AIIMS Bhopal News: एम्स की डॉक्टर ने की खुदकुशी की कोशिश, हालत गंभीर, ICU में भर्ती

भोपाल एम्स से एक बेहद चिंताजनक खबर सामने आई है। एम्स भोपाल के इमरजेंसी विभाग में पदस्थ डॉक्टर रश्मि वर्मा ने कथित तौर पर खुदकुशी की कोशिश की है। समय रहते पति द्वारा अस्पताल पहुंचाए जाने और साथी डॉक्टरों की त्वरित कार्रवाई से उनकी जान बचाई जा सकी। फिलहाल उनकी हालत गंभीर बनी हुई है और वे मेन आईसीयू में वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं।
जानकारी के अनुसार, घटना के वक्त डॉ. रश्मि घर पर थीं। उनके पति, ऑर्थोपेडिक विशेषज्ञ डॉ. मनमोहन शाक्य, ने उन्हें बेहोशी की हालत में देखा और तुरंत एम्स भोपाल लेकर पहुंचे। अस्पताल पहुंचते-पहुंचते उनकी पल्स और हार्टबीट काफी कमजोर हो चुकी थी। साथी डॉक्टरों ने तत्काल सीपीआर देकर उन्हें रिवाइव किया।
इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि अस्पताल पहुंचने में करीब 25 मिनट का समय लग चुका था, इस दौरान हृदय की गतिविधि लगभग बंद होने जैसी स्थिति बन गई थी। फिलहाल वे धीरे-धीरे रिकवर कर रही हैं, लेकिन नसों को कितना नुकसान हुआ है, इसकी स्थिति 72 घंटे बाद ही स्पष्ट हो सकेगी।
पति बोले – घर पर सब सामान्य था
डॉ. मनमोहन शाक्य के मुताबिक, घटना से पहले घर में सब कुछ सामान्य था। सभी अपने-अपने काम में लगे थे। जब वे डॉ. रश्मि के पास पहुंचे तो वह बेहोश अवस्था में मिलीं, जिसके बाद बिना देर किए उन्हें अस्पताल लाया गया।
वजह अब तक साफ नहीं
एम्स प्रबंधन का कहना है कि डॉ. रश्मि ने यह कदम क्यों उठाया, इसकी वजह फिलहाल स्पष्ट नहीं है। न तो कोई सुसाइड नोट मिला है और न ही किसी तरह का संदेश सामने आया है। मामले से जुड़ी सभी जानकारियों की गंभीरता से जांच की जा रही है।
प्रोफेशनल प्रोफाइल
डॉ. रश्मि वर्मा ने प्रयागराज के एमएलएन मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस और बीआरडी मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर से जनरल मेडिसिन में एमडी किया है। वे डायबिटीज में सर्टिफिकेट कोर्स भी कर चुकी हैं।
एम्स भोपाल में सीनियर रेजिडेंसी के साथ-साथ वे एलएन मेडिकल कॉलेज और पीएमएस भोपाल में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में सेवाएं दे चुकी हैं। उन्हें करीब 5 वर्षों का टीचिंग अनुभव है और वे मेडिकल एजुकेशन व ICMR रिसर्च से भी सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं।
डॉ. रश्मि बेसिक लाइफ सपोर्ट (BLS), नर्सिंग ट्रेनिंग सेशन जैसी जिम्मेदारियों में भी अहम भूमिका निभा रही थीं। साथी डॉक्टरों के अनुसार, वे बेहद संवेदनशील और मददगार स्वभाव की थीं और कई बार गरीब मरीजों के इलाज का खर्च खुद उठाती थीं।
