गरबा पंडालों में मुस्लिमों की एंट्री बैन: धीरेंद्र शास्त्री बोले-गोमूत्र का करें छिड़काव, रामेश्वर शर्मा ने भी दी चेतावनी

गरबा मुस्लिम एंट्री विवाद: धीरेंद्र शास्त्री बोले-गोमूत्र का छिड़काव करें
Garba Muslim Entry Controversy: नवरात्रि के गरबा कार्यक्रमों में गैरहिंदुओं की एंट्री को लेकर मध्य प्रदेश की सियासत गरमा गई है। बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने भी आपत्ति जताई है। कहा, जब हम उनके धार्मिक कार्यक्रमों में नहीं जाते, वैसे उन्हें भी नहीं आना चाहिए। धीरेंद्र शास्त्री ने गरबा पंडालों के प्रवेश द्वार पर गोमूत्र के छिड़काव का सुझाव भी दिया है। बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा ने प्रतिक्रिया दी थी।
धीरेंद्र शास्त्री ने क्या कहा?
- धीरेंद्र शास्त्री नवरात्रि पर रविवार (22 सितंबर 2025) को छतरपुर जिले के लवकुशनगर स्थित बंबरबेनी माता के दर्शन को पहुंचे थे। इस दौरान मीडिया से चर्चा करते हुए कहा, जिस प्रकार सनातन धर्मावलंबी हज यात्रा में नहीं जाते, उसी प्रकार मुस्लिमों की गरबा जैसे धार्मिक कार्यक्रम में भागीदारी नहीं होनी चाहिए।
- धीरेंद्र शास्त्री ने आयोजकों को सलाह दी है कि गरबा पंडालों के प्रवेश द्वार पर गोमूत्र का छिड़काव करें। ताकि उसकी शुद्धता बनी रहे।
BJP विधायक की चेतावनी
भोपाल के हुजूर से विधायक रामेश्वर शर्मा ने भी गरबा पंडालों पर गैरहिंदुओं के प्रवेश पर आपत्ति जताई है। पिछले दिनों उन्होंने कहा था कि गैर-हिंदू भी गरबा में हिस्सा ले सकते हैं, लेकिन उन्हें पहले सनातन धर्म अपनाना होगा। तिलक लगाना होगा और आरती करनी होगी।
रामेश्वर बोले-सबका DNA हिंदू
रामेश्वर शर्मा ने यह भी कहा था कि कोई छल से गरबा स्थलों में घुसने की कोशिश करेगा, तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। कोई यदि यह मानता है कि उनके पूर्वजों ने गैर-हिंदू धर्म अपनाकर गलती की है, तो वे वापस सनातन धर्म में आ सकते हैं, क्योंकि ‘सभी का DNA हिंदू है।
नवरात्र और गरबे पर विवाद क्यों बढ़ा?
नवरात्रि उत्सव 22 सितंबर से शुरू हो चुका है। इसमें गरबा नृत्य प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन होता है। कई हिंदू संगठनों और विहिप (VHP) ने लव जिहाद के खतरे को लेकर गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि कुछ लोग धार्मिक आयोजनों की आड़ में छल करते हैं।
सनातन सांस्कृतिक और गरबा का महत्व?
गरबा देवी दुर्गा की आराधना का प्रतीक नृत्य है, जो खासकर गुजरात और मध्य प्रदेश में लोकप्रिय है। यह धार्मिक भावना और संस्कृति की शुद्धता से जुड़ा हुआ माना जाता है। हिंदू संगठनों का तर्क है कि इस पवित्र आयोजन में केवल श्रद्धालुओं को ही भाग लेने दिया जाना चाहिए।
