Women Empowerment: महिलाएं बनेंगी डिलीवरी एजेंट और बाइक टैक्सी ऑपरेटर, भोपाल में ट्रेनिंग शुरू; इंदौर-जबलपुर में विस्तार जल्द

Women delivery rider India
Saksham Project Women Empowerment: मध्य प्रदेश में घरेलू हिंसा की पीड़ित महिलाएं जल्द ही सड़क पर बाइक टैक्सी चलाती नजर आएंगी। उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक्शनएड एसोसिएशन और महिला मंच फाउंडेशन (MMF) ने ‘सक्षम परियोजना’ शुरू की है। इस प्रोजेक्ट के तहत महिलाओं को प्रशिक्षित कर ब्लू डार्ट, जोमैटो, स्विगी और रैपिडो जैसी बाइक टैक्सी और डिलीवरी सर्विस से जोड़ा जा रहा है।
एक्शनएड एसोसिएशन और महिला मंच फाउंडेशन (MMF) ने महिला सशक्तिकरण के इस अभियान की शुरुआत राजधानी भोपाल से शुरू की है। जल्द ही इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर उज्जैन जैसे अन्य शहरों में भी ऐसी महिलाओं को चिह्नित कर ट्रेंड किया जाएगा।
एक्शनएड इंडिया की अधिकारी सौम्या सक्सेना ने बताया कि अभियान का उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता और लैंगिक रूढ़ियों को चुनौती देना है। इसीलिए पुरुषों के प्रभाव वाले वाले डिलीवरी और टैक्सी सर्विस में महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने का फैसला किया है। इससे महिला यात्रियों को भी सहूलियत होगी।
भोपाल की 30 महिलाएं लेंगी ट्रेनिंग
- सौम्या सक्सेना के मुताबिक, भोपाल में गौरवी वन-स्टॉप क्राइसिस सेंटर से जुड़ी 30 महिलाओं को स्कूटर चलाने, सड़क सुरक्षा और सॉफ्ट स्किल्स का प्रशिक्षण दिए जाने की पहल शुरू की है। प्रशिक्षण के बाद ये महिलाएं ब्लू डार्ट, जोमैटो, स्विगी और रैपिडो जैसी अग्रणी डिलीवरी कंपनियों के साथ काम करेंगी।
- पहले बैच में 15 महिलाएं सिलेक्ट की गई हैं। उन्हें ट्रेंड करने के लिए प्रशिक्षकों की नियुक्ति की गई है। जल्द ही खुले मैदान में प्रशिक्षण सत्र शुरू किए जाएंगे।
सक्षम परियोजना क्या है?
‘सक्षम’ का अर्थ है सक्षम बनाना, समर्थ बनाना। इस परियोजना के जरिए महिलाओं को न केवल एक स्थायी आजीविका का जरिया मिलेगा, बल्कि उन्हें स्वावलंबी और आत्मनिर्भर भी बनाया जाएगा। एक्शनएड इंडिया की अधिकारी सौम्या सक्सेना ने बताया कि यह पहल सिर्फ रोजगार नहीं है, यह सोशल रिफॉर्म है। जो कि महिलाओं को सशक्त बनाकर उन्हें उन क्षेत्रों में स्थापित करता है, जहां अब तक पुरुषों का दबदबा था।
ऑटो-टैक्सी मॉडल क्यों नहीं चला?
महिलाओं को ऑटो रिक्शा और टैक्सी चलाने के लिए इससे पहले भी प्रशिक्षित करने का प्रयास किया गया, लेकिन यह प्रयोग ज्यादा सफल नहीं रहा। सौम्या सक्सेना ने बताया कि महिलाएं ऑटो और कैब चलाने में असहज महसूस करती हैं। खासकर, रात के समय। लेकिन स्कूटर या बाइक से लो-रिस्क, लो-कॉस्ट मोबिलिटी उनके लिए अधिक सुरक्षित और सुविधाजनक विकल्प है।
क्या होगा प्रशिक्षण में?
महिलाओं को इस दौरान स्कूटर चलाने (रिवर्स, पार्किंग, बैलेंस आदि) प्रशिक्षण दिए जाने के साथ सड़क सुरक्षा नियमों से भी अवगत कराया जा रहा है। उन्हें यातायात चिन्हों की जानकारी दी जाती है। साथ ही सॉफ्ट स्किल्स जैसे ग्राहक से व्यवहार, ऐप्स का उपयोग, मोबाइल तकनीक से भी दक्ष किया जाता है। इसके अलावा उनमें सेल्फ कॉन्फिडेंस डेवलप कर मानसिक रूप से मजबूत किया जाता है।
बदलाव की ओर बढ़ते कदम
यह पहल घरेलू हिंसा पीड़ित महिलाओं के लिए नई पहचान और आत्मसम्मान की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है। जहां एक ओर वे सामाजिक कलंक और आर्थिक निर्भरता से जूझती थीं, वहीं अब वे अपने पैरों पर खड़ी होकर आय अर्जित कर सकेंगी।
इंदौर-जबलपुर और ग्वालियर में भी सेवा
भोपाल के बाद यह योजना इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर और उज्जैन जैसे शहरों में शुरू की जाएगी। 100 से अधिक महिलाओं को वर्ष 2026 तक प्रशिक्षित और तैनात करने का लक्ष्य है। परियोजना को सफल बनाने के लिए CSR भागीदारी और राज्य परिवहन विभाग से सहयोग लिए जाने की योजना है।