भोपाल: भारत भवन में 'स्वांग-जस की तस' नाटक ने दिखाया हास्य और व्यंग्य का अनोखा मेल

भोपाल के भारत भवन में 'स्वांग-जस की तस' नाटक की शानदार प्रस्तुति
मधुरिमा राजपाल, भोपाल।
सात दिनों तक चले मध्यप्रदेश रंगोत्सव नाट्य समारोह का रविवार (24 अगस्त) को भारत भवन में भव्य समापन हुआ। समापन समारोह में दर्शकों को हंसी-ठहाकों और तीखे व्यंग्य से भरपूर नाटक 'स्वांग-जस की तस' देखने को मिला। यह नाटक जबलपुर की रंगभारण सांस्कृतिक संस्था के कलाकारों ने पेश किया।
यह नाटक सुप्रसिद्ध लोककथा लेखक विजयदान देथा की चर्चित कहानी ठाकुर का रूठना पर आधारित रहा, जिसका कुशल निर्देशन युवा रंगकर्मी अक्षय सिंह ठाकुर ने किया। प्रस्तुति जबलपुर की रंगभारण सांस्कृतिक संस्था के कलाकारों ने दी और अपने जीवंत अभिनय से दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया। प्रस्तुति में जहां हास्य की फुहार थी, वहीं समाज पर व्यंग्य का तीखा प्रहार भी था। संगीत, नृत्य और अभिनय का सुंदर समन्वय देखने को मिला जिसने दर्शकों को देर तक बांधे रखा।

ठाकुर के इर्द-गिर्द बुनी कहानी
नाटक का कथानक एक जमींदार ठाकुर के इर्द-गिर्द घूमता है, जिसका स्वभाव अति विचित्र और रूठने वाला है। ठाकुर बगैर सोचे-समझे फैसले लेता है और छोटी-छोटी बातों पर नाराज हो जाता है। उसके गुस्से, अकड़ और अजीबोगरीब निर्णयों से पूरे गांव का जीवन प्रभावित होता है। यही रूठने और मनाने का सिलसिला हास्यास्पद परिस्थितियां रचता है, जो दर्शकों को ठहाकों से भर देता है। लेकिन इस हास्य के भीतर समाज की कड़वी सच्चाई और जमींदारी व्यवस्था की विसंगतियां गहराई से झांकती हैं।

व्यंग्य और संगीत का मिश्रण
नाटक की सबसे बड़ी खूबी रही इसका संगीतमयी और व्यंग्यात्मक प्रस्तुतीकरण। कलाकारों ने लोकगीतों और पारंपरिक धुनों के माध्यम से कहानी को जीवंत बना दिया। वाद्ययंत्रों की ताल और मंच पर गूंजते संवादों ने दर्शकों को लोक रंग में डुबो दिया। हास्य के सहारे नाटक ने समाज की विडंबनाओं, अन्याय और पाखंड पर तीखे व्यंग्य किए।
