श्रीलंका: कोलंबो में गूंजे रोहन पाठक के सुर, अधिरोह बैंड की पहली विदेशी प्रस्तुति ने जीता दिल

Colombo में गूंजे भोपाल के सुर
रिपोर्ट: मधुरिमा राजपाल
भोपाल की संगीत परंपरा ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी गूंज दर्ज कराई है। सूफी अंदाज़ और सुरीले सुरों के लिए मशहूर अधिरोह बैंड और ‘वॉइस ऑफ इंडिया’ फेम गायक रोहन पाठक ने श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में ऐसा संगीतमय माहौल रचा कि श्रोता देर तक तालियों और वाहवाही से झूमते रहे।
15 और 16 अगस्त को हुई यह प्रस्तुति अधिरोह बैंड के लिए ऐतिहासिक रही, क्योंकि यह उनकी पहली विदेशी परफॉर्मेंस थी। भव्य ऑडिटोरियम में जब रोहन की आवाज़ और बैंड के सुर गूंजे, तो वह पल किसी उत्सव से कम नहीं लगा। संगीतप्रेमियों ने न सिर्फ कार्यक्रम का भरपूर आनंद लिया, बल्कि भारतीय संगीत की इस जादुई पेशकश को अपने दिलों में संजो लिया।
कोलंबो में सूफियाना अंदाज़
कोलंबो के भव्य ऑडिटोरियम में जब रोहन पाठक की सुरीली आवाज़ गूंजी और अधिरोह बैंड के कलाकारों ने सुरों को पंख दिए, तो वातावरण सूफियाना रंग में रंग उठा। श्रोताओं ने तालियों की गड़गड़ाहट और वाहवाही के साथ हर गीत का स्वागत किया।
यह प्रस्तुति एक कॉर्पोरेट इवेंट के तहत आयोजित हुई थी, लेकिन माहौल ऐसा बन गया मानो यह एक सांगीतिक उत्सव हो। बैंड के मैनेजर अभिनय धूरिया ने बताया कि यह हमारे लिए गर्व का क्षण था। पहली बार अधिरोह बैंड ने विदेशी धरती पर परफॉर्म किया और श्रोताओं ने जिस तरह का प्यार और सम्मान दिया, उसने हमारी मेहनत को सार्थक कर दिया।

भोपाल के अधिरोह बैंड और रोहन पाठक ने कोलंबो में पहली विदेशी प्रस्तुति दी।
वॉइस ऑफ इंडिया फेम रोहन पाठक
बैंड के मुख्य सिंगर रोहन पाठक ‘वॉइस ऑफ इंडिया’ जैसे राष्ट्रीय मंच पर अपनी प्रतिभा दिखा चुके हैं। रोहन ने बचपन से ही संगीत की साधना को अपना जीवन बना लिया। भोपाल में जन्मे रोहन अब तक देश के कई बड़े शहरों में प्रस्तुतियां दे चुके हैं। उनकी गायकी में जहां एक ओर शास्त्रीय संगीत की गहराई झलकती है, वहीं दूसरी ओर आधुनिक धुनों की ऊर्जा भी।
कोलंबो में उनके गीतों ने श्रोताओं के दिल को छू लिया और उन्हें लंबे समय तक बांधे रखा। उल्लेखनीय है कि गिटार पर प्रवेश रावत और ओमी, की-बोर्ड पर ओजस, को-सिंगर करणदीप सिंह मट्टू, देवेश भौर्या और सार्थक रायकवर ड्रम्स पर आयुष ओझा, और परकशन पर देवा शांडिल्य और साउंडर इंजीनियर की भूमिका में शुभोजीत सरकार थे।
