सुरक्षा घेरे में संविधान निर्माता: ग्वालियर हाईकोर्ट में डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा पर मचा बवाल, दो गुट आए आमने-सामने

ग्वालियर हाईकोर्ट में डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा पर मचा बवाल, दो गुट आए आमने-सामने
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Gwalior High Court: ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा स्थापना को लेकर वकीलों के दो गुटों में जबरदस्त टकराव देखने को मिल रहा है।

Gwalior High Court: ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा स्थापना को लेकर वकीलों के दो गुटों में जबरदस्त टकराव देखने को मिल रहा है। जहाँ एक पक्ष दावा करता है कि उन्हें पूर्व चीफ जस्टिस से मौखिक स्वीकृति मिल चुकी है और मूर्ति के लिए फाउंडेशन का काम PWD द्वारा पूरा भी कर लिया गया है, वहीं दूसरा पक्ष इसे न केवल अवैधानिक बल्कि संवेदनशील जातीय मुद्दा बना मान रहा है।

मूर्ति स्थापना के पक्ष में क्या है तर्क?
प्रतिमा समर्थकों का कहना है कि वकीलों के योगदान से 10 फीट ऊंची प्रतिमा तैयार हो चुकी है, जिसे मशहूर मूर्तिकार प्रभात राय के स्टूडियो में कड़ी सुरक्षा के बीच रखा गया है। चारों तरफ CCTV और पुलिस तैनात हैं। उनका दावा है कि यह पहल डॉ. अंबेडकर के योगदान को सम्मान देने के लिए है।

बार एसोसिएशन क्यों कर रही है विरोध?
दूसरी ओर, बार एसोसिएशन का कहना है कि कोर्ट परिसर में किसी महापुरुष की प्रतिमा लगाना सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के खिलाफ है। उनका आरोप है कि प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं रही और संस्थानिक सहमति नहीं ली गई। विरोध जताने के लिए प्रतिमा स्ट्रक्चर पर तिरंगा लगाया गया, जो प्रतीकात्मक विरोध का हिस्सा है।

कैसे शुरू हुआ विवाद?
इस मुद्दे की शुरुआत 19 फरवरी 2025 को हुई जब वकीलों ने पूर्व चीफ जस्टिस को ज्ञापन सौंपा और मौखिक अनुमति का हवाला दिया। उसके बाद PWD ने निर्माण कार्य शुरू कर दिया, लेकिन बार एसोसिएशन को विश्वास में नहीं लिया गया।

प्रिंसिपल रजिस्ट्रार का आदेश क्या कहता है?
26 मार्च 2025 को जारी आदेश में बताया गया कि कमेटी के कुछ सदस्य प्रतिमा स्थापना पर सहमत थे, कुछ ने इसे स्थगित करने की सलाह दी। लेकिन चूंकि कार्य शुरू हो चुका था और भुगतान हो चुका था, स्थापना की इजाजत दे दी गई।

जातीय रंग लेता विवाद, बढ़ी सुरक्षा
अब यह विवाद केवल वकीलों तक सीमित नहीं रहा। भीम सेना और सामाजिक संगठन इसमें कूद पड़े हैं। 29 जून को ‘भीमराव अग्निपथ महासभा’ और 11 जुलाई को ‘अंबेडकर महापंचायत’ जैसे बड़े आयोजन घोषित हो चुके हैं। इस बीच, मूर्ति को लेकर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है और पुलिस हालात पर लगातार नजर बनाए हुए है।

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