भोपाल रेलवे स्टेशन की बदहाली: 17 करोड़ की चमक पर गुटखे के दाग, टूटे फर्श

भोपाल रेलवे स्टेशन
“दो साल पहले जिस स्टेशन को भोपाल की शान कहा गया था, आज वही स्टेशन गुटखे की पीक और टूटे फर्श की बदहाली का प्रतीक बन गया है।”
कपिल देव श्रीवास्तव, भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी का मुख्य रेलवे स्टेशन, रोजाना हजारों यात्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र है। मई 2023 में 17 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित नई बिल्डिंग के साथ रेलवे ने आधुनिक सुविधाओं और स्वच्छ माहौल का वादा किया था। लेकिन, दो साल से भी कम समय में, स्टेशन की स्थिति चिंताजनक हो गई है। गुटखे-पान के दाग, टूटे फर्श, और अव्यवस्थित सुविधाएं न केवल यात्रियों की असुविधा का कारण बन रही हैं, बल्कि स्वच्छ भारत अभियान के दावों को भी चुनौती दे रही हैं। हरिभूमि रिपोर्टर ने भोपाल रेलवे स्टेशन की स्वच्छता और रखरखाव की स्थिति पर गहराई से विश्लेषण किया है, जिसमें विशिष्ट आंकड़े और हाल के आंकड़ों का उपयोग शामिल है।
समस्याओं का गहराई से विश्लेषण
गुटखे-पान के दाग और गंदगी
- स्थिति: स्टेशन की दीवारों, सीढ़ियों, और मुख्य प्रवेश द्वार पर गुटखे और पान के दाग स्पष्ट दिखाई देते हैं। मुख्य द्वार पर जाले लटके हुए हैं, जो स्टेशन की सौंदर्यता को नष्ट करते हैं।
- विशिष्ट जानकारी: भोपाल और रानी कमलापति स्टेशनों पर स्वच्छता की स्थिति स्वच्छ भारत अभियान के दावों के विपरीत है। प्लेटफॉर्म 5 और 6 पर प्लास्टिक की बोतलें, खाद्य पैकेजिंग, और सामान्य कचरा नियमित रूप से जमा होता है, जो अस्वच्छ वातावरण बनाता है।
- आंकड़े: भोपाल स्टेशन पर रोजाना लगभग 125 जोड़ी ट्रेनें गुजरती हैं, जिससे हजारों यात्री प्रभावित होते हैं। सफाई कर्मचारियों की अनियमित समय-सारिणी और कचरा डिब्बों का देर तक खाली न होना गंदगी को बढ़ावा देता है।
- प्रभाव: यह गंदगी न केवल सौंदर्य को प्रभावित करती है, बल्कि स्वास्थ्य जोखिम भी पैदा करती है। मानसून के दौरान जमा कचरा नालियों को अवरुद्ध कर सकता है, जिससे अतिरिक्त खतरे उत्पन्न होते हैं।

टूटा फर्श: सुरक्षा का संकट
- स्थिति: प्लेटफॉर्म नंबर 4 और 5 पर टूटे फर्श की समस्या गंभीर है। यात्रियों को ट्रेन तक पहुंचने के लिए इन टूटे हिस्सों से गुजरना पड़ता है, जिससे फिसलने और गिरने का खतरा बना रहता है।
- विशिष्ट जानकारी: यह समस्या पिछले 15 दिनों से बनी हुई है और स्टेशन प्रबंधक के नियमित निरीक्षण के बावजूद मरम्मत नहीं हुई। प्लेटफॉर्म में पानी के नल स्थापित हैं, लेकिन उनकी नियमित सफाई नहीं होती। गुटखे के लाल दाग हर जगह दिखाई देते हैं।
- आंकड़े: भोपाल स्टेशन की भीड़भाड़ को देखते हुए, खासकर पीक आवर्स में, टूटे फर्श से दुर्घटना का खतरा बढ़ जाता है। यह विशेष रूप से बुजुर्गों, बच्चों, और दिव्यांग यात्रियों के लिए खतरनाक है।
- प्रभाव: टूटे फर्श से यात्रियों की सुरक्षा को खतरा है, और यह रेलवे की लापरवाही को उजागर करता है।
अव्यवस्थित सुविधाएं
- स्थिति: वाटर वेंडिंग मशीनें अनुचित स्थानों पर रखी गई हैं, जिससे चलने और बैठने की जगह कम हो रही है।
- विशिष्ट जानकारी: स्टेशन पर बैठने की व्यवस्था अपर्याप्त है। इसके अलावा, चार्जिंग पॉइंट्स की कमी और गैर-कार्यशील चार्जिंग पॉइंट्स, विशेष रूप से अकेले यात्रा करने वाली महिला यात्रियों के लिए, असुविधा और सुरक्षा चिंता का कारण हैं।
- आंकड़े: भोपाल स्टेशन पर रोजाना हजारों यात्री आते-जाते हैं, और सीमित बैठने की व्यवस्था और अनियोजित मशीन प्लेसमेंट भीड़भाड़ को बढ़ाता है।
- प्रभाव: यह स्थिति यात्रियों की सुविधा को कम करती है और स्टेशन के आधुनिक डिजाइन के दावों को कमजोर करती है।

स्वच्छता और रखरखाव: आंकड़े और नीतियां
- स्वच्छता सर्वे रैंकिंग: 2019 के स्टेशन स्वच्छता सर्वेक्षण में भोपाल रेलवे स्टेशन को देश के 720 स्टेशनों में 335वां स्थान प्राप्त हुआ था, जो इसकी खराब स्वच्छता स्थिति को दर्शाता है। एनएसजी-2 श्रेणी के स्टेशनों में यह 54वें स्थान पर था।
- पिछली रैंकिंग: 2018 में भोपाल स्टेशन ए-1 श्रेणी के स्टेशनों में देश के सबसे गंदे स्टेशनों में दूसरे स्थान पर था, जो स्वच्छता में सुधार की धीमी गति को दर्शाता है।
- सफाई पर खर्च: रेलवे हर महीने भोपाल स्टेशन की सफाई पर लाखों रुपये खर्च करता है, लेकिन परिणाम असंतोषजनक हैं। कचरा डिब्बों का देर तक खाली न होना और अनियमित सफाई कार्यक्रम प्रमुख समस्याएं हैं।
- स्वच्छता अभियान: भोपाल रेलवे डिवीजन ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत कई पहल शुरू की हैं, जैसे अगस्त 2024 में स्वतंत्रता दिवस के लिए विशेष स्वच्छता अभियान (1-15 अगस्त) और अक्टूबर 2024 में स्वच्छता विशेष अभियान 4.0 (2-31 अक्टूबर)। इन अभियानों में स्टेशनों, प्लेटफॉर्म, और रेलवे कॉलोनियों की गहन सफाई, नालियों की सफाई, और कचरा प्रबंधन पर जोर दिया गया।
- आईएसओ प्रमाणन: मार्च 2025 में, भोपाल डिवीजन के नौ स्टेशनों को आईएसओ 14001:2015 पर्यावरण प्रबंधन प्रणाली प्रमाणन प्राप्त हुआ, जिसमें स्वच्छता, जल संरक्षण और ऊर्जा दक्षता पर ध्यान दिया गया। हालांकि, भोपाल जंक्शन की मौजूदा स्थिति इस प्रमाणन के दावों से मेल नहीं खाती।
यात्रियों की प्रतिक्रिया और प्रभाव
- यात्री शिकायतें: रतलाम से भोपाल आये उमेश मिश्रा ने स्टेशन की स्थिति देखकर यही कहा- क्लीन सिटी में मामले में भोपाल देशभर में दूसरे नंबर पर कैसे हो सकता है। इतना गंदा स्टेशन। उन्होंने कहा, इससे अच्छा तो रतलाम का स्टेशन है।
- जयपुर से आए एक दूसरे यात्री पुष्पेंद्र शर्मा ने कहा, ये राजधानी का जंक्शन है। बोले- इससे अच्छे, साफ सुथरे तो राजस्थान के छोटे छोटे स्टेशन हैं। इतनी गंदगी और बदबू। बोले स्टेशन में खड़ा नहीं रहा जा रहा है।
- स्वास्थ्य और सुरक्षा जोखिम: गुटखे के दाग और जमा कचरा अस्वच्छ वातावरण बनाते हैं, जो बीमारियों का कारण बन सकता है। इसके अलावा भीड़भाड़ के समय टूटे फर्श से दुर्घटना का खतरा भी बढ़ जाता है।
- रेलवे की छवि: भोपाल, जो स्वच्छ शहर रैंकिंग में दूसरे स्थान पर काबिज है, उसी शहर का रेलवे स्टेशन 2018 में 407 स्टेशनों में 374वें स्थान पर था, जो शहर की छवि के विपरीत है।
संभावित समाधान
1.सख्त सफाई और निगरानी:
- सफाई कर्मचारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए नियमित ऑडिट और डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम लागू किया जाए।
- दीवारों पर दाग-रोधी पेंट और गुटखे-पान पर सख्त प्रतिबंध लागू हो।
2.त्वरित मरम्मत:
- टूटे फर्श की मरम्मत के लिए 24/7 रखरखाव टीम गठित की जाए।
- सुरक्षा मानकों के अनुसार तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित हो।
3.जागरूकता अभियान:
- स्टेशन पर एनाउंसमेंट, पोस्टर और डिजिटल स्क्रीन के माध्यम से यात्रियों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया जाए।
- गुटखा और पान खाने वालों पर जुर्माना और सीसीटीवी निगरानी लागू हो।
4. सुविधाओं की समुचित व्यवस्था हो
- वाटर वेंडिंग मशीनों और चार्जिंग पॉइंट्स को यात्री सुविधा को ध्यान में रखकर पुनर्व्यवस्थित किया जाए।
- बैठने की जगह बढ़ाने के लिए अतिरिक्त बेंच और कुर्सियां लगाई जाएं।
5.प्रौद्योगिकी और सामुदायिक सहभागिता:
- शिकायतों के लिए रेलवे ऐप या हेल्पलाइन शुरू की जाए।
- स्थानीय समुदायों और यात्री संगठनों को स्वच्छता अभियानों में शामिल किया जाए, जैसा कि अगस्त 2024 के अभियान में किया गया।
फैक्ट्स और आंकड़े
- ट्रेन और यात्री यातायात: भोपाल जंक्शन से रोजाना 125 जोड़ी ट्रेनें गुजरती हैं, और हजारों यात्री इसका उपयोग करते हैं।
- स्वच्छता अभियान: अगस्त 2024 में भोपाल रेलवे डिवीजन ने स्वतंत्रता दिवस के लिए विशेष सफाई अभियान चलाया, जिसमें प्लेटफॉर्म, नालियां, और रेलवे कॉलोनियों की सफाई पर जोर दिया गया।
- यात्री प्रतिक्रिया: रेल चौपाल में यात्रियों ने स्टेशन, कोच, और शौचालयों की स्वच्छता पर ध्यान देने की मांग की।
निष्कर्ष
भोपाल देशभर में स्वच्छ शहर की मिसाल पेश करता है, लेकिन रेलवे स्टेशन की जर्जर तस्वीर इस छवि पर काला धब्बा बन रही है। करोड़ों की लागत से बनी चमचमाती बिल्डिंग अगर गुटखे के दाग, टूटे फर्श और गंदगी में ही दबकर रह जाएगी, तो यह शहर की साख और यात्रियों दोनों के साथ अन्याय होगा। अब बड़ा सवाल यह है- क्या रेलवे ईमानदारी से सुधार की ठोस पहल करेगा, या फिर करोड़ों की चमक धीरे-धीरे धुंधली होकर बदहाली की तस्वीर बन जाएगी?
