एम्स भोपाल में बच्चों पर स्टडी: तेजी से बढ़ रही मायोपिया महामारी, जानें कैसे रख सकते हैं आंखों का ख्याल

AIIMS Bhopal : आजकल बच्चों का ज्यादातर समय मोबाइल, लैपटॉप और टीवी स्क्रीन के सामने बीतता है। नतीजा उनकी आंखें प्राकृतिक रोशनी से दूर होती जा रही हैं। यही वजह है कि दूर की चीजें धुंधली दिखाई देने की समस्या होती है, जिसे मायोपिया कहा जाता है, यह बच्चों में बहुत तेजी से बढ़ रही है।
बचपन में बढ़ती स्क्रीन की लत:
एम्स भोपाल के नेत्र रोग विभाग द्वारा पांच साल तक की गई एक केस स्टडी में पता चला कि जिन 6,000 बच्चों को आंखों से जुड़ी समस्या थी, उनमें से 47% बच्चों को मायोपिया था। यही नहीं, अब इस रोग को 'मायोपिया एपिडेमिक' यानी महामारी का नाम भी दिया गया है।
18 साल की उम्र तक आंखों का सामान्य विकास होता है, लेकिन लगातार कृत्रिम रोशनी और पास की चीजें देखने से आंखों की मांसपेशियां सख्त हो रही हैं, जिससे देखने की क्षमता पर बुरा असर पड़ रहा है।
नेचुरल लाइट है असली इलाज
जब बच्चा सुबह या शाम की हल्की रोशनी में बाहर खेलता है, तो आंखों की मांसपेशियां आराम की स्थिति में रहती हैं। यही समय आंखों के लिए सबसे फायदेमंद माना जाता है। '
मायोपिया को हल्के में न लें
AIOS के महासचिव डॉ. संतोष होनावर के मुताबिक, मायोपिया को हल्के में नहीं लेना चाहिए। यह समस्या समय के साथ और गंभीर हो सकती है, जिसमें रेटिना की खराबी, ग्लूकोमा और यहां तक कि अंधापन भी हो सकता है।
2050 तक हर दूसरा व्यक्ति हो सकता है इसका शिकार
विश्वभर में विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो साल 2050 तक दुनिया की आधी आबादी मायोपिया से ग्रसित हो सकती है। पूर्वी एशिया में यह दर पहले ही 90% के आसपास पहुंच गई है।
बच्चें ये 5 जरूरी आदतें अपनाएं
- हर दिन कम से कम 2 घंटे बाहर प्राकृतिक रोशनी में खेलें।
- हर 20 मिनट स्क्रीन देखने के बाद 20 सेकंड तक 20 फीट दूर देखें (20-20-20 नियम)।
- मोबाइल का उपयोग सीमित करें, खासकर 5 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए।
- कमरे की रोशनी अच्छी रखें और स्क्रीन की ब्राइटनेस कम करें।
- हर 6 महीने में आंखों की जांच कराएं।
क्या है मायोपिया?
मायोपिया (निकट दृष्टिदोष) एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति को पास की चीजें साफ दिखती हैं लेकिन दूर की चीजें धुंधली दिखाई देती हैं। यह तब होता है जब नेत्रगोलक (आईबॉल) सामान्य से लंबा हो जाता है और रोशनी रेटिना पर ठीक से फोकस नहीं कर पाती।