कौन हैं बालाघाट की सूमा उईके?: PM मोदी ने जिनका मन की बात में किया जिक्र; जानें उनकी Success Story

मध्य प्रदेश की सूमा उईके: मशरूम से शुरू हुआ सफर थर्मल थेरेपी सेंटर तक पहुंचा
Suma Uike Success Story: मन में कुछ करने का संकल्प हो तो कोई भी मंज़िल मुश्किल नहीं। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है मध्य प्रदेश की सूमा उईके ने। बालाघाट के कटंगी में 8 साल पहले मशरूम की खेती से शुरु हुआ उनका सफर थर्मल थेरेपी सेंटर तक पहुंच गया। 10वीं पास सूमा आज खुद तो आत्मनिर्भर हैं ही गांव की अन्य महिलाओं को भी सशक्त बना रही हैं। प्रधानमंत्री मोदी भी उनके सफलता के कायल हैं। रविवार, 29 जून को अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में यह प्रेरणादायक कहानी बताते हुए देशवासियों को स्वालंबन के लिए प्रेरित किया।
पीएम मोदी ने मन की बात’ के 123वें एपिसोड में बालाघाट की सूमा उइके का जिक्र करते हुए कहा, सूमा जी का प्रयास बहुत सराहनीय है। उन्होंने सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़कर मशरूम उत्पादन और पशुपालन की ट्रेनिंग ली। इससे उन्हें स्वालंबन की राह मिली। आय बढ़ी तो काम का विस्तार किया। आज वे दीदी कैंटीन और थर्मल थैरेपी सेंटर संचालित करती हैं। देश में ऐसी अनगितन महिलाएं है, जो छोटे छोटे प्रयासों से अपना और देश का भाग्य बदल रहीं हैं।
मध्यप्रदेश की सुमा उइके के प्रयासों की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री श्री @narendramodi ने कहा कि देश के कोने-कोने में अनगिनत महिलाएं अपना और देश का भाग्य बदल रही हैं. #MannKiBaathttps://t.co/qFagOV6c3F pic.twitter.com/xEwVQQLNYC
— Akashvani आकाशवाणी (@AkashvaniAIR) June 29, 2025
कैसे आत्मनिर्भर बनीं 10वीं पास सूमा उईके ?
सूमा उईके मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले की रहने वाली हैं। कटंगी ब्लॉक में सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़कर 2017 में उन्होंने मशरूम की खेती और पशुपालन की ट्रेनिंग ली थी। यहीं से उनके आत्मनिर्भरता का सफर शुरू हुआ। धीरे-धीरे आय बढ़ी तो काम का विस्तार किया। अब वह दीदी कैंटीन तथा थर्मल थेरेपी सेंटर जैसे नए उद्यम संचालित करती हैं।
मुद्रा लोन बना सफलता की सीढ़ी
आजीविका मिशन से जुड़ने के बाद सूमा उईके ने साल 2017 में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत 6 लाख का लोन लिया और कटंगी में 'अजीविका थर्मल थेरेपी सेंटर' की स्थापना की। आज इस सेंटर से वह हर माह 50,000 रुपये से अधिक की कमाई करती हैं। आसपास की महिलाओं को भी रोजगार से जोड़ा है। भविष्य में 20 महिलाओं को जोड़ने की योजना है।
ठान लो तो सब कुछ है मुमकिन
सूमा उईके आदिवासी परिवार से ताल्लुक रखती हैं। इस कारण उन्हें मुद्रा लोन में 5% ब्याज की छूट भी मिली। अपनी सफलता के बारे उन्होंने कहा, मन में कुछ करने का संकल्प हो तो कोई मंज़िल दूर नहीं लगती। पारिवारिक समस्याओं के चलते 10वीं के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी, लेकिन मैंने ठान लिया था कि आत्मनिर्भर बनूंगी और आज उसी दिशा में आगे बढ़ रही हूं। सूमा उनका जीवन देशभर की महिलाओं के लिए एक मिसाल है।
शिक्षा सीमित हो, लेकिन सपने नहीं
प्रधानमंत्री मोदी ने सूमा उईके की कहानी के जरिए महिला सशक्तिकरण, ग्राम विकास और स्वरोजगार के महत्व को रेखांकित किया। यह कहानी साबित करती है कि सरकारी योजनाएं जब ज़मीनी स्तर पर पहुंचती हैं, तो वो जीवन बदल सकती हैं। सूमा भी मानती हैं कि शिक्षा सीमित हो सकती है, लेकिन सपने सीमित नहीं होने चाहिए।
