खत्म हो जाए और एक पक्ष दूसरे पर झूठे आरोप लगाकर उसकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाए, तो यह मानसिक प्रताड़ना कहलाती है और ऐसे में तलाक उचित है।”
