भोपाल मेट्रो के लिए CMRS का ग्रीन सिग्नल, PM मोदी कर सकते हैं लोकार्पण

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मेट्रो पहली व्यावसायिक संचालन की तैयारी शुरु हो गई है, लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है कि मेट्रो के आठों स्टेशनों पर पार्किंग की सुविधा नहीं है।

भोपाल। भोपाल मेट्रो के प्रायोरिटी कॉरिडोर को कमिश्नर मेट्रो रेल सेफ्टी से हरी झंडी मिल चुकी है। अब इसके लोकार्पण की चर्चा शुरू हो गई है। छह किमी से अधिक लंबे इस ऑरेंज लाइन कॉरिडोर में कुल आठ स्टेशन सुभाष नगर, केंद्रीय विद्यालय, डीबी मॉल, एमपी नगर, रानी कमलापति, डीआरएम तिराहा, अलकापुरी और एम्स शामिल हैं। मेट्रो पहली व्यावसायिक संचालन की तैयारी शुरु हो गई है, लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है कि मेट्रो के आठों स्टेशनों पर पार्किंग की सुविधा नहीं है। जो यात्री अपनी कार या दोपहिया से स्टेशन तक आएंगे, उन्हें वाहन खड़ा करने के लिए कोई जगह नहीं मिलेगी। इन स्टेशनों का संचालन ड्रॉप एंड गो मॉडल पर किया जाएगा-जहां केवल उतरने और चढ़ने की ही सुविधा होगी, यहां वाहन खड़े करने की अनुमति नहीं होगी।

दुकानों-कमर्शियल आउटलेट्स पर जोर

मेट्रो कॉर्पोरेशन का फोकस फिलहाल स्टेशन के नीचे बनाई जाने वाली दुकानों और कमर्शियल आउटलेट्स पर है। इसी कारण स्टेशन के नीचे पार्किंग स्पेस नहीं छोड़ा गया है। अफसरों का कहना है कि वे पार्किंग के वैकल्पिक विकल्प तलाशने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि यात्रियों को भविष्य में परेशानी न हो, लेकिन अब तक ऐसी कोई स्पष्ट व्यवस्था सामने नहीं आई है। इसका असर यह होगा कि शुरुआत में मेट्रो का उपयोग मुख्यतः वही लोग कर पाएंगे जो किसी साधन से आएंगे, जबकि निजी वाहन से आने वाले यात्री परेशान होंगे।

लोकार्पण की स्थिति अब तक स्पष्ट नहीं

लोकार्पण की तारीख को लेकर स्थिति अभी साफ नहीं है। यद्यपि उम्मीद जताई जा रही है कि इसी माह में मेट्रो का कमर्शियल परिचालन शुरू हो सकता है, लेकिन इसके 13 दिसंबर से शुरुआत की संभावना कम है। कमर्शियल रन की शुरुआत की तिथि अब तक तय नहीं हुई है और तैयारियों का समय बहुत कम बचा है। पीएम नरेंद्र मोदी इस मेट्रो का वर्चुअल शुभारंभ कर सकते हैं, जैसा कि मई में उन्होंने इंदौर मेट्रो का किया था। हालांकि, उद्घाटन के लिए पीएम मोदी स्वयं भोपाल आएंगे या र्चुअल उद्घाटन करेंगे, इस बारे में अब कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है।

मैनुअल रहेगा टिकटिंग सिस्टम

एक और बड़ी चुनौती टिकटिंग सिस्टम को लेकर है। तुर्किए की कंपनी के साथ किया गया स्वचालित टिकटिंग सिस्टम का ठेका रद्द कर दिया गया है। नई कंपनी को यह जिम्मेदारी दिए जाने तक मेट्रो को मैनुअल टिकटिंग पर ही निर्भर रहना होगा। इंडौर में भी यही सिस्टम लागू है। भोपाल में भी कुछ समय तक यही स्थिति रहने वाली है। इससे समय और भीड़ प्रबंधन में कठिनाई देखने को मिल सकती है, लेकिन मेट्रो कॉर्पोरेशन के पास फिलहाल इसके अलावा कोई दूसरा विकल्प विकल्प नहीं है। स्टेशनों पर कुछ निर्माण अभी बाकी है, लेकिन उनका संचालन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। भोपाल मेट्रो अपने प्रथम चरण के संचालन के लिए तैयार है, लेकिन पार्किंग न होने से यात्रियों को बड़ी असुविधा का सामना करना पड़ेगा।

रिपोर्टर- एपी सिंह

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