दिवाली पर कार्बाइड गन से बड़ा हादसा: भोपाल में 60 से ज्यादा घायल, 14 बच्चों की आंखों की रोशनी गई

Diwali accident in Bhopal: Carbide gun injures 60, 14 children lose their eyesight.
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भोपाल में दिवाली हादसा: कार्बाइड गन से 60 घायल, 14 बच्चों की आंखों की रोशनी गई

भोपाल में दिवाली के जश्न के दौरान कार्बाइड गन फटने से बड़ा हादसा हुआ। 60 से अधिक लोग घायल, जिनमें 14 बच्चों की आंखों की रोशनी चली गई। जानिए कैसे ‘देसी पटाखा’ बनी जानलेवा और अब प्रशासन ने क्या कार्रवाई की।

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में दिवाली की खुशियां गम में बदल गई हैं। अस्थायी कार्बाइड गनों के धमाकों से 60 से अधिक लोग घायल हुए हैं। इनमें से ज्यादातर बच्चे हैं, जिनकी उम्र 8 से 14 साल के बीच बताई जा रही है।

इन हादसों में कम से कम 14 बच्चों की आंखों की रोशनी स्थायी रूप से चली गई है, जबकि कई के चेहरे और त्वचा पर गंभीर चोटें आई हैं।

अस्पतालों में मची अफरा-तफरी

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, भोपाल के प्रमुख अस्पतालों- हमीदिया, जेपी, सेवासदन और एम्स में घायलों का इलाज चल रहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दिवाली के अगले दिन तक शहर में 150 से अधिक कार्बाइड गन चोट के मामले दर्ज किए गए।

कई मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई, लेकिन गंभीर रूप से घायल बच्चे अभी भी अस्पतालों में भर्ती हैं। एम्स भोपाल में डॉक्टरों की टीम 12 साल के एक बच्चे की आंखों की रोशनी बहाल करने की कोशिश कर रही है, जबकि हमीदिया अस्पताल में करीब 10 बच्चे भर्ती हैं।


सीएमएचओ की चेतावनी: "ये गन खिलौना नहीं, जानलेवा हैं"

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. मनीष शर्मा ने कहा, "कार्बाइड पाइप गन बेहद खतरनाक हैं। घायल 60 लोग अभी भी इलाजरत हैं। सभी की स्थिति स्थिर है, लेकिन भविष्य में ऐसी लापरवाही से बचना जरूरी है।"

उन्होंने बताया कि ये गन कोई पटाखा या खिलौना नहीं हैं। इनसे निकले प्लास्टिक के टुकड़े शैनेल की तरह शरीर में घुस जाते हैं, जिससे आंखों और चेहरे को स्थायी नुकसान पहुंच सकता है।

कैसे बनी जानलेवा ‘कार्बाइड गन’

ये अस्थायी गन गैस लाइटर, प्लास्टिक पाइप और कैल्शियम कार्बाइड से तैयार की जाती हैं। जब कैल्शियम कार्बाइड पानी के संपर्क में आता है, तो यह एसीटिलीन गैस उत्पन्न करता है, जो चिंगारी मिलने पर धमाका कर देती है।

आमतौर पर किसान इन्हें फसलों को जानवरों से बचाने के लिए इस्तेमाल करते हैं, लेकिन इस बार ये दिवाली पर बाजारों में 150-200 रुपए में बिना किसी चेतावनी के खुलेआम बेची गईं।

सोशल मीडिया ने बढ़ाया खतरा

‘देसी पटाखा’ के नाम से सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो ने इन गनों की लोकप्रियता बढ़ा दी। परिणामस्वरूप, भोपाल सहित विदिशा, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में भी इसी तरह के हादसे दर्ज किए गए। तीन दिनों में 122 से अधिक बच्चों को आंखों की चोटों के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया।

प्रशासन की कार्रवाई शुरू

18 अक्टूबर को मुख्यमंत्री मोहन यादव ने जिलाधिकारियों और पुलिस को इन गनों की बिक्री रोकने के निर्देश दिए थे, लेकिन दिवाली से पहले ही बाजारों में इनकी बाढ़ आ गई। अब प्रशासन हरकत में आया है। भोपाल पुलिस ने एमपी नगर, गांधी नगर और बाग सेवनिया से 60 से अधिक कार्बाइड गन जब्त की हैं। डॉ. शर्मा ने बताया कि अवैध निर्माण और बिक्री पर अब सख्त कार्रवाई शुरू हो गई है।

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