'हम शांतिप्रिय पर शांतिवादी नहीं': CDS अनिल चौहान की दो टूक; ऑपरेशन सिंदूर पर किए अहम खुलासे; जानें क्या कहा?

महू के आर्मी वॉर कॉलेज में रण संवाद को संबोधित करते सीडीएस अनिल चौहान
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महू के आर्मी वॉर कॉलेज में 'रण संवाद' को संबोधित करते सीडीएस अनिल चौहान

चीफ डिफेंस स्टॉफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने मंगलवार (26 अगस्त) महू में ऑपरेशन सिंदूर से जुड़े अहम खुलासे किए। युद्ध की नई तकनीक, भविष्य की जरूरतें और भारतीय इनोवेशन से अगवत कराया।

CDS Anil Chauhan on Operation Sindoor: चीफ डिफेंस स्टॉफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान मंगलवार (26 अगस्त) को मध्य प्रदेश के महू पहुंचे। यहां रण संवाद को संबोधित करते हुए बताया कि ऑपरेशन सिंदूर एक आधुनिक संघर्ष था। इससे हमने कई सबक लिए। अधिकांश पर अमल भी कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी है, लेकिन मैं यहां इससे आगे की बात पर चर्चा करने आया हूं।

महू के आर्मी वॉर कॉलेज में आयोजित प्रथम त्रि-सेवा संगोष्ठी 'रण संवाद' में उन्होंने कहा, भारत हमेशा शांति के पक्ष में रहा है। हम शांतिप्रिय राष्ट्र जरूर हैं, लेकिन शांतिवादी नहीं हो सकते। शक्ति के बिना शांति स्वप्नलोक है। लैटिन उद्धरण का जिक्र कर बताया कि अगर आप शांति चाहते हैं, तो युद्ध के लिए तैयार रहें।

शस्त्र, सुरक्षित और आत्मनिर्भर बनना होगा

सीडीएस चौहान ने कहा, विकसित भारत के रूप में हमें 'शस्त्र', 'सुरक्षित' और 'आत्मनिर्भर' बनना होगा। न केवल तकनीक, बल्कि विचारों और व्यवहार में भी हमें आत्मनिर्भर बनने की जरूरत है। युद्ध कैसे लड़े जाते हैं, इसकी अकादमिक खोज, व्यावहारिक, वास्तविक युद्ध तकनीकों और युक्तियों के प्रति समाज को जागरूक करने की जरूरत है।

सैन्य रणनीति और योद्धाओं का संयोजन

सीडीएस चौहान ने हमने 'शस्त्र' और 'शास्त्र' का समान माना है। वास्तव में ये एक ही तलवार के दो ब्लेड हैं। सैन्य रणनीति और योद्धाओं का संयोजन जीतने के लिए जरूरी है। महाभारत में अर्जुन सबसे महान योद्धा थे, फिर भी उन्हें कृष्ण के मार्गदर्शन की जरूरत पड़ी। इसी तरह चंद्रगुप्त को चाणक्य के ज्ञान की आवश्यकता पड़ी। भारत गौतम बुद्ध, महावीर जैन और महात्मा गांधी की भूमि है, जो सभी अहिंसा के चैंपियन थे।

युद्ध तकनीक, भविष्य और पृष्ठभूमि

सीडीएस चौहान ने युद्ध तकनीक, भविष्य और उनकी पृष्ठभूमि पर चर्चा की। कहा, पिछले कुछ सालों से राष्ट्र और सरकारों में बल प्रयोग की प्रवृत्ति बढ़ी है। युद्ध और शांति के बीच अब बहुत अंतर नहीं रहा। पहले घोषित तौर पर युद्ध लड़े जाते थे, लेकिन अब वह दौर खत्म हो गया है। आज प्रतिस्पर्धा, संकट, टकराव, संघर्ष और युद्ध एक प्रकार का सातत्य है।

युद्ध के मैट्रिक्स अब बदल

सीडीएस चौहान ने बताया युद्ध के मैट्रिक्स अब बदल गए हैं। पहले सैनिकों की बलि और उपकरणों को हुए नुकसान से इसका आंकलन करते थे, लेकिन आज युद्ध संचालन की स्पीड और लय और लंबी दूरी के टारगेट पर सटीक हमले जीत के मानक बन गए हैं। 1971 में हमने 95,000 पाकिस्तानियों को पकड़े थे, लेकिन अब तकनीक का युग है।

सुदर्शन चक्र क्या है?

  • सीडीएस चौहान ने सुदर्शन चक्र पर चर्चा करते हुए कहा, भारत का यह अपना आयरन डोम या गोल्डन डोम है। जो भारत की सामरिक सुरक्षा को मज़बूत करेगा। 2035 तक इसे लागू करने का लक्ष्य है। पीएम मोदी भी 15 अगस्त के संबोधन में इसका जिक्र कर चुके हैं।
  • सीडीएस चौहान ने कहा, सुदर्शन चक्र का उद्देश्य भारत के सामरिक, नागरिक और राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित कराना है। यह यह प्रणाली ढाल के साथ तलवार का भी काम करेगी।
  • दुश्मन के हवाई हमलों का पता लगाने, उन्हें हासिल करने और बेअसर करने के लिए मज़बूत बुनियादी ढाँचा तैयार किया जाएगा। इसमें सॉफ्ट स्किल्स और हार्ड स्किल्स दोनों तरह के हथियारों का इस्तेमाल किए जाएंगे।

भविष्य की चुनौतियां

  • सीडीएस चौहान ने कहा, डीआरडीओ ने पिछले दिनों विशेष एकीकृत प्रणाली का परीक्षण किया है। इसमें क्यूआरएसएएम, वीएसएचओआरएडीएस और 5-किलोवाट लेज़र शामिल हैं। अब हमें बहु-क्षेत्रीय आईएसआर पर ध्यान देना होगा, जिसमें ज़मीन, हवा, समुद्र, समुद्र के नीचे, अंतरिक्ष, सेंसरों का एकीकरण करना जरूरी है। इसके लिए कई क्षेत्रों को नेटवर्क से जोड़ना होगा।
  • रियल टाइम फीडबैक और सूचना विश्लेषण के लिए भारी मात्रा में डेटा की जरूरत होगी। कृत्रिम बुद्धिमत्ता, उन्नत संगणन, डेटा विश्लेषण, बिग डेटा, एलएलएम और क्वांटम तकनीकों का उपयोग आवश्यक होगा।
  • भारत जैसे विशाल देश के लिए, इस परिमाण की परियोजना के लिए एक समग्र राष्ट्र दृष्टिकोण की आवश्यकता होगी। लेकिन हमेशा की तरह, मुझे पूरा विश्वास है कि भारतीय इसे न्यूनतम और हमारे लिए बहुत ही किफायती लागत पर पूरा करेंगे।
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