अशोकनगर में प्रशासन का एक्शन: सट्टा किंग के अवैध होटल ‘आजाद पैलेस’ पर चला बुलडोजर, देखें वीडियो

नियमों की अनदेखी करने वालों पर प्रशासन सख्त। सट्टा किंग आजाद खान के तीन मंजिला अवैध होटल ‘आजाद पैलेस’ पर बुलडोजर चला।
अशोकनगर जिले में अवैध निर्माण और नियमों की अनदेखी करने वालों पर प्रशासन की सख्ती जारी है। सोमवार को जिलाधिकारी और नगर पालिका की संयुक्त टीम ने कथित सट्टा किंग आजाद खान और शाहिद खान के स्वामित्व वाले तीन मंजिला होटल 'आजाद पैलेस' पर बुलडोजर और क्रेन से तोड़फोड़ की कार्रवाई की।
यह होटल शहर के आजाद मोहल्ला क्षेत्र में स्थित है और पुराने बस स्टैंड के पास है। एसडीएम सुब्रता त्रिपाठी ने कार्रवाई के दौरान मीडिया को बताया, "यह होटल आजाद खान और शाहिद खान का है। इसे नगर निगम से बिना अनुमति के इस इलाके में अवैध रूप से चलाया जा रहा था।
इतना ही नहीं, इन पर एमपीवी (म्यूनिसिपल प्रॉपर्टी वैल्यू) का करीब 5 लाख रुपए बकाया है। नगर निगम ने इन्हें तीन नोटिस जारी किए थे, लेकिन कोई जवाब नहीं दिया गया। अब इसके खिलाफ तोड़फोड़ की कार्रवाई की जा रही है।"
#WATCH | Madhya Pradesh | District administration conducts demolition drive on an illegal hotel in Ashoknagar
— ANI (@ANI) December 29, 2025
SDM Subrata Tripathi says, "This hotel, Azad Palace, belongs to Azad Khan and Shahid Khan... It was being operated illegally in this area without permission from the… pic.twitter.com/PbFtVDx9IR
एसडीएम ने आगे बताया कि इनके पास कोलुआ क्षेत्र में एक और फार्महाउस भी था, जो बिना अनुमति के बनाया गया था और उस पर भी पहले कार्रवाई हो चुकी है।कार्रवाई के दौरान होटल के आगे-पीछे के हिस्से और अवैध बेसमेंट को ध्वस्त किया गया। भारी पुलिस बल तैनात किया गया था और ड्रोन कैमरे से निगरानी रखी गई। आसपास की दुकानों को बंद करवाया गया और बैरिकेडिंग की गई ताकि कोई व्यवधान न हो।
आजाद खान वर्तमान में आत्महत्या के उकसावे सहित कई मामलों में जेल में बंद है। उसकी क्रेडिट सोसाइटी पर भी आर्थिक अंकुश लगाने के निर्देश प्रदेश के मंत्री विश्वास सारंग ने दिए हैं।
यह कार्रवाई अवैध निर्माणों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान का हिस्सा है। प्रशासन का कहना है कि नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ ऐसी सख्ती जारी रहेगी। स्थानीय लोगों में इस कार्रवाई को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं हैं, कुछ इसे कानून की जीत बता रहे हैं तो कुछ प्रभावितों के पक्ष में हैं।
