देशभक्ति और श्रद्धा का दुर्लभ संगम: यमुनानगर का इकलौता मंदिर, जहां हर धर्म के लोग शहीदों को करते हैं नमन

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यमुनानगर का इंकलाब मंदिर। 

वर्ष 2000 में बने इस मंदिर में भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस और भारत माता सहित 250 से अधिक शहीदों की प्रतिमाएं स्थापित हैं। यहां हिंदू, सिख, मुस्लिम और अन्य सभी धर्मों के लोग एक साथ आकर शहीदों को नमन करते हैं।

हरियाणा के यमुनानगर जिले में एक ऐसा अनोखा स्थान है जो देशभक्ति और श्रद्धा का एक दुर्लभ संगम प्रस्तुत करता है। गुमथला राव गांव में स्थित 'इंकलाब मंदिर' देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां देवी-देवताओं की नहीं, बल्कि उन शहीदों की पूजा होती है जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। यह मंदिर न सिर्फ शहीदों के प्रति सम्मान का प्रतीक है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को देशभक्ति की प्रेरणा भी देता है।

250 से अधिक शहीदों की प्रतिमाएं

इस मंदिर का निर्माण 'इंकलाब शहीद स्मारक चैरिटी क्लब' के संस्थापक वरयाम सिंह ने वर्ष 2000 में किया था। उन्होंने बताया कि सबसे पहले यहां शहीद-ए-आजम भगत सिंह की प्रतिमा स्थापित की गई थी। धीरे-धीरे इस मंदिर में लगभग 250 शहीदों की प्रतिमाएं और तस्वीरें लगाई गईं, जिनमें भारत माता, सुखदेव, सुभाष चंद्र बोस, मंगल पांडे जैसे महान सेनानी भी शामिल हैं। लोग इन मूर्तियों के सामने सिर झुकाकर उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं।

देश का इकलौता और अद्वितीय मंदिर

वरयाम सिंह का दावा है कि यह मंदिर देश का इकलौता ऐसा मंदिर है, जो पूरी तरह से शहीदों को समर्पित है। उन्होंने कहा कि देश के किसी भी राज्य में शहीदों के सम्मान में इस तरह का मंदिर नहीं बनाया गया है। यह गांव की एक विशेष पहचान बन गया है, जहां देशभक्ति की भावना हर कोने में महसूस की जा सकती है। यह और भी दिलचस्प है कि इस गांव में शहीदों के इस मंदिर को स्थापित करने से पहले देवी-देवताओं का कोई मंदिर या गुरुद्वारा भी नहीं था। हालांकि, अब एक गुरुद्वारा जरूर बन गया है, लेकिन 'इंकलाब मंदिर' गांव का पहला और सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बना हुआ है।

हर धर्म के लोग करते हैं नमन

'इंकलाब मंदिर' सिर्फ देशभक्ति का ही नहीं, बल्कि एकता का भी प्रतीक है। यहां किसी एक धर्म या जाति के लोग नहीं, बल्कि हिंदू, सिख, ईसाई, मुस्लिम और अन्य सभी धर्मों के लोग एक साथ मिलकर शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित करने आते हैं। यह मंदिर दर्शाता है कि देशभक्ति और शहीदों का सम्मान किसी धर्म या जाति की सीमाओं से परे है। यह एक ऐसा स्थान है जहां सभी लोग एक ही भावना, यानी देशप्रेम के साथ जुड़ते हैं।

बच्चों और चालकों को मिलती है प्रेरणा

यह मंदिर गांव के सरकारी स्कूल के परिसर में बनाया गया है। स्कूल जाने से पहले बच्चे रोज सुबह यहां आकर शहीदों को नमन करते हैं। इससे उन्हें कम उम्र में ही देश के लिए बलिदान का महत्व सीखने को मिलता है। इसके अलावा, जो भी वाहन चालक कुरुक्षेत्र से करनाल मुख्य मार्ग से होकर गुजरते हैं, वे भी इस मंदिर को देखकर नमन करते हैं। यह एक तरह से एक तीर्थस्थल बन गया है, जो लोगों को देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत करता है।

ग्रामीणों के लिए गर्व का विषय

गांव के सरपंच परवीण कुमार और स्थानीय ग्रामीण भी इस मंदिर पर गर्व महसूस करते हैं। महिला ग्रामीण रजनी ने कहा कि यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हमारे गांव में देश का इकलौता शहीद मंदिर है, जहां बच्चे भी स्कूल जाने से पहले शीश झुकाते हैं। एक अन्य ग्रामीण रश्मीत कौर ने बताया कि वे हर दिन अपने माता-पिता के साथ यहां आकर शहीदों को नमन करती हैं।

मंदिर युवाओं को देता है प्रेरणा

संस्था के सदस्य सर्वजीत सिंह ने कहा कि इस मंदिर को बनाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि हमारी आने वाली पीढ़ियां जान सकें कि हम आज जो आजादी की सांस ले रहे हैं, वह इन्हीं शहीदों की कुर्बानी की वजह से है। यह मंदिर युवाओं को प्रेरणा देता है और उनमें देशभक्ति की भावना जगाता है। कुल मिलाकर, यमुनानगर का यह 'इंकलाब मंदिर' एक ऐसा स्थल है जो हमें याद दिलाता है कि हमारे देश की नींव किन बलिदानों पर टिकी है। यह सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि एक जीवित स्मारक है, जो हमें हमारे शहीदों की वीरता और साहस की याद दिलाता है।

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